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Hydrogen Fuel Cell Ship: जल्द ही आएगी हाइड्रोजन फ्यूल सेल पर चलने वाली विशाल फेरी जहाज
जब भी ग्रीन मोबिलिटी और इलेक्ट्रिक वाहनों की बात होती है तो डेनमार्क और नॉर्वे जैसे स्कैंडिनेवियन देशों का नाम सबसे पहले आता है। यह देश अपने यहां स्वच्छ ऊर्जा की तकनीकों विकास और अनुसंधान में लगातार काम कर रहे हैं और दुनिया के सामने प्रदूषण रहित वाहनों की तकनीक पेश कर रहे हैं। अभी हाल ही में डेनमार्क और नॉर्वे ने खुलासा किया है कि दोनों देश हाइड्रोजन से चलने वाली नाव के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।

यह नाव डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन से नॉर्वे की राजधानी ओसलो तक फेरी के तौर पर चलाई जाएगी। यह नाव टाइटैनिक के जैसी विशाल होने वाली है और एक बार में 1,800 यात्रियों को ले जाने की क्षमता रखती है।

दोनों देशों ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए यूरोपीय यूनियन से आर्थिक सहायता मांगी है। दोनों देशों का दावा है कि यह प्रोजेक्ट समुद्री परिवहन को बदलने की क्षमता रखता है और जलवायु परिवर्तन को रोकने में मददगार साबित हो सकता है।
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इस विशालकाय फेरी शिप का नाम यूरोपा सीवेज रखा गया है और यह अपनी तरह का सबसे पॉवरफुल जहाज होने वाला है। इसके ताकत का अंदाजा सिर्फ इससे लगाया जा सकता है कि यह 1,800 यात्रियों के साथ 380 कार यह 120 ट्रकों को भी ले जा सकता है।

इस जहाज के इंजन को 23-मेगावाट का हाइड्रोजन सेल ऊर्जा प्रदान करेगा। प्रोजेक्ट पर काम कर रही कंपनी ने बताया है कि यह जहाज हर साल कोपेनहेगन और ओसलो के बीच चलने वाली 13,000 कारों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन की बचत करेगी।
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एक अनुमान के अनुसार फेरी शिप के जरिये प्रत्येक वर्ष 64,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम किया जा सकेगा। नॉर्वे और डेनमार्क सबसे पहले इलेक्ट्रिक कारों का इस्तेमाल करने वाले देशों में है। कई यूरोपीय देशों ने 2030 से केवल इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद बिक्री करने का कानून लागू कर दिया है।

भारत में भी हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक का विकास शुरू हो चुका है। हाल ही में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने पुणे में हाइड्रोजन फ्यूल सेल पर चलने वाली कार का सफल परीक्षण किया है। यह कार हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की मदद से ऊर्जा तैयार करती है इसलिए इसमें उत्सर्जन शून्य है।