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केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल से कमाए 3.35 लाख करोड़ रुपये, उत्पाद शुल्क 88 फीसदी बढ़ा
पेट्रोल-डीजल पर केंद्र की ओर से लगाए जाने वाले उत्पाद शुल्क के जरिए 3.35 लाख करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क का संग्रह 88 प्रतिशत बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया जो इससे एक साल पहले 1.78 लाख करोड़ रुपये था।
उन्होंने कहा कि यह संग्रह और भी बढ़ा होता, लेकिन लॉकडाउन और दूसरे प्रतिबंधों के कारण ईंधन की बिक्री में कमी आई। रामेश्वर तेली के मुताबिक, 2018-19 में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क के जरिए 2.13 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का संग्रह हुआ था।
इस साल की शुरुआत से ही पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी की जा रही थी। सभी मेट्रो शहरों और कई अन्य क्षेत्रों में भी पहली बार पेट्रोल की कीमत 100 प्रति लीटर को पार कर गई। डीजल की कीमत भी पहली बार कई जगहों पर 100 रुपये प्रति लीटर को पार कर चुकी है। डेढ़ दर्जन से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक है जबकि राजस्थान, मध्य प्रदेश और ओडिशा में डीजल की कीमत 100 प्रति लीटर से ऊपर बिक रही है।
पिछले एक महीने से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर हैं और पिछले कुछ दिनों में कीमतों में मामूली गिरावट आई है। हालांकि, सभी मेट्रो शहरों में पेट्रोल की कीमतें अभी भी 100 रुपये के आंकड़े को पार कर चुकी है। पिछले दिनों पेट्रोल एवं डीजल की कीमत में मामूली कमी के बाद 2 सितंबर से चार महानगरों में कीमतों में बदलाव नहीं आया है। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 101.34 रुपये और डीजल की कीमत 88.77 रुपये प्रति लीटर है।
पेट्रोल पर कितना है टैक्स?
आप जो पेट्रोल 100 रुपये लीटर खरीद रहे हैं, असल में वह इतना नहीं है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) के मुताबिक एक लीटर पेट्रोल की फैक्ट्री कीमत तो महज 31.82 रुपये ही है। दरअसल, अपने यहां पेट्रोल और डीजल के जरिए केंद्र और तमाम राज्य सरकारें अपना खजाना भरने का काम करती हैं। इन उत्पादों के जरिए केंद्र और राज्य सरकारों को मोटी कमाई होती है। दिल्ली की ही बात करें तो यहां केंद्र सरकार 32.90 रुपये का टैक्स वसूल रही है तो राज्य सरकार 20.61 रुपये का। केंद्र और राज्यों का कुल टैक्स 53.51 रुपये बन जाता है।
डीजल पर टैक्स
डीजल महंगा ईंधन होता है, लेकिन इसका उपयोग खेती-बाड़ी के अलावा सामानों की ढुलाई में भी खूब होता है। यदि इस पर ज्यादा टैक्स लगाया गया तो न सिर्फ खेती महंगी हो जाती है बल्कि बाजार में महंगाई भी भड़कती है। तब भी यहां करीब 130 फीसदी का टैक्स वसूला जाता है। दिल्ली में प्रति लीटर डीजल का फैक्ट्री प्राइस 33.46 रुपये है। इस पर केंद्र सरकार का टैक्स 31.80 रुपये है जबकि राज्य सरकार 11.68 रुपये का टैक्स वसूलती है। इस तरह से कुल टैक्स ही 43.48 रुपये प्रति लीटर बन जाता है।
आयात पर बढ़ी निर्भरता
भारत में पेट्रोल और डीजल की जितनी खपत है, उसके मुकाबले काफी कम कच्चे तेल का उत्पादन हो पाता है। इस समय आयातित तेल पर निर्भरता काफी घटी है, तब भी अपने यहां इस समय करीब 70 फीसदी क्रूड ऑयल विदेशों से आता है। फिर उसे देश में स्थित रिफाइनरी में साफ किया जाता है और उससे पेट्रोल, डीजल, एलपीजी आदि निकाला जाता है।