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कार मेंटेनेंस से जुड़ी वो गलत बातें जिन पर आज भी आप करते हैं भरोसा
कार ड्राइविंग के साथ साथ कार केयरिंग भी एक गजब का जज्बा होता है। ऐसा ज्यादातर देखा जाता कि जिन्हें ड्राइविंग पसंद होती है उन्हें अपनी कार से खासा लगाव भी होता है। जिसके चलते वो अपनी कार के मेंटेनेंस का विशेष ख्याल रखते हैं। मसलन कार की समय समय पर सर्विसिंग कराना, कार की साफ सफाई और साज सजावट का खास ध्यान रखना। लेकिन कार केयरिंग के दौरान कई ऐसी बातें भी आप करते हैं जो कि गलत होती है। या फिर ये कहें कि उन बातों की गलत धारणा बना ली गई हैं जो कि आज भी मानी जाती है।

आज हम आपको अपने इस लेख में कार मेंटेनेंस से जुड़ी कुछ उन्ही पुरानी धारणाओं और बातों के बारे में बतायेंगे जिन पर लोग आज भी भरोसा करते हैं। लेकिन असल बात ये है कि वो धारणायें जिन बातों के लिए प्रचलित हैं वैसा उनका परिणाम नहीं होता है। इसलिए यदि आप भी अपनी कार मेंटेनेंस को लेकर कुछ ऐसी बातों पर विश्वास करते हैं तो ये लेख जरूर पढ़िये ताकि आपको पता चल सके कि कहीं आप भी किसी पुरानी दकियानुसी बातों के शिकार तो नहीं -

1. वैक्स से स्क्रैच हटाया जा सकता है:
कार पर स्क्रैच लगना सबसे आम समस्या है, शायद ही ऐसा कोई हो जिसकी कार पर स्क्रैच न लगे हों। इस स्क्रैच की समस्या से निजात पाने के लिए दुनिया भर के नुस्के मशहूर हैं। उनमें से एक ये भी है कि वैक्स का प्रयोग करने से स्क्रैच को हटाया जा सकता है। आपको बता दें कि, ये सरासर गलत है... वैक्स के प्रयोग से स्क्रैच को हटाया नहीं जा सकता है। कार की बॉडी पर पड़े स्क्रैच को हटाने के लिए सिर्फ पेंट का ही प्रयोग किया जा सकता है। यदि आप भी ऐसा मानते हैं कि वैक्स का प्रयोग करके आप अपनी कार के बॉडी पर लगे स्क्रैच से निजात पा जायेंगे तो ये गलत है। क्योंकि वैक्स बस थोड़ी देर के लिए स्क्रैच के गड्ढों को भर देता है लेकिन जैसे ही उस पर धूप या फिर बारिश का पानी आदि पड़ता है वैक्स की सतह हट जाती है और स्क्रैच एक बार फिर से नुमाया हो जाता है।
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2. कार को डिटर्जेंट से धुलना:
सामान्य तौर पर कार की धुलाई के लिए बहुतायत लोगों को डिटर्जेंट या फिर डिश वॉशिंग पाउडर का इस्तेमाल करते हुए देखा जाता है। कुछ लोगों का मानना होता है कि कपड़े धुलने वाली पाउडर या फिर अन्य डिटर्जेंट की मदद से कार को ज्यादा साफ किया जा सकता है। यदि आप भी ऐसा मानते हैं तो आप अपनी कार के पेंट की लाइफ के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दरअसल डिटर्जेंट में ऐसे बहुत से केमिकल होते हैं जो कि तत्काल तो आपकी कार के बॉडी पर लगे गंदगी को साफ कर देते हैं लेकिन इसके साथ ही वो आपकी कार के पेंट के लाइफ को भी कम कर देते हैं। इसलिए यदि आप भी ऐसा करते हैं तो आज ही से ये बात गांठ बांध लीजिए। कार की सफाई और धुलाई करनी है तो मार्केट में इसके लिए बहुत से क्लीनर उपलब्ध हैं आप उनमें से किसी का चुनाव करें।

3. इंजन गर्म करना जरूरी है:
इंजन गर्म करना या फिर कार को वॉर्म अप करना बहुतायत लोगों के मुंह से सुनने को मिलता है। ज्यादातर लोग मानते हैं कि कार को ड्राइव पर ले जाने से पहले आपको इंजन को गर्म करना चाहिए यानि की उसकी सुस्ती को दूर करना चाहिए। यदि आप भी ऐसा ही मानते हैं तो ये गलत है। क्योंकि आज के आधुनिक समय में वाहन निर्माता कंपनियां ऐसे इंजन का निर्माण कर रही हैं जिन्हें किसी भी मौसम या फिर कंडीशन में आसानी से बिना वॉर्म अप किये ही ड्राइव किया जा सकता है। ऐसा केवल उस दशा में करना सही होता है जब ठंड बहुत ज्यादा हो और इस दौरान आपको ये भी विशेष ध्यान देना चाहिए आप अपनी कार को 10 सेकेंड से ज्यादा वॉर्म अप न करें। यदि आप सामान्य मौसम में भी अपनी का कार के इंजन को गर्म करते हैं तो केवल र्इंधन जला रहे है जिसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा।

