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CKD And CBU Vehicle Difference: सीकेडी और सीबीयू वाहनों में क्या अंतर है? जानें यहां
आपने पहले भी सीकेडी और सीबीयू के बारे में सुना होगा। भारत में कई ऐसी कारें और बाइक्स हैं, जिन्हें सीकेडी और सीबीयू यूनिट के तौर पर बेचा जाता है। आज हम आपको यहां बताने जा रहे हैं कि सीकेडी और सीबीयू यूनिट्स क्या होते हैं और इन दोनों में क्या अंतर होता है।
कम्प्लीटली बिल्ट यूनिट (सीबीयू) क्या है?
पूरी तरह से निर्मित इकाई वह शब्दावली है जब एक कार या बाइक को किसी अन्य देश से एक अन्य देश में आयात किया जाता है। आपको बता दें कि इस वाहनों को पूरी तरह से एसेम्बल्ड रूप में आयात किया जाता है।
इन ऑटोमोबाइल को आयातित देश की बाजारों में खरीदारों को बेचे जाने से पहले एसेम्बली की जरूरत नहीं होती है। भारत में बहुत की लग्जरी और स्पोर्ट्स कारों को कम्प्लीटली बिल्ट यूनिट के तौर लाया जाता है और बेचा जाता है।
इसे खरीदने के लिए एक्साइज ड्यूटी के साथ-साथ कई अन्य तरह के शुल्क देने होते हैं। मेक्लेरन, फेरारी और कई ऐसे हाई एंड कार ब्रांड हैं, जो भारतीय बाजार में अपनी कारों को कम्प्लीटली बिल्ट यूनिट के तौर पर बेच रहे हैं।
कम्प्लीटली नॉक्ड डाउन यानी सीकेडी क्या है?
कम्प्लीटली नॉक्ड डाउन कार या बाइक ऐसे वाहन होते हैं, जिन्हें अलग-अलग हिस्सों में किसी एक देश से दूसरे देश में निर्यात किया जाता है। ऐसे वाहनों को सबसे पहले आयातित देश में एक एसेंम्बली प्लांट में भेजा जाता है।
इस एसेंम्बली प्लांट में इन वाहनों के सभी पार्ट्स को जोड़ा जाता है और एक पूर्ण वाहन का रूप दिया जाता है। इस प्रकार की वाहनों से आयातित देश में रोजगार पैदा होता है, इन्हें एसेम्बल करने के लिए मशीनरी और मैन पॉवर लगता है।
भारत में सीकेडी कारों में रेनॉल्ट फ्लूएंस, जगुआर की एक्सई, एक्सएफ, एक्सजे, लैंड रोवर की ईवोक, डिस्कवरी स्पोर्ट और अन्य कई कार ब्रांड शामिल हैं। सीकेडी कार्स आम तौर पर सीबीयू कारों की तुलना में सस्ती होती हैं।
सीबीयू और सीकेडी में क्या अंतर है?
सीबीयू और सीकेडी टेक्निकल टर्म के मामले में बहुत अलग नहीं हैं, सिवाय इसके कि सीबीयू कारों, बाइक्स या वाहनों को उसी देश में एसेम्बल किया जाता है, जहां वे उत्पन्न होते हैं और फिर अन्य देश को निर्यात किया जाता है।
वहीं सीकेडी कारों, बाइक्स या वाहनों को दूसरे देश में आयात किया जाता है, जहां वाहनों के सभी पार्ट्स को एसेम्बल किया जाता है और फिर ग्राहकों को बेचा जाता है। हालांकि भारत में इन दोनों की इम्पोर्ट ड्यूटी में काफी अंतर है।
मौजूदा समय में भारत में विदेशों से आने वाले सीबीयू वाहनों पर आयात शुल्क लगभग 110 प्रतिशत तक है, वहीं सीकेडी वाहनों पर यह शुल्क 60 प्रतिशत तक है। यह अंतर इसलिए है क्योंकि सीबीयू वाहन लक्षित देश में रोजगार पैदा नहीं करते हैं।