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बेटे को परीक्षा सेंटर पहुंचाने पिता ने चलाई छह घंटे साइकिल, मुश्किल से तय किया सफर
हाल ही में देश भर में जेईई परीक्षा आयोजित की गयी थी, इस दौरान विद्यार्थियों को कई तरह की परेशानी का समान करना पड़ा है। कोरोना के चलते कई जगह तो सार्वजनिक परिवहन भी पहले जैसे नहीं चल रहे है जिस वजह दूर-दराज इलाके में रहने वाले विद्यार्थियों को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है।
हाल ही में बंगाल के पिता-पुत्र के ज़ज्बे की कहानी सामने आई है जिसमें पिता ने अपने बेटे को एग्जाम सेंटर पहुंचाने के लिए पहले तो छह घंटे साइकिल चलाई और फिर शहर के पास पहुंचकर सर्वाजनिक परिवहन से करीब 20 किलोमीटर का सफर तय किया।
देश भर में सोशल मीडिया में एग्जाम कराने व ना कराने को चर्चा चल रही थी लेकिन अंततः परीक्षाएं ली गयी। ऐसे में 19 साल ने अपने पिता रबी के साथ साइकिल में मंगलवार की शाम को 6 बजे से सफर करना शुरू किया, इसके बाद उन्होंने बिध्य्दारी नदी को एक बोट के सहारे से पार किया।
इसके बाद लगातार फिर चार घंटे साइकिल चलाकर वह अपने एक रिश्तेदार के घर पियाली गांव पहुंचें, जहां पर उन दोनों ने रात बिताई। दोनों घर से एक-एक साइकिल लेकर निकले थे लेकिन दूसरे दिन उन्होंने सफर के लिए सिर्फ एक साइकिल रखा।
इस दौरान पिता रबी साइकिल चलाते रहें तथा उनका बेटा पीछे बैठ कर पढ़ने लगा। इसके बाद जब वह करीब सुबह 9 बजे सोनारपुर पहुंचें तो उन्होंने अपनी साइकिल वही पार्क कर दिया और गरिया से एक तिपहिया में बैठे गये।
इसके बाद कोलकाता के करीब 11 बजे साल्ट लेक सेक्टर 5 पहुंचने के लिए उन्हें दो और पब्लिक बसें बदलनी पड़ी। तब जाकर वह एग्जाम सेंटर पहुंच पायें, उनके पास पर्याप्त समय था क्योकि परीक्षा 3 बजे शुरू होने वाली थी।
इस बारें में दिगांता ने बताया कि अगर ट्रेनें चल रही होती तो सफर इतना परेशानी भरा ना होता। लेकिन मैं एग्जाम में बैठना ही चाहता था क्योकि इसके लिए मैं पिछले दो साल से तैयारी कर रहा था। इसे मैं किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ सकता था।
इस सफर के बारें में उनके पिटा ने कहा कि मेरे बेटे की जिद ने ही मुझे 75 किलोमीटर साइकिल चलाने के लिए प्रेरित किया। लेकिन संक्रमण के फैलने का डर मेरे मन में लगातार बना ही हुआ था। दिगांता को 12वीं में 85 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे तथा एक साल वह जेईई की तैयारी कर रहे थे।
Source: TOI