4. जम्प स्टॉर्ट फुल चॉर्ज बैटरी के बराबर है:
कई बार देखा जाता है कि कार की बैटरी डाउन होने के बाद लोग जम्प स्टॉर्ट तकनीकी का सहारा लेते हैं। उन लोगों का ये भी मानना होता है कि जम्प स्टॉर्ट कार की बैटरी को दोबारा फुल चार्ज कर देती है। ये सरासर गलत है, जम्प स्टॉर्ट कार की बैटरी को महज त्वरित उर्जा देती है ताकि आपकी कार को स्टार्ट किया जा सके। यदि आप भी ऐसा मानते हैं कि आपकी बैटरी फुल चॉर्ज हो जायेगी तो ये बात पूरी तरह से गलत है। जब भी ऐसी स्थिति बने तो कार को जम्प स्टॉर्ट करते समय कार का एसी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस स्वीच आॅफ कर दें और तत्काल किसी सर्विस स्टेशन पर पहुंचने की कोशिश करें जहां पर आप अपनी कार की बैटरी को दिखा सकें।

5. डीलर का सर्विस स्टेशन सबसे बेहतर होता है:
जब आप अपनी नई कार खरीदते हैं तो आपको कार के साथ फ्री सर्विस की वॉरंटी कार्ड भी दी जाती है। ज्यादातर लोगों के दिमाग में ये बात होती है कि जिस डीलरशिप से उन्होनें कार खरीदी है वो ही आपको सबसे बेहतरीन सर्विस देता है। लेकिन ऐसा नहीं है, क्योंकि आपकी कार के साथ जो फ्री सर्विस वारंट मिलती है उसका प्रयोग आप उसी कंपनी के दूसरे डीलरशिप पर भी प्रयोग कर सकते हैं। इसलिए बजाय इसके कि आप एक ही कूएं का मेढ़क बने रहें आप अपने दूसरे सर्विस सेंटर पर भी कार की सर्विसिंग करायें जिससे आपको बेहतर सर्विस सेंटर का पता चल सकेगा। कार की सर्विसिंग के लिए हमेशा दिया गया मैनुअल फॉलो करें और कोशिश करें कि कोई भी सर्विसिंग आपसे मिस न हो। ताकि आपकी कार की लाइफ बेहतर हो सके और आप लंबे समय तक स्मूथ ड्राइविंग का मजा ले सकें।
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6. ब्रेक फ्लूड सभी समस्या को खत्म कर देता है:
ऐसा मानना पूरी तरह से गलत है कि आपकी कार का ब्रेक फ्यूल कम होने पर आप उसे फिर से भर देंगे तो आपकी सारी समस्या खत्म हो जायेगा। ऐसा सही है कि आपके ब्रेक रिजवॉयर में फ्यूल का स्तर कम होने पर उसे तत्काल भरा जाना जरूरी होती है। लेकिन बिना ब्रेकिंग सिस्टम की जांच किये उसके रिजरवॉयर को भर देना बुद्धिमानी नहीं होती है। इसलिए जब भी आपकी नजर ब्रेक फ्यूल के लेवल पर पड़े और तेल का स्तर दिये गये निसान से कम हो तो तत्काल अपनी कार को सर्विस सेंटर पर लेकर जायें और मैकेनिक से उसकी जांच करायें। क्योंकि तेल के स्तर के नीचे जाने के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं।

7. साइड वॉल के अनुसार टॉयर में हवा का दबाव रखना:
ये धारणा भी पूरी तरह से गलत है। ज्यादातर लोग अपनी कार के टायर में हवा के दबाव का आंकलन कार के साइड वॉल को देखते हुए रखते हैं। ऐसा करना बेहद ही खतरनाक है इसलिए कार में पहियों में हवा भरवाते वक्त कार के साथ दिये गये मैनुअल बुक को फॉलो करें। उसमें जितनी हवा की बात बताई गई है उसी रेसियो में पहियो में हवा भरवायें। इसके अलावा कार के पहियों के साइड में पाउंड पर स्कवॉयर इंच (psi) आंकड़ा भी दिया गया होता है। ये फिगर उसी आधार पर दिये जाते हैं जिससे आपकी कार की ब्रेकिंग, हैंडलिंग, फ्यूल माइलेज और कम्फर्ट में किसी भी प्रकार की कोई समस्या न आये। बिना आंकड़ों के अपनी मर्जी के अनुसार कार के पहियों में हवा न भरवायें। इसके अलावा यदि आप अपनी कार को लंबे समय तक खड़ी रखते हैं तो ड्राइव पर जाने से पहले कार के पहियों में हवा के दबाव के स्तर की पूरी तस्दीक जरूर कर लें।

