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Doctor Turns Into A Auto Rickshaw Driver: सरकारी डॉक्टर नौकरी छोड़ बना ऑटो ड्राइवर, बताई यह वजह
जहां एक ओर पूरे देश में कोरोना वायरस महामारी फैली हुई है और प्रशिक्षित डॉक्टरों की बेहद जरूरत है। ऐसे में कर्नाटक राज्य के एक 53-वर्षीय जिला प्रजनन और बाल स्वास्थ्य अधिकारी ने अपनी नौकरी छोड़कर ऑटोरिक्शा चलाना शुरू कर दिया है।
इस डॉक्टर ने 15 माह से वेतन न मिलने के चलते ऑटो चलाना शुरू किया है। जानकारी के अनुसार इस डॉक्टर का नाम डॉ. रविंद्रनाथ एमएच है और वह बल्लारी जिले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में 24 सालों से कार्यरत हैं।
मौजूदा समय में यह डॉक्टर देवनागरी शहर में ऑटो रिक्शा चला रहे हैं। पीड़ित डॉक्टर ने अपनी इस हालत का जिम्मेदार आईएएस अधिकारियों को बताया है। पीड़ित डॉक्टर ने बताया कि उनकी समस्या की शुरुआत साल 2018 से शुरू हुई है जब एक आईएएस अधिकारी का तबादला हुआ था।
रवींद्रनाथ कहना है कि "एक जिला पंचायत सीईओ ने जब अपना चार्ज लिया, उसी के बाद से ही उन्होंने मुझे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया।" उन्होंने कहा कि "मुझे बीते साल 6 जून को संस्पेड कर दिया गया था, क्योंकि अधिकारियों ने हेल्थ स्टाफ की आउटसोर्सिंग पर टेक्निकल एरर पाया था।"
उन्होंने कहा कि "मेरे यह साबित करने के बाद भी कि इस मामले में मेरी कोई गलती नहीं है, मुझे सस्पेंड कर दिया गया था। चार दिन बाद, मैंने कर्नाटक प्रशासनिक न्यायाधिकरण (केएटी) में अपील की, जिसने अक्टूबर में सरकार के आदेश को उलट दिया और मुझे बहाल करने के आदेश दिए थे।"
तब वह दिसंबर में कलाबॉर्गी जिले के सेदम जनरल अस्पताल में एक वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के रूप में तैनात थे। जब उन्हें दोबारा पोस्टिंग दी गई तो उन्हें पूर्व पद से नीचे का पद दिया थ। इसके लिए उन्होंने केएटी में आवेदन किया कि उन्हें जिला-स्तर अस्पताल में पोस्टिंग मिलनी चाहिए।
केएटी ने विभाग को जिला-स्तर अस्पताल में मेरी बहाली के लिए एक माह का समय दिया था। रवींद्रनाथ का कहना है कि "ब्रास ने कैट के इन आदेशों की अनदेखी की है और मेरी पोस्टिंग आज भी कहीं नहीं की गई है। जब मैंने स्थानांतरण की मांग की तो उसे भी मना कर दिया गया।"