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नए वाहन पर 1 सितंबर से बंपर-टू-बंपर वाहन इंश्योरेंस लेना अनिवार्य, जानें पूरी डिटेल
मद्रास हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए 1 सितंबर, 2021 से बिकने वाले सभी वाहनों पर 'बंपर-टू-बंपर' इंश्योरेंस को अनिवार्य कर दिया है। यह इंश्योरेंस 5 साल की अवधि के लिए ड्राइवर, पैसेंजर और वाहन के मालिक को कवर करने वाले इंश्योरेंस के अतिरिक्त होगा। जस्टिस एस वैद्यनाथन (S Vaidyanathan) ने हाल ही में अपने आदेश में कहा है कि वाहन के मालिक को ड्राइवर, पैसेंजर और थर्ड पार्टी के साथ ही खुद के हितों की रक्षा करने में सतर्क रहना चाहिए। जिससे उन पर कोई अनावश्यक बोझ न आए।
उन्होंने इरोड में स्पेशल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के 7 दिसंबर 2019 के आदेश को चुनौती देने वाली न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की एक रिट याचिका को अनुमति दी। बीमा कंपनी ने कहा कि विचाराधीन इंश्योरेंस पॉलिसी केवल थर्ड पार्टी द्वारा वाहन को पहुंचे नुकसान के लिए थी, न कि वाहन में सवार लोगों के लिए। बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि कार मालिक के अतिरिक्त प्रीमियम देने पर कवरेज बढ़ाया जा सकता है।
जज ने कहा कि यह दुखद है कि जब कोई वाहन बेचा जाता है, तो खरीदार को पॉलिसी की शर्तों और इसके महत्व के बारे में साफ तौर पर नहीं बताया जाता है। इसी तरह वाहन खरीदते समय खरीदार को भी पॉलिसी के नियमों तथा शर्तों को अच्छी तरह समझने में कोई दिलचस्पी नहीं होती, क्योंकि वह वाहन के प्रदर्शन के बारे में अधिक चिंतित रहता है, न कि पॉलिसी के बारे में।
जज के कहा कि जब ग्राहक एक वाहन खरीदने के लिए बड़ी राशि खर्च करने के लिए तैयार है, तब यह जानकर आश्चर्य होता है कि वह अपने या दूसरों की सुरक्षा के लिए पॉलिसी लेने के लिए मामूली राशि में खर्च करने में दिलचस्पी क्यों नहीं रखता।
क्या है बंपर-टू-बंपर इंश्योरेंस
जब कार को एक्सीडेंट के में ज्यादा नुकसान होता है तो ऐसे में बंपर-टू-बंपर इंश्योरेंस का खास महत्व होता है। इंश्योरेंस कार के हर कल-पुर्जे का इंश्योरेंस कवर करती है। इंश्योरेंस कंपनी इस पॉलिसी के तहत गाड़ी के हर उस पार्ट का पेमेंट करती है जिसे नुकसान पहुंचता है। वह पार्ट फिर चाहे कितना ही छोटा क्यों ना हो। कुल मिलाकर बंपर-टू-बंपर इंश्योरेंस के तहत 100 फीसदी कवर मिलता है।
वाहनों में होगा BH सीरीज नंबर का इस्तेमाल
केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र से जुड़े कर्मचारियों, केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारियों और 5 से ज्यादा राज्यों में कार्यालय वाली प्राइवेट कंपनियों के कर्मचारियों की एक बड़ी समस्या का समाधान कर दिया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एक से दूसरे राज्य में शिफ्ट होने वाले कर्मचारियों को वाहनों के पुनः पंजीकरण (Vehicles Re-Registration) की प्रक्रिया से छुटकारा दे दिया है।
अब एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट होने वाले लोगों को BH-सीरीज रजिस्ट्रेशन जारी किया जाएगा जिससे उन्हें नए राज्य में दोबारा रजिस्ट्रेशन करवाने की जरूरत नहीं होगी। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद लोग बिना किसी झंझट के आसानी एक से ज्यादा राज्य में अपने वाहनों को चला सकेंगे।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत दूसरे राज्ये में वाहन के इस्तेमाल के लिए 12 महीनों के भीतर री-रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है। ऐसे लोगों को सबसे पहले जहां गाड़ी पंजीकृत है, वहां से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लेना पड़ता है। इसके बाद नए राज्य में रोड टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। फिर जहां गाड़ी सबसे पहले रजिस्टर्ड हुई थी, वहां रोड टैक्स रिफंड के लिए आवेदन देना पड़ता है। BH सीरीज रजिस्ट्रेशन में इन सभी प्रक्रियाओं से छुटकारा दे दिया गया है।