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भारत में कार और बाइक इम्पोर्ट करने से पहले आपको ये बातें जरूर जाननी चाहिए
एक कार को विदेश से इम्पोर्ट करने के लिए बहुत से फैक्टर्स से दो चार होना पड़ता है। हमारे देश में विदेशी वाहनों को आयात किये जाने के लिए कई नियमों और प्रक्रिया से होकर गुजरना पड़ता है।
लग्जरी और तेज रफ्तार कार ड्राइव करने का शौक हर किसी को होता है। हर किसी की ख्वाहिश होती है कि वो दुनिया की बेहतरीन से बेहतरीन कार में सफर करे। ऐसा कुछ लोग कर भी लेते हैं क्योंकि उनके पास पैसा होता है। लेकिन देश में ऐसे लोगों की संख्या बहुत ही गिनी चुनी है।
दुनिया भर में मशहूर रोल्स रॉयस, फेरारी, लेम्बोर्गिनी, बुगाटी अादि जैसे बड़े ब्रांड की कारों को देखकर हर किसी का मन लालायित हो जाता है। लेकिन इन दिग्गज कार निर्माताओं की बहुत से ऐसे मॉडल हैं जो कि भारतीय बाजार में आधिकारिक रुप से लांच नहीं किये गये है। यदि किसी भारतीय को उन मॉडल्स को खरीदना होता है वो इसे विदेश से इम्पोर्ट करते हैं। इसके लिए उन्हें कार की वास्तविक कीमत से कई गुना ज्यादा पैसे खर्च करने होते हैं।
इसके पीछे सरकार के नियम कानून मुख्य कारण होते हैं। विदेश से खरीदे जाने वाले कार और बाइक के लिए सरकार द्वारा बनाये गये तमाम नियम कानून है। जिनके पूरा होने के बाद ही कोई भारतीय विदेश से वाहन की खरीदारी कर सकता है। चूकिं भारतीय बाजार से बहुत से विदेशी वाहन निर्माता कंपनियां अपने खराब बिक्री के कारण यहां से वापसी कर चुकी हैं लेकिन बावजूद इसके देश में कई ऐसे खरीदार हैं जो कि उनके वाहनों को खरीदना चाहते हैं।
हालांकि लग्जरी विदेशी वाहन की खरीदारी करने के पीछे कई कारण हैं जो इसे प्रभावित करते हैं। मसलन ऐसी लग्जरी कारों के लिए हाई आॅक्टेन ईंधन का प्रयोग किया जाता है। लेकिन भारतीय बाजार में हाई आॅक्टेन ईंधन हर जगह उपलब्ध नहीं है। ऐसे में यदि कोई वाहन चालक ऐसी लग्जरी कारों में साधारण ईंधन का इस्तेमाल करता है तो इससे वाहन के इंजन और परफार्मेंश दोनों पर ही बुरा असर पड़ता है। दरअसल ऐसी लग्जरी कारों में 98 आॅक्टेन का ईंधन प्रयोग होता है और यहां भारतीय बाजार में सामान्य तौर पर 93 आॅक्टेन का ईंधन मिलता है। यानि की कार के लिए उंची कीमत खर्च करने के बावजूद भी कई ऐसे कारण हैं जो उन्हें प्रभावित करते हैं।
लेकिन कारणों की फेहरिस्त यहीं खत्म नहीं होती है एक कार को विदेश से इम्पोर्ट करने के लिए बहुत से फैक्टर्स से दो चार होना पड़ता है। आज हम आपको अपने इस लेख में इसी बारे में बतायेंगे, तो आइये जानते हैं कि किसी कार और बाइक को विदेश से इम्पोर्ट करने के लिए किन नियमों का पालन करना जरूरी होता है -
भारत में कार या बाइक आयात करने के लिए प्रक्रियाएं और नियम:
विदेश व्यापार निदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा रखे गए प्रावधान निम्नानुसार हैं:
1) केवल उन्हीं कारों का आयात किया जा सकता है जो -
A. जिन कारों का निर्माण भारतीय कंपनियां नहीं करती हैं।
B. आयात करने से पहले वाहन पर किसी भी प्रकार का ऋण या पट्टा न हो।
C. वाहन के आयात प्रक्रिया से पहले उस पर किसी भी विदेशी देशों के नियम कानून के साथ वो रजिस्टर्ड न हो।
