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देश में ई20 पेट्रोल की बिक्री अप्रैल 2023 से होगी शुरू, इथेनॉल के उत्पादन को मिलेगा बढ़ावा
भारत सरकार पेट्रोल के आयत को कम करने के लिए देश में बायो फ्यूल के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। मौजूदा समय में देश में ई10 (E10) पेट्रोल की बिक्री की जा रही है जिसमें 90 प्रतिशत पेट्रोल के साथ 10 प्रतिशत बायो फ्यूल यानी इथेनॉल मिलाया जा रहा है। हालांकि, भारत सरकार की योजना इथेनॉल के मिश्रण को बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने की है।
अगले साल से शुरू होगी ई20 पेट्रोल की बिक्री
पेट्रोलियम मंत्रालय ने अप्रैल 2023 से ई20 (E20) ईंधन की बिक्री का लक्ष्य रखा है। इस ईंधन में 80 प्रतिशत पेट्रोल और 20 प्रतिशत इथेनॉल का मिश्रण होगा। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने कहा कि देश में ई20 पेट्रोल की बिक्री अप्रैल 2023 से शुरू हो जाएगी। वहीं 2025 तक इथेनॉल की मात्रा को बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक कर दिया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग से भारत हर साल 41,500 करोड़ रुपये के राजस्व की बचत कर रहा है। इसके अलावा, 27 लाख टन ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम किया जा सकेगा। उन्होंने बताया की 20 प्रतिशत इथेनॉल की ब्लेंडिंग से हर साल पेट्रोल के आयत पर 4 बिलियन डॉलर की बचत की जा सकेगी।
बायो फ्यूल प्लांट का हुआ उद्घाटन
आपको बता दें कि 10 अगस्त को विश्व जैव ईंधन दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत में बायो फ्यूल प्लांट का उद्घाटन किया। इस प्लांट को तैयार करने में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने 900 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। इस प्लांट में हर साल 3 करोड़ लीटर इथेनॉल (बायो फ्यूल) तैयार किया जाएगा। यह इतना है कि इससे हर साल 63,000 कारें चलाई जा सकती हैं।
ऐसे तैयार होता है बायो फ्यूल
बायो फ्यूल को तैयार करने के लिए कई तरह के जैविक उत्पादों का उपयोग किया जाता है। आमतौर पर बायो फ्यूल को तैयार करने के लिए मक्के, गन्ने और चावल की फसल का उपयोग किया जाता है। कई देशों में बायो फ्यूल (इथेनॉल) को तैयार करने के लिए जट्रोफा (Jatropha) का इस्तेमाल किया जाता है, जो एक तरह का पौधा है।
इन सभी जैविक उत्पादों को बायो फ्यूल बनाने वाली फैक्ट्री में कई चरणों में रासयनिक प्रोसेसिंग की प्रक्रिया से गुजारा जाता है। इन फैक्ट्रियों में अंतिम उत्पाद के तौर पर बायो फ्यूल निकलता है जिसकी कैलोरिफिक वैल्यू यानी ऊर्जा पैदा करने की क्षमता पेट्रोल से कम होती है लेकिन इनके जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य जहरीली गैसों का उत्सर्जन भी कम होता है।
बायो फ्यूल यानी इथेनॉल कई तरह से फायदेमंद है। अगर वाहन में बायो फ्यूल से तैयार किया गया फ्लेक्स फ्यूल इस्तेमाल किया जा रहा है तो इससे प्रदूषण में कमी की जा सकती है। फ्लेक्स फ्यूल जब वाहन के इंजन में जलता है तो यह कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और अन्य खतरनाक गैसों के उत्सर्जन को कम करता है। उदाहरण के तौर पर, E20 फ्लेक्स फ्यूल मिश्रण कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन को दोपहिया वाहनों में लगभग 50 प्रतिशत और चार पहिया वाहनों में लगभग 30 प्रतिशत कम करता है।
साथ ही, यह मिश्रण समग्र रूप से ईंधन की लागत को कम करता है। इसके अलावा, जैव ईंधन के उपयोग से ब्रेक थर्मल एफिशिएंसी भी बढ़ जाती है। हालांकि, कैलोरिफिक वैल्यू होने के चलते बायोफ्यूल की खपत ज्यादा होती है।