Just In
- 2 hrs ago नई Land Rover Defender के साथ नजर आयी बॉलीवुड सिंगर Neha Kakkar, कीमत जान होश उड़ जाएंगे!
- 4 hrs ago ये हैं देश की टॉप-3 कॉम्पैक्ट SUV! डिजाइन से लेकर फीचर तक में बवाल, Hyundai Creta का है बोलबाला!
- 20 hrs ago टोल प्लाजा पर अब नहीं होंगे ये बोर्ड! केंद्र सरकार ने लिया अहम फैसला, जानें डिटेल्स
- 1 day ago Bigg Boss फेम आयशा खान ने खरीदी MG की ये धांसू कार, जानें क्या है खासियत?
Don't Miss!
- News केरल के साथ किसने धोखा किया? ऐसा तो नहीं था 'ईश्वर का अपना देश'!
- Technology बड़े काम की हैं ये 7 विंडो ट्रिक्स, ट्राई करके देखें
- Finance Tesla In India: भारत में ईलेट्रिक व्हीकल पॉलिसी की बैठक में Tesla का सलाहकार शामिल, क्या भारत में आएगी ये EV
- Travel दिल्ली-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कौन से स्टेशनों से होकर गुजरेगी? और कौन से रूट्स हैं प्रस्तावित?
- Movies अमिताभ बच्चन के बचपन का रोल निभाकर मिली पापुलैरिटी, 40 साल बाद ये बच्चा है दिग्गज डायरेक्टर
- Education JAC 10th Toppers List 2024:झारखंड बोर्ड 10वीं टॉपर लिस्ट जारी, ज्योत्सना ज्योति ने 99.2% से किया टॉप, चेक list
- Lifestyle Rash Under Breast: ब्रेस्ट के नीचे रैशेज ने कर दिया हाल बुरा, इन घरेलू इलाज से छुटकारा पाए
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
पेट्रोल और डीजल से जुड़ी इन बातों से आप होंगे अनजान, जरूर पढ़िये
हमारे देश में बहुत सी कंपनियां है जो ईंधन की बिक्री करती है और सभी कंपनियां ग्राहकों को रिझाने के लिए बेहतर माइलेज और स्मूथ ड्राइविंग का हवाला देती हैं।
ईंधन वाहन का सबसे प्रमुख हिस्सा होता है यही वो पदार्थ होता है जिसकी मदद से वाहन को उर्जा मिलती है और वो गति करता है। हम सभी आये दिन पेट्रोल या फिर डीजल का प्रयोग अपने वाहनों में करते रहते हैं। कई बार लोग ये भी ध्यान देना जरूरी नहीं समझते हैं कि, वो किस कंपनी से ईंधन खरीद रहे हैं।
हमारे देश में बहुत सी कंपनियां है जो ईंधन की बिक्री करती है और सभी कंपनियां ग्राहकों को रिझाने के लिए बेहतर माइलेज और स्मूथ ड्राइविंग का हवाला देती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, इस पेट्रोल और डीजल को भी अलग अलग ग्रेड्स और आॅक्टेन रेटिंग दी जाती है। ये उनके गुणवत्ता और उसमें प्रयुक्त पदार्थों के अनुसार किया जाता है। आज हम आपको अपने इस लेख में इसी बारे में बतायेंगे। तो आइये समझते हैं कि, हमारे यहां किस तरह से पेट्रोल और डीजल को ग्रेड्स दिये जाते हैं।
भारत में कई प्रकार के ईंधन उपलब्ध हैं जो कार को बेहतर लाभ और उनके लंबे समय तक चलने की गारंटी देते हैं। बीपीसीएल, आईओसीएल, आईबीपी और एचपीसीएल जैसी कई तेल कंपनियां हमारे देश में लंबे समय से ईंधन की बिक्री कर रही हैं। देश भर के ग्राहक इन कंपनियों से तेल खरीद कर अपने वाहन में प्रयोग कर रहे हैं।
पहले के समय में पेट्रोल और डीजल में भारी मात्रा में रासायनिक तत्व होते थें जिसमें लीड और सल्फर प्रमुख होता था। पेट्रोल को लीड और अनलीड के नाम से बांटा गया है वहीं डीजल को सल्फर की एक निश्चित मात्रा के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। लेकिन उस दौरान ईंधन में जो तत्व हुआ करते थें उससे कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन बहुत ज्यादा होता था जिससे पर्यावरण को काफी खतरा था।
समय के साथ विज्ञान आगे बढ़ा और सरकार ने भी इसकी सुध ली और सरकार ने एक मापदंड बनाया जिसके आधार पर ही ईंधन को बिक्री के लिए स्वीकृत मिल सकी। पेट्रोल और डीजल से उन रसायनिक तत्वों को दूर किया गया जिससे ज्यादा कार्बन डाई आॅक्साइड उत्सर्जित होता था। सरकार ने तय किया कि, पेट्रोल को केवल अनलीडेड फॉर्म में ही बेचा जायेगा, वहीं डीजल में सल्फर की मात्रा को कम कर दिया गया जो पहले 10,000 पीपीएम था उसे घटाकर महज 350 पीपीएम कर दिया गया।
