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सरकारी अधिकारियों द्वारा प्राइवेट वाहनों के इस्तेमाल पर दिल्ली परिवहन विभाग ने दी चेतावनी
दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग ने राज्य सरकार के विभागों में कमर्शियल वाहनों के जगह प्राइवेट वाहनों के हो रहे इस्तेमाल पर सरकार को सूचित किया है। विभाग की प्रवर्तन टीम ने हाल ही में दिल्ली सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली सरकार के अंतर्गत कई विभागों में अधिकारी कमर्शियल वाहनों के जगह प्राइवेट वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो मोटर वाहन अधिनियम,1988 का उल्लंघन है।
दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग ने सरकार से ऐसे विभागों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की है। विभाग ने बुधवार को एक सूचना में कहा, "हमारे संज्ञान में है कि दिल्ली सरकार के कई स्वायत्त, अधिकृत और स्थानीय निकाय आधिकारिक उपयोग के लिए प्राइवेट रजिस्ट्रेशन के वाहनों का इस्तेमाल का रहे हैं।"
ट्रांसपोर्ट विभाग ने कहा कि यह साफ तौर पर मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत बनाए गए नियमों उल्लंघन है। दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग ने राज्य सरकार के अन्य विभागों को एक सूचना में ऐसे वाहनों के इस्तेमाल बंद करने की अपील की है। विभाग ने कार्रवाई से बचने के लिए आधिकारिक उपयोग के लिए केवल कमर्शियल रजिस्ट्रेशन के वाहनों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है।
आपको बता दें कि प्राइवेट और कमर्शियल वाहनों के अंतर को नंबर प्लेट से पहचाना जा सकता है। प्राइवेट वाहनों पर सफेद रंग के नंबर प्लेट लगाए जाते हैं जबकि कमर्शियल वाहनों के नंबर प्लेट पीले रंग के होते हैं।
मोटर वाहन अधिनियम,1988 के अनुसार सरकार को अपने आधिकारिक वाहनों का कमर्शियल रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। ऐसे वाहन प्राइवेट रजिस्ट्रेशन के माध्यम से नहीं चलाए जा सकते। यह नियम केंद्र और राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले सभी विभागों और संस्थानों पर लागू होता है।
मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार सरकारी अधिकारियों के द्वारा विभाग के आधिकारिक वाहनों का व्यक्तिगत इस्तेमाल करना गैरकानूनी है। हालांकि, 2021 में एक विशेष आदेश के तहत चंडीगढ़ में सरकारी अधिकारियों को शर्त के आधार पर आधिकारिक वाहनों का इस्तेमाल व्यक्तिगत तौर पर करने की छूट दी गई है।
सरकार ने शर्त रखी है कि सरकारी अधिकारी महीने में विभाग की गाड़ी से 1,000 किलोमीटर से ज्यादा व्यक्तिगत इस्तेमाल नहीं करेंगे। व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए 1 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से अधिकारियों को किराया चुकाना होगा। इसके लिए अधिकारियों को सरकार से लिखित अनुमति लेनी होगी।