8. कार पर 'वैक्स' की एक्स्ट्रा कोटिंग करना:
कुछ लोगों का ये मानना होता है कि वैक्स का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना या फिर कार की बॉडी पर वैक्स की एक्स्ट्रा कोटिंग करने से आपकी कार ज्यादा चमकदार दिखेगी। ये धारणा पूरी तरह से गलत है। क्योंकि वैक्स के प्रयोग के बाद उसे बारीक सूती कपड़े से पोछना बेहद ही जरुरी होता है और आपकी कार महज एक वैक्स कोट में ही अपनी पूरी चमक दिखा देती है। इसलिए कार की बॉडी पर ज्यादा चमक लाने की लालच में एक्स्ट्रा वैक्स कोटिंग करना पूरी तरह गलत है। क्योंकि आप जितना ज्यादा वैक्स का प्रयोग करेंगे आपको उसे साफ करने में उतनी ही ज्यादा मेहनत करनी होगी। इसके अलावा इसका असर कार के पेंट पर भी देखने को मिलता है जिससे कार का पेंट समय के साथ अपनी चमक खो देता है और कार डल नजर आने लगती है। इसलिए ऐसा अवधारणा पालने से बचिए।

9. इंजन आॅयल के साथ कूलैंट को बदलना:
ऐसा भी देखा जाता है कि कुछ लोग मानते हैं कि कार का इंजन आॅयल बदलने के साथ ही कूलैंट को भी बदलना जरूरी होता है। इस मामले में कुछ कार मैकेनिक अपना पैसा बनाने के लिए ग्राहक को कूलैंट बदलने की भी राय देते हैं। यकिन मानिए कार का इंजन और कूलैंट दो अलग अलग हिस्से हैं और इन दोनों कोई भी आपसी संबंध नहीं होता है। इसलिए ऐसा जरूरी नहीं है कि जब आप कार का इंजन आॅयल बदलवायें उसी वक्त उसका कूलैंट भी बदलवाना जरूरी हो। कूलैंट को बदलने से पहले उसकी जांच करें, सामान्य तौर पर किसी भी कार का कूलैंट 3 साल से पहले बदलने योग्य नहीं होता है। यदि कूलैंट का रंग बदलकर भूरा हो गया हो तो ऐसी दशा में आप उसे बदल सकते हैं। इसके लिए कार के साथ दिये गये मैनुअल बुक को पढ़ें और कूलैंट के लिए दिये गये समय पर ही उसका बदलाव करें।

10. हाई आॅक्टेन का फ्यूल सबसे बेहतर होता है:
ये तो एक सामान्य सी कही जाने वाली बात है कि जिस फ्यूल में आॅक्टेन जितना हाई होता है वो आपकी कार के लिए उतना ही बेहतर होता है। ऐसी अवधारणा भी सरासर गलत है, क्योंकि भारतीय बाजार में पेश की गई 99 प्रतिशत कारें सामान्य आॅक्टेन यानि की (87 octane) पर भी बेहतर परफार्मेंश देती है। हालांकि हाई आॅक्टेन या फिर प्रीमियम फ्यूल का प्रयोग करना आपकी कार को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाता है लेकिन इससे आपकी कार के परफार्मेंश आदि पर कोई असर भी नहीं पड़ता है। दरअसल हाई आॅक्टेन फ्यूल का प्रयोग हाई परफार्मेंश कारो के लिए किया जाता है। यदि आपकी कार (87 octane) के फ्यूल के आधार पर ही बनाई गई है तो प्रीमियम और महंगे फ्यूल में बेवजह अपना पैसा बर्बाद न करें।

कार मेंटेनेंस से जुड़ी कई ऐसी भ्रांतियां है जो लोग लंबे समय से किसी प्रथा की तरह अपने भीतर पाल रखे हैं। बेशक पुराने समय में इन बातों का महत्व रहा होगा। लेकिन यकिन मानिए समय के साथ तकनीकी इतनी विकसित हो गई है कि ये सभी बातें अब पूरी तरह से बेमानी हो गई है। इसलिए ऐसी बातों पर किसी अंधभक्त की तरह भरोसा करने के बजाय आप बात की गहराई की जांच करें और स्वयं विचार करें कि क्या अब भी आपको ऐसा करने की जरूरत है। उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दिये गये सुझाव पसंद आये होंगे।
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