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बैटरी निर्माण में चीन को टक्कर देगा भारत, कैबिनेट ने दी 18,000 करोड़ रुपये की PLI Scheme को मंजूरी
सरकार ने बैटरी स्टोरेज (Battery Storage) के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI Scheme) की घोषणा कर दी है। बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी कि बैटरी स्टोरेज के लिए 18,100 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना को मंजूरी दी गई है।
घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर जोर
अभी भारत बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी का आयात करता है। सरकार चाहती है कि इसके इंपोर्ट को कम किया जाए और घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग बढ़ें। इस मिशन के तहत एनवायरमेंट फ्रेंडली विकल्पों के लिए नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अगुवाई में एक इंटर-मिनिस्ट्रियल कमेटी बनी थी। मिशन का लक्ष्य बड़े स्तर पर बैटरी मॉड्यूल और असेंबली प्लांट लगाना है। साथ ही, इंटीग्रेटेड सेल मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दिया जाएगा।
क्या है सरकार का फैसला
एडवांस केमिस्ट्री सेल बैटरी स्टोरेज के नेशनल प्रोग्राम को मंजूरी मिल गई है। इन बैटरी बनाने वाली कंपनियों को 18 हजार करोड़ रुपये का इंसेंटिव मिलेगा। यह रकम 5 साल में पीएलआई स्कीम के तहत कंपनियों को दी जाएगी। इंपोर्ट पर शिकंजा कसने के लिए सरकार सख्त कदम उठा रही है।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए PLI स्कीम की शुरुआत की है। इसके जरिए कंपनियों को भारत में अपनी यूनिट लगाने और एक्सपोर्ट करने पर विशेष रियायत के साथ-साथ वित्तीय सहायता भी दी जाती है।
कितना होगा इन्वेस्टमेंट
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि इस प्रोग्राम के तहत कुल 45 हजार करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट होगा। इसमें विदेशी और घरेलू दोनों कंपनियों को शामिल किया गया है। प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कंपनियों को इंसेंटिव की रकम प्रोडक्ट के सेल्स के आधार पर, प्रोडक्ट कितना एनर्जी एफिशिएंट है, उसकी गुणवत्ता, इन सभी चीजों को ध्यान में रखतें हुए रकम मिलेगी।
इन कंपनियों को होगा फायदा
देश में बैटरी बनाने वाली हर छोटी-बड़ी कंपनी को इसका फायदा मिलेगा। साथ ही, घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग से देश में नए रोजगार के अवसर भी बनेंगे। केंद्र सरकार के अनुसार, भारत 20 हजार करोड़ रुपये बैटरी इंपोर्ट पर खर्च करता है। इन बैटरियों के देश में बनने से देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे साथ ही, इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा मिलेगा। देश में बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स, 4-व्हीलर्स तेजी से बढ़ेंगे।
इसके अलावा हैवी व्हीकल्स जैसे ट्रक को भी इलेक्ट्रिक पर लाने की तैयारी चल रही है। मौजूदा समय में फास्ट चार्जिंग बैटरी की जरूरत है। इस फैसले से उसको भी बढ़ावा मिलेगा। रेलवे और शिपिंग में भी बैटरी के इस्तेमाल की तैयारी चल रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर इलेक्ट्रिक वाहनों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है तो इससे 2030 तक ऑयल इंपोर्ट बिल में 40 बिलियन डॉलर (करीब 2.94 लाख करोड़ रुपये) की कमी आएगी।