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Green Zone Created For Ambulance: एम्बुलेंस के लिए लोगों ने बनाया ग्रीन जोन, बची मरीज की जान
मेडिकल इमरजेंसी के समय ट्रैफिक पुलिस सडकों से ट्रैफिक हटाकर जीरो ट्रैफिक जोन या ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण करती है ताकि एम्बुलेंस बिना किसी रुकावट के आसानी से गुजर सके। शहरों में ट्रैफिक के बीच जीरो ट्रैफिक जोन बनाना आसान काम नहीं है नहीं है। इसमें पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ग्रीन कॉरिडोर से निकलते हुए एम्बुलेंस अगर समय पर अस्पताल पहुंच जाए तो मरीज की जान बचने के आसार बढ़ जाते हैं।
अभी हाल ही में दक्षिण कर्नाटक से एक ऐसी ही खबर सामने आई है जिसमे ग्रीन कॉरिडोर से निकलते हुए एम्बुलेंस ने 370 किलोमीटर का सफर केवल 4 घंटों में ही पूरा कर लिया। इस एम्बुलेंस में 22 वर्षीय महिला मरीज को ले जाया जा रहा था जिसे इमरजेंसी सर्जरी की जरूरत थी।
एम्बुलेंस ड्राइवर को पुत्तुर स्थित महावीर मेडिकल केंद्र से बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड स्थित वैदेही अस्पताल का 370 किलोमीटर का सफर जल्द-से -जल्द पूरा करना था। अस्पताल प्रशासन ने मामले की गंभीरता से बेंगलुरु पुलिस को अवगत कराया जिसके बाद पुलिस ने रास्ते में ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण करना शुरू कर दिया।
एम्बुलेंस ड्राइवर ने ट्रैफिक पुलिस को रूट के बारे में जानकारी दी जिसके बाद पुलिस ने बताये गए रूट पर ट्रैफिक को खली करना शुरू कर दिया। रूट में पड़ने वाले इलाकों में पुलिस ने स्थानीय लोगों से ट्रैफिक हटाने की अपील की और मामले की गंभीरता को बताया।
पुलिस की अपील पर स्थानीय लोगों की मदद से पूरे रूट में ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण कर लिया गया। एम्बुलेंस के गुजरने के कुछ मिनट पहले पुलिस उस रास्ते को खली करने की अपील करती जिसके बाद ट्रैफिक बिलकुल साफ़ हो जाता।
पुलिस ने इस काम के लिए एनजीओ और समाज सेवी संस्थानों का भी सहारा लिया। पुलिस मैसेज के जरिये एम्बुलेंस के आने वाले रूट की जानकारी मैसेज के द्वारा कर्मचारियों को दे रही थी, जिसको संज्ञान में लेते हुए उस रास्ते को एम्बुलेंस के लिए पहले ही खाली करा दिया जाता था।
एम्बुलेंस अपने गंतव्य पर 4 घंटे और 5 मिनट में पहुंच गई जिसके बाद सर्जरी कर मरीज की जान बचा ली गई। एम्बुलेंस के ड्राइवर ने बताया कि अगर लोगों ने ग्रीन जोन बनाने में मदद नहीं की होती तो एम्बुलेंस का समय पर पहुंच पाना नामुमकिन था। बिना ग्रीन जोन के एम्बुलेंस को पहुँचने में 6-7 घंटे का समय लग जाता।