2. कार या बाइक में स्पीडोमीटर इंपीरियल यूनिट (मीटर प्रतिघंटा) के बजाय मीट्रिक इकाइयों (किलोमीटर प्रतिघंटा) का पालन करना चाहिए।
3. वाहन में स्टीयरिंग व्हील दाएं हाथ पर स्थित होना चाहिए। यानि की वाहन राइट व्हील ड्राइव होना चाहिए। यह नियम बाइक के लिए लागू नहीं है।
4. वाहन में ऐसी हेडलाइट का प्रयोग किया जाना चाहिए जो कि भारतीय मानक के अनुसार बायीं तरफ की ड्राइविंग नियम का पालन करती हो।
5. जो भी वाहन इम्पोर्ट किया जाना हो वो वाहन निर्माता के देश में ही उपलब्ध हो। यदि वो वाहन किसी और देश में रखा गया हो तो उसके साथ शिपमेंट के लिए सभी जरूरी दस्तावेज होने आवश्यक हैं। अन्यथा आप वाहन को आयात नहीं कर सकते हैं।
6. आयात किये जाने वाला वाहन मोटर व्हीकल एक्ट 1988 का पालन जरूर करता हो।
7. यदि वाहन इम्पोर्टर या फिर डीलर के माध्यम से आयात किया जा रहो तो उसके लिए ये नियम हैं -
A. आयात किये जाने वाहन होमलोगेशन प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। यनि की, जब आप कार या बाइक आयात करते हैं, तो आयात प्रमाण पत्र केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 126 के अनुरूप होना चाहिए जो किसी भी परीक्षण एजेंसियों द्वारा जारी किया जाता है। संक्षेप में, आपको सड़क योग्यता प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा जो देश की किसी भी परीक्षण एजेंसी द्वारा जारी किया जाता है।
B. आयातक को निर्माता को दिए गए प्रावधानों की सभी जिम्मेदारी सीएमवीआर, 1989 के नियम 122 और 138 के अनुसार होना चाहिए।
C. इसके अलावा, आपको लिखित प्रमाण लेना होगा कि सीएमवीआर के नियम 126 ए के अनुसार उत्पादन की अनुरूपता के अनुपालन का सबूत आयात प्रक्रिया के छह महीने के भीतर जमा किया जाएगा। यदि आप ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उस ब्रांड से नए वाहनों के किसी भी आयात की अनुमति नहीं दी जाएगी।
8. किसी भी विदेशी वाहन के आयात प्रक्रिया केवल दिल्ली एयर कार्गो, न्हावा शेवा, मुंबई, कोलकाता, कोचीन, चेन्नई और अंतर्देशीय कंटेनर डिपो - तुगलकाबाद के कस्टम बंदरगाहों के माध्यम से ही अनुमति दी जाती है।
9. ऊपर निर्दिष्ट शर्त 1 और 2 निम्नलिखित परिस्थितियों में मान्य नहीं होगा:
A. यदि वाहन रक्षा आवश्यकताओं के लिए आयात किया जाता है।
B. यदि वाहन रिसर्च एंड डेवलेपमेंट प्रयोजनों के लिए आयात किया जाता है।
C. यदि कोई अप्रवासी भारतीय वापस अपने देश में आने के साथ अपने वाहन को ला रहा है। ऐसी दशा में उसके पास इस बात का प्रमाण होना चाहिए कि वो उक्त देश में पिछले दो वर्षों से रह रहा हो। इसके अलावा उक्त कार या बाइक जिसे वो अपने साथ ला रहा हो उस पर उसका मालिकाना हक कम से कम 1 साल का हो।
D. यदि आप भारत में रह रहे हैं और यदि आप इस लक्जरी आयातित वाहन को किसी प्रतियोगिता या घटना में पुरस्कार के रूप में जीतते हैं
E. यदि यह किसी भी मृत रिश्तेदार से संबंधित था जो विदेश में रहता था और वाहन को वारिस / उत्तराधिकारी के माध्यम से भारत वापस लाना चाहते हैं।
F. यदि आप एक विकलांग व्यक्ति हैं।
G. भारतीय सरकार के साथ पंजीकृत समुदाय लाभ के लिए काम कर रहे किसी भी धार्मिक या धर्मार्थ संस्थान विदेशी योगदान अधिनियम, 1976 के तहत मंजूरी के अधीन है।
H. यदि आप विदेशी दूतावासों, नौकरशाहों या राजनयिकों में से एक हैं जिन्हें भारत सरकार स्वयं रिक्मेंड कर रहा हो।
