Just In
- 10 hrs ago KIA की इस कार को ग्लोबल NCAP क्रैश टेस्ट में मिली 5-स्टार रेटिंग्स, भरपूर सुरक्षा सुविधाओं से है लैस
- 13 hrs ago चिलचिलाती गर्मी में लखनऊ ट्रैफिक पुलिस को मिला खास हेलमेट, अब और एक्शन में नजर आएगी पुलिस
- 15 hrs ago 100 साल की उम्र में 50 साल पुरानी विंटेज कार चला रहे हैं केरल के बुजुर्ग, VIDEO देख हैरान रह जाएंगे आप!
- 16 hrs ago नई Bajaj Pulsar 400 का टीज़र जारी, बेहतरीन फीचर्स और पावरफुल इंजन के साथ इस दिन होगी लॉन्च
Don't Miss!
- Lifestyle Sachin Tendulkar Ke Vichar: रिश्ते और जिंदगी की हताशा को दूर करते हैं सचिन तेंदुलकर के ये विचार
- News राजौरी हत्याकांड के पीछे आतंकी अबू हमजा, पुलिस ने किया 10 लाख के इनाम का ऐलान
- Education UK Board Result 2024: उत्तराखंड बोर्ड 10वीं, 12वीं रिजल्ट कब आएगा? चेक करें डेट और टाइम
- Movies मलाइका अरोड़ा के इन 8 कटिंग ब्लाउज को करें ट्राई, 500 की साड़ी में भी लगेगी हजारों की डिजाइनर साड़ी
- Technology Realme C65 5G भारत में 10 हजार से कम कीमत में होगा लॉन्च, जानें फीचर्स
- Travel IRCTC का मानसखंड यात्रा टूर पैकेज, देवभूमि उत्तराखंड के ऐतिहासिक मंदिरों में करें दर्शन
- Finance Aadhaar Card: कहीं आपके आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल तो नहीं हुआ, ऐसे करें तुरंत चेक
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
इलेक्ट्रिक वाहनों का शोर नहीं करना बन सकता है हादसे का कारण, सरकार जल्द लाएगी ईवी से जुड़ा नया नियम
इलेक्ट्रिक वाहनों का शोर न करना भी एक समस्या का कारण बन सकता है। हाल ही में केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़ी इस समस्या को संबोधित किया है। सरकार का कहा है कि इलेक्ट्रिक वाहनों के शोर न करने से सड़क पर चल रहे पैदल यात्रियों को वाहन के आने का अंदाजा नहीं लगता, जो दुर्घटना का कारण बन सकती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़क पर दूसरों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए कृत्रिम ध्वनि जोड़ने पर विचार कर रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि सड़क पर चलने वाले राहगीरों को इलेक्ट्रिक वाहन के आने की आवाज सुनाई दे और वे सड़क पर चलते समय सतर्क रह सकें।
सूत्रों का कहना है कि भारी उद्योग मंत्रालय ने संबंधित विभागों को इस संबंध में संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए हैं। यदि इस कदम को हरी झंडी मिल जाती है, तो ध्वनि प्रदूषण अनुमेय सीमा को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों में कृत्रिम ध्वनि के प्रभावों का आंकलन किया जाएगा।
एक बार मंजूरी मिलने के बाद, केंद्र सरकार सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहनों को सुरक्षित बनाने के लिए इस तरीके को अपना सकती है। नए नियमों के तहत इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं के लिए ध्वनि पैदा करने वाली मशीनें लगाना अनिवार्य होने की संभावना है।
ध्वनि उत्पन्न करने वाली मशीनों को ध्वनिक वाहन चेतावनी प्रणाली (एवीएएस) कहा जाने की संभावना है। यह कुछ ऐसा है जिसका उपयोग ईंधन से चलने वाले वाहन भी करते हैं। इसका इस्तेमाल पीछे से आ रहे वाहनों को सचेत करने के लिए भी किया जा सकता है।
इस प्रक्रिया का उपयोग पहले से ही उन देशों में किया जा रहा है जहां इलेक्ट्रिक वाहन अधिक मुख्यधारा में हैं। कई देशों में कानून बनाए गए हैं जिनमें निर्माताओं को अपने वाहनों में कृत्रिम ध्वनि जोड़ने की आवश्यकता होती है। संयुक्त राज्य अमेरिका या यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में, सरकारों ने पहले से ही मानक इलेक्ट्रिक वाहनों से निकलने वाली ध्वनि के लिए मानक निर्धारित किए हैं। कृत्रिम ध्वनि जोड़ने के बाद भी, इलेक्ट्रिक वाहन नियमित इंजन वाले वाहनों की तुलना में कम शोर करेंगे।
पिछले कुछ वर्षों में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में वृद्धि हुई है। कोरोना महामारी के दौरान व्यक्तिगत वाहन के तौर पर ग्राहकों ने इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति भी विशेष रूचि दिखाई है। इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास की अगुवाई कर रहे हैं। केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को संसद में ईवी बिक्री में शीर्ष भारतीय राज्यों की सूची का खुलासा किया।
इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकरण के मामले में उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक शीर्ष तीन राज्यों के रूप में उभरे हैं। नितिन गडकरी ने यह भी कहा कि भारत में अब तक 8,70,141 इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण हो चुका है। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 2,55,700 यूनिट इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हैं। वहीं इसके बाद दिल्ली में 1,25,347 यूनिट और कर्नाटक में 72,544 यूनिट इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण किया गया है।
शीर्ष पांच राज्यों में, बिहार 58,014 इलेक्ट्रिक वाहनों और महाराष्ट्र 52,506 इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ चौथे और पांचवें स्थान पर रहा। इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र सरकार ने 2015 में भारत में 'फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, यानि FAME योजना की शुरूआत की थी।
अप्रैल 2019 में केंद्र सरकार ने फेम-2 (FAME-II) योजना की घोषणा करते हुए 10,000 करोड़ रुपये की अतरिक्त बजट की घोषणा की और इस योजना को पांच साल के लिए बढ़ा दिया। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगने वाले जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया।
फेम-2 नीति के तहत चार्जिंग स्टेशनों के विकास को बढ़ावा देने के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर जीएसटी को भी कम किया गया। कई राज्य सरकारों ने भी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए अपनी संबंधित ईवी नीति की घोषणा की है। इलेक्ट्रिक वाहन नीति का उद्देश्य केवल मांग को बढ़ा ही नहीं बल्कि उत्पादन को भी प्रोत्साहन देना है।