इसके बाद सरकार ने ईंधन को आॅक्टेन संख्या से वर्गीकृत करने का फैसला किया। इससे हर प्रकार के ईंधन को एक निश्चित आॅक्टेन संख्या दी जाती है जिसके आधार पर इस बात को तय किया जाता है कि, ये ईंधन आपके वाहन के इंजन और पर्यावरण दोनों के लिए कितना बेहतर है। यानी कि, ये कितना कम से कम प्रदूषण फैला सकता है।
आम तौर पर, ऑक्टेन रेटिंग एक मानक उपाय है जो मोटर ईंधन की दक्षता और प्रदर्शन दोनों को ही परिभाषित करता है। आॅक्टेन इंजन के दबाव अनुपात के सीधे समानुपाती होता है। जिसका मतलब होता है कि ऑक्टेन संख्या जितनी अधिक है, तो इस ईंधन जलने से पहले उसका दबाव अनुपात उतना ही ज्यादा होगा। समान्य तौर पर पेट्रोल इंजनों के लिए ज्यादा आॅक्टेन रेटिंग का इस्तेमाल किया जाता है और इसी के आधार पर अनका परफार्मेंश भी ज्यादा बेहतर होता है। वहीं डीजल के लिए कम आॅक्टेन रेटिंग का प्रयोग किया जाता है।
हमारे यहां विभिन्न प्रकार के आॅक्टेन रेटिंग फ्यूल उपलब्ध हैं:
- एक नियमित ईंधन के लिए 87 ऑक्टेन
- एचपी पावर के लिए 87 ऑक्टेन +
- बीपीसीएल स्पीड के लिए 91 ऑक्टेन
- बीपीसीएल स्पीड 97 के लिए 97 ऑक्टेन
- आईओसी एक्सट्रा प्रीमियम के लिए 91 ऑक्टेन
हालांकि, सरकार द्वारा बनाये गये नए विनियमन मानदंडों के अनुसार, देश भर के प्रमुख फ्यूल स्टेशन पर न्यूनतम 91 ऑक्टेन रेटिंग वाले फ्यूल ही बेचे जाते हैं।
इसके लिए भारत सरकार द्वारा अधिकृत भारत स्टेज उत्सर्जन मानकों (बीएस) द्वारा वाहनों को भी वर्गीकृत किया गया है ताकि कम से कम प्रदूषण हो। कुछ राज्यों जैसे दिल्ली से 2 स्ट्रोक इंजनों के प्रयोग को बंद कर दिया गया है। वहीं शहर के भीतर ज्यादातर सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग पर बल दिया जा रहा है।
दरअसल, बीएस यानी की भारत स्टैंडर्ड यूरोपियन स्टैंडर्ड के मानकों पर आधारित है और इसे सबसे पहली बार सन 2000 में अनिवार्य रूप से लागू किया गया था। इसके पिछे सरकार की एक ही मंशा थी कि, प्रदूषण को कम किया जा सके। क्योंकि देश भर में सड़कों पर वाहनों की संख्या में लगातार इजाफा दर्ज किया जा रहा था और समय के साथ ये और भी बढ़ता ही जा रहा था। इस समय देश में बीएस 4 मानक के वाहनों के प्रयोग की अनुमति है। यकीन मानिए सरकार के इस फैसले से प्रदूषण में भारी कमी दर्ज की गई है।
भारत में ईंधन ग्रेड और ऑक्टेन रेटिंग ने लोगों को अपने वाहनों के कारण होने वाले खतरों से अवगत कराने में मदद की है। ऑक्टेन रेटिंग को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि वे ईंधन के परिष्करण की गुणवत्ता के साथ-साथ इसकी शुद्धता, गर्मी असर क्षमता और दक्षता की गुणवत्ता को दर्शाते हैं। दूसरी ओर, ईंधन ग्रेड से ये पता चलता है कि, उक्त वाहन कितना ज्यादा हानिकारक तत्वों का उत्सर्जन कर रहा है। इन आंकडों से वाहन और र्इंंधन दोनों में ही सुधार कर के प्रदूषण पर लगाम लगाया जाता है।
आॅक्टेन रेटिंग और ग्रेड्स दोनों ही हमारे लिए बेहद जरूरी है। आज के समय में जिस प्रकार से वाहनों का प्रयोग बढ़ रहा है उसे देखते हुए सिर्फ तकनीकी का ही भरोसा किया जा सकता है। एक तरफ तेजी से वनों की कटाई हो रही है पेड़ों की जगह कंक्रिट के जंगलों ने ले ली है। दूसरी ओर ईंधन का दोहन भी प्रदूषण को तेजी से बढ़ा रहा है। ऐसे में इस बात की तस्दीक करना कि, हमारे द्वारा प्रयोग किये जाने वाला ईंधन कितना हानिकारक है, बेहद ही जरूरी है। क्योंकि इसी के आधार पर समयानुसार ईंधन और उनके दोहन करने वाले कारकों में परिवर्तन किया जा सकता है।
यदि आप भी किसी पुराने वाहन का प्रयोग करते हैं तो आज ही उसका प्रयोग बंद कर दें। हम थोड़े से बचत के चक्कर में पर्यावरण को खतरे में डालते हैं। देश में जो नये नियम लागू किये जाते हैं वो समय की मांग होती है और उसमें हमारा ही हित छुपा होता है। इसलिए ऐसे वाहन का प्रयोग करें जो भारत स्टैंडर्ड के मानकों पर खरा उतरें। कोई भी पुराना वाहन जिसका भारत स्टैंडर्ड मानक कम होता है वो ज्यादा कार्बन का उत्सर्जन करते हैं जो कि पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी है।