I. यदि आप किसी भी विदेशी समाचार एजेंसी से एक समाचार रिपोर्टर हैं, जिसे भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किया जाता है।
J. इसके अलावा यदि आप किसी ऐसी भारतीय कंपनी जिसका किसी विदेशी कंपनी के साथ भागीदारी हो या फिर किसी विदेशी इंडस्ट्री का ब्रांच आफिस भारत में हो।
10. उपर्युक्त बिंदु में निर्दिष्ट श्रेणियां केवल दाएं हाथ यानि कि, राईट हैंड व्हील ड्राइव वाली कारों के लिए मान्य होती हैं।
11. इसके अलावा, उन श्रेणियों को केवल एक वाहन आयात करने की अनुमति है। लेकिन बिंदु 9 (जे), यानी भारत में किसी भी अंतरराष्ट्रीय उद्योग के विदेशी भागीदारी या शाखा कार्यालय के साथ एक भारतीय कंपनी अधिकतम 3 वाहन आयात कर सकती है।
12. इसके अलावा, बिंदु 9 की श्रेणी जे को केवल विशेष वाहन आयात करने के लिए ही छूट दी जाती है।
13. लेकिन डीजीएफटी के पास उपरोक्त किसी भी नियतों में विशेष परिस्थितियों के लिए छूट देने का पूरा अधिकार है। इसके अलावा, सीमा 9 के श्रेणी एच को सीमा शुल्क का भुगतान करने से छूट दी जाती है, उन्हें शर्तों 1, 2, 3, 4 और 5 से भी छूट दी जाती है।
भारत में कार या बाइक आयात करने से पहले विचार करने के लिए महत्वपूर्ण बातें:
कुछ ऐसी भी महत्वपूर्ण बाते हैं जिनका ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आयातित किये जाने वाले वाहनों को होमोलोज़ेशन प्रक्रिया से मुक्त किया जाता है यदि वे इन निम्नलिखित श्रेणियों से संबंधित हैं -
पेट्रोल इंजन वाली कारें जिनकी इंजन क्षमता 3000 सीसी या उससे अधिक हो। डीजल इंजन वाली कारें जिनकी इंजन क्षमता 2500 सीसी या उससे अधिक हो। सुपरबाइक्स जिनकी इंजन क्षमता 800 सीसी या उससे अधिक हो। उसके बाद के एफओबी (बोर्ड पर फ्रेट) या सीआईएफ (लागत + बीमा + फ्रेट) या 40000 डॉलर या उससे अधिक मूल्य वाले वाहनों को इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होना होगा। इन वाहनों को अभी भी निर्माता के देश से निर्यात किए जाने से पहले एक ईसीई, एनसीएपी जैसी अधिकृत परीक्षण एजेंसी से प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है।
कार और बाइक पर लगने वाला आयात शुल्क ड्यूटी: -
लग्जरी कारों के लिए आयात शुल्क सीआईएफ मूल्य का 165% है - बाइक के लिए, यह सीआईएफ मूल्य का 116% है। इसके अलावा, राज्य सरकार के टैक्स स्लैब के अनुसार आरटीओ के साथ पंजीकरण लागत भी राज्य सरकार द्वारा लागू किया जायेगा।
भारत में कारों और बाइकों के आयात पर ड्राइवस्पार्क के विचार:
भारत में कारों या बाइकों को आयात करना उतना आसान नहीं है इसका मुख्य कारण है इसकी उंची कीमत। लेकिन भारतीय नियमों के अनुसार आयात प्रक्रिया में कई विभिन्न परिस्थितियों में छूट भी दी जाती है। जिसका लाभ लेकर कोई भी ऐसे वाहनों को इम्पोर्ट कर सकता है। इन सबके अलावा भारतीय बाजार में विदेशी वाहनों की मांग शुरू से ही ज्यादा रही है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हमारे देश के राजघराने रहे हैं। देश में जब राजतंत्र था उस वक्त देश के कई रियासतों के राजाओं ने उंची कीमत देकर एक से बढ़कर एक महंगी कारों को भारत में आयात किया है और अपने शौक को पूरा किया है, वैसे ये सर्वविदित है कि, 'शौक बड़ी चीज है'।