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Active & Passive Safety Features: कार में क्या होते हैं एक्टिव और पैसिव सेफ्टी फीचर्स? जानें यहां
पूरी दुनिया में लगातार कारों की संख्या बढ़ती जा रही है। सड़कों पर वाहनों का घनत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में मुमकिन है कि ड्राइविंग की खराब आदतों के चलते दुर्घटनाओं की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसी के चलते कार निर्माता कंपनियों को जरूरत पड़ी कार में सेफ्टी फीचर्स देने की। बता दें कि कार में एक्टिव और पैसिव दो तरह के सेफ्टी फीचर्स दिए जाते हैं।

सबसे पहले बात करते हैं एक्टिव सेफ्टी फीचर्स की, तो जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि ये सेफ्टी सिस्टम हमेशा किसी भी दुर्घटना और दुर्घटना को कम करने के लिए कार में हमेशा सक्रिय रहते हैं। ये सिस्टम कई तरह के सेंसर्स इस्तेमाल करते हैं। तो आइए आपको बताते हैं कुछ एक्टिव सेफ्टी फीचर्स के बारे में।

एडाप्टिव क्रूज कंट्रोल (एसीसी)
पहले बात करते हैं एडाप्टिव क्रूज कंट्रोल के बारे में तो यह फीचर क्रूज कंट्रोल का हायर वर्जन है, जो कि कार की रफ्तार को आगे चलने वाले वाहन की रफ्तार के अनुसार एडजस्ट कर सकता है।
लेन डिपार्चर वॉर्निग (एलडीडब्ल्यू)
लेन डिपार्चर वॉर्निंग सिस्टम के लिए रेडार, अल्ट्रासॉनिक और लिडार सेंसर का इस्तेमाल करता है। इन सेंसर्स का इस्तेमाल स्पष्ट रूप से पथ की पहचान करने के लिए होता है।
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नाइट विजन
ऑटोमोटिव लाइट्स के साथ इतने सारे इनोवेशन के बावजूद रात के अंधेरे में चालक को सामने देखने में काफी दिक्कत होती है। नाइट विजन की मदद से चालक रात में भी अपने रास्ते को साफ तौर पर देख सकता है।

ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन (बीएसडी)
ब्लाइंड स्पॉट वाहन के आसपास के क्षेत्र हैं, जिन्हें रियर-व्यू मिरर और साइड व्यू मिरर द्वारा नहीं देखा जा सकता है। ऐसे में ब्लाइंड स्पॉट पर किसी भी वस्तु या अन्य वाहन के बारे में चालक को सचेत करने के लिए एक ऑटोमेटिक अलर्ट साइन/इंडीकेटर का इस्तेमाल किया जाता है।
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ड्राइविंग मॉनिटरिंग सॉल्यूशन
ड्राइवर मॉनिटरिंग सॉल्यूशन या सिस्टम सामान्य रूप से ड्राइवर के चेहरे विभिन्न हरकतों पर नजर रखता है और उसे ट्रैक करता है। इसके लिए सिंगल कैमरे का इस्तेमाल किया जाता है। एक डीएमएस सिस्टम चालक को डिस्ट्रैक्शन अलर्ट देता है।

पैसिव फीचर्स
जहां हमने एक्टिव सेफ्टी फीचर्स में बताया है कि कौन से ऐसे फीचर्स हैं, जो चालक को सड़क पर असिस्ट करते हैं और उसे सुरक्षित रखने का काम करते हैं। इसके बाद भी कुछ मामलों में यह पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान नहीं कर पाते हैं। ऐसे में ही काम आते हैं कार में लगाए गए पैसिव सेफ्टी फीचर्स की।
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इन पैसिव सेफ्टी फीचर्स सबसे कॉमन सीटबेल्ट और एयरबैग होते हैं। बता दें कि एयर बैग्स का इस्तेमाल सबसे पहले स्वीडिश कार निर्माताओं ने किया था, जिसके बाद अब इसे लगभग सभी कारों में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए कार में सेंसर्स लगाए जाते हैं।

इन पर सेंसर्स दबाव पड़ते ही एक सेकेंड के कुछ छोटे हिस्से में यह एयरबैग चालक और पैसेंजर की सुरक्षा के लिए खुल जाते हैं। वहीं सीट बेल्ट की बात करें तो जिसे लंबे समय से कार में एक सुरक्षा फीचर के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।