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सड़क हदसों में लोगों की जान बचाने के लिए सरकार करेगी सम्मानित, जानें क्या है गुड समेरिटन योजना
भारत में हर साल पांच लाख से ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं में 1.50 लाख लोग जान गंवा देते हैं, जो दुनिया में किसी और देश के मुकाबले सबसे ज्यादा है। इन मौतों से बचा जा सकता है अगर पीड़ितों को समय रहते इलाज मिल जाए। केंद्र सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने वालों के लिए गुड सेमेरिटन योजना लॉन्च की है, जिसके तहत सड़क दुर्घटना में पीड़ितों की मदद करने वालों को मान्यता दी जाएगी और पुरस्कृत किया जाएगा।
क्या है गुड सेमेरिटन योजना
गुड सेमेरिटन योजना के तहत सड़क दुर्घटना में पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाने वाले लोगों को सरकार ने 5,000 रुपये का इनाम तय किया है। इसके अलावा गुड सेमेरिटन कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपना नाम प्रकट नहीं करने के लिए स्वतंत्र है। वे दुर्घटना के बाद कानूनी प्रक्रिया और जांच में शामिल नहीं होने का विकल्प भी चुन सकते हैं।
आधिकारिक तौर पर इसे कानून का हिस्सा बनाने के लिए, केंद्र ने मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 में धारा 134A को शामिल किया, जो "अच्छे लोगों के संरक्षण" से संबंधित है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, "कोई भी व्यक्ति जिसने तत्काल सहायता प्रदान करके एक घातक दुर्घटना के शिकार व्यक्ति की जान बचाई है और स्वर्णिम घंटे के भीतर अस्पताल पहुंचाया है वह गुड गुड सेमेरिटन योजना के तहत पुरस्कार के लिए पात्र होगा। एक गुड सेमेरिटन को एक वर्ष में अधिकतम पांच बार सम्मानित किया जा सकता है।"
गोल्डन ऑवर में बचा सकते हैं जान
इस योजना के तहत, सड़क दुर्घटना होने के एक घंटे बाद तक के समय को गोल्डन ऑवर कहा गया है। गोल्डन ऑवर के दौरान अगर कोई व्यक्ति पुलिस या अस्पताल को दुर्घटना की सूचना देता है या पीड़ित को अस्पताल पहुंचाता है तो वह गुड सेमेरिटन कहलाएगा। डिस्ट्रिक्ट अप्रेजल कमेटी पुलिस से प्राप्त प्रकरण की समीक्षा करेगी और गुड सेमेरिटन को पांच हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान करने की अनुशंसा शासन को करेगी।
आमतौर पर सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में लोग खुद के उलझन में पड़ने के डर से पीड़ितों की मदद करने से हिचकते हैं जिससे सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। लोगों को सड़क हादसों में पीड़ितों की जान बचाने के लिए प्रेरित करने के मकसद से सरकार ने गुड सेमेरिटन योजना को कानून का हिस्सा बनाया है।
केंद्र सरकार ने इसके लिए प्रत्येक राज्य को 5 लाख रुपये का प्रारंभिक अनुदान भी दिया। हालांकि, रिपोर्ट बताती है कि राज्यों ने इस राशि को प्राप्त करने के लिए अभी तक बैंक खाते नहीं खोले हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय अब इस योजना को लागू करने के लिए राज्यों को रिमाइंडर भेजेगी।
राज्यों को जिला स्तर पर प्रचार पहल के माध्यम से इस योजना को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय प्रशासन को भी गुड सेमेरिटन रिकॉर्ड रखने और मासिक आधार पर उनका विवरण केंद्रीय वेबसाइट पर अपलोड करने की आवश्यकता है।
2027 तक 30 फीसदी कम होंगी सड़क दुर्घटनाएं
सड़क दुर्घटनाओं पर परिवहन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। तमिलनाडु में राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर सबसे अधिक दुर्घटना संभावित स्थान या ब्लैक स्पॉट हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर अधिकतम दुर्घटना संभावित स्थानों के मामले में पश्चिम बंगाल और कर्नाटक दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
सरकार ने 2027 तक सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर को 30 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना के तहत, 2022-23 तक सभी राज्यों में एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस (IRAD) शुरू किया जाएगा। इसके तहत सभी प्रमुख हाईवे और जिला सड़कों पर दुर्घटना की संभावना वाले ब्लैक स्पॉट को ठीक किया जाएगा। नई नीति के तहत सभी राज्यों को हाईवे और शहरी सड़कों का सड़क सुरक्षा ऑडिट करना अनिवार्य होगा।
इसके अलावा, साल 2022-23 से परिवहन मंत्रालय 'चैलेंज राउंड' शुरू करेगा जिसका मुख्या उद्देश्य राज्यों को सड़क सुरक्षा और गुणवत्ता के आधार पर प्रोत्साहन प्रदान करना होगा। मंत्रालय का मानना है कि इससे राज्यों के बीच सड़क सुरक्षा को लेकर प्रतिस्पर्धा की शुरू होगी।