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Goa EV Policy: गोवा ने लाॅन्च की इलेक्ट्रिक वाहन नीति, 5 साल तक मिलेगी ई-वाहनों पर छूट
इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग और बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए शनिवार को गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन नीति की शुरुआत की। सावंत ने कहा कि नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य में बैटरी से चलने वाले वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देना है। उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों पर मिलने वाले प्रोत्साहन के बारे में भी जानकारी साझा की।
गोवा सरकार अपनी इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत सभी तरह के इलेक्ट्रिक वाहनों पर पांच साल तक के लिए रोड टैक्स में छूट देगी। सब्सिडी के बारे में बोलते हुए, सावंत ने बताया कि नीति दो, तीन और चार पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों को कवर करेगी। राज्य सरकार दोपहिया वाहनों के लिए 30 प्रतिशत और तिनपहिया वाहनों के लिए 40 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करेगी। वहीं चारपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों पर 3 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि ये पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर लगभग 400 वाहनों को प्रदान किए जाएंगे।
राज्य प्रमुख ने यह भी कहा कि इस नीति से राज्य में लगभग 10,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों के सृजन में मदद मिलेगी और राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को भी बढ़ावा मिलेगा जिससे निवेश आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी।
सावंत ने बताया कि राज्य सरकार उन लोगों को भी सब्सिडी देगी जो इलेक्ट्रिक वाहन के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य राजमार्गों पर हर 25 किलोमीटर पर चार्जिंग के लिए बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी, जबकि शहर में कम दूरी पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे।
मौजूदा समय में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत पेट्रोल या डीजल पर चलने वाले साधारण वाहनों से अधिक है। हालांकि, बहुत जल्द इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत पारंपरिक वाहनों के बराबर हो जाएगी। जानकारों का मानना है कि अगले दो साल के भीतर इलेक्ट्रिक वाहनों की इलेक्ट्रिक वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि दो साल के भीतर एक इलेक्ट्रिक वाहन की लागत उतनी ही होगी जितनी कि आज एक पेट्रोल पर चलने वाले वाहन की है।
भले ही केंद्र और राज्य सरकारें लोगों को इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं, लेकिन भारत में इलेक्ट्रिक वाहन सेगमेंट अभी भी देश में समग्र ऑटोमोबाइल व्यवसाय का एक बहुत छोटा हिस्सा है। इसके पीछे प्रमुख कारणों में से एक इलेक्ट्रिक वाहनों, खासकर इलेक्ट्रिक कारों की ऊंची कीमतें हैं।
जानकारों का मानना है कि बहुत जल्द इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत पारंपरिक वाहनों के बराबर हो जाएगी। इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने की लागत पेट्रोल वाहनों की तुलना में बहुत कम है इसलिए बहुत जल्द ही इन्हें बड़े स्तर पर अपनाया जाएगा जिससे इनकी कीमत में कमी आएगी।
पेट्रोल वाहनों पर 48 प्रतिशत जीएसटी के मुकाबले ई-वाहनों पर जीएसटी केवल पांच प्रतिशत है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी में इस्तेमाल होने वाले लिथियम की अधिक कीमत ने इलेक्ट्रिक वाहनों की लगत को बढ़ा दिया है लेकिन भविष्य में लिथियम के ज्यादा उत्पादन से कीमतों में कमी आएगी। इसकी वजह से इलेक्ट्रिक वाहन की कीमत में भी गिरावट देखने को मिलेगी।
वर्तमान में भारत की लिथियम की 81 प्रतिशत आवश्यकता स्थानीय उत्पादकों द्वारा पूरी की जा रही है। वैकल्पिक बैटरी प्रौद्योगिकियों के विकास के संबंध में अनुसंधान चल रहा है और इस क्षेत्र में जल्द ही सफलता हाथ लगने की उम्मीद है।
सरकार 2030 तक निजी कारों के लिए 30 प्रतिशत, वाणिज्यिक कारों के लिए 70 प्रतिशत, बसों के लिए 40 प्रतिशत और दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए 80 प्रतिशत तक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री की उम्मीद कर रही है।
भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए कोयले के बजाय सौर और बायोमास जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली का उत्पादन की भी योजना बना रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने में आसानी हो इसलिए अब पेट्रोल पंप पर चार्जिंग प्वाइंट उपलब्ध करने की योजना पर काम शुरू हो चुका है।