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इलेक्ट्रिक वाहन बनाने ये कंपनी आएगी भारत, सस्ते निर्माण लागत से हुई प्रभावित
वैश्विक ऑटोमोबाइल समूह स्टेलेंटिस (Stellantis) सस्ती इलेक्ट्रिक कारों के लिए भारत का रास्ता देख रही है। समूह के सीईओ, कार्लोस तवारेस ने रायटर्स को बताया कि समूह को इलेक्ट्रिक कारों के सस्ते उत्पादन के लिए बाजार की तलाश है। उन्होंने बताया कि यूरोप में वाहनों का उत्पादन महंगा हो गया है जिससे अब कंपनियां दूसरे देशों का रुख कर रही हैं।
तवारेस ने कहा कि भारत जैसे बाजार कम निर्माण लागत के लिए सबसे बेहतर हैं। उन्होंने बताया कि यदि भारत कंपनी की गुणवत्ता और लागत के लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम है, तो यह अन्य बाजारों में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को निर्यात करने का द्वार खोल सकता है। बता दें कि स्टेलेंटिस समूह में प्यूजो और क्रिसलर जैसी कंपनियां भी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि यूरोप सस्ती ईवी बनाने में असमर्थ है। इसलिए भारत अपने लाभ को सुरक्षित रखते हुए कॉम्पैक्ट इलेक्ट्रिक कारों को सस्ती कीमत पर बनाने वाला एक बड़ा बाजार बन सकता है। स्टेलेंटिस इलेक्ट्रिक वाहनों में भारी निवेश कर रहा है और आने वाले दशक में दर्जनों उत्पादन करने की योजना बना रहा है, लेकिन तवारेस ने कहा कि सस्ते इलेक्ट्रिक वाहनों को बाजार में आने में 5-6 साल का समय लग सकता है।
बता दें कि चीन की कंपनियां यूरोप के बाजार में सस्ती इलेक्ट्रिक कारों को लॉन्च कर अपनी पकड़ मजबूत कर रही हैं। ऐसे में तवारेस की योजना से यह साफ है कि वैश्विक कंपनियां सस्ते उत्पादन के लिए भारत की तरफ देख रही हैं। यदि स्टेलेंटिस समूह ईवी उत्पादन के लिए भारत आती है, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ईवी उत्पादन के लिए सबसे अनुकूल देशों की सूची में शामिल हो जाएगा।
इसके अलावा कंपनी को भारत के बड़े बाजार में अपनी गाड़ियों को बेचने का भी अवसर मिलेगा। बता दें कि फोर्ड मोटर्स और जनरल मोटर्स जैसी बड़ी वाहन कंपनियां कम मुनाफे के चलते भारत छोड़कर जा चुकी हैं। दोनों कंपनियां मारुति सुजुकी और हुंडई जैसी किफायती कार बनाने वाली कंपनियों के सामने नहीं टिकीं। ऐसे में स्टेलेंटिस के सामने भारत में अपनी गाड़ियों को लोगों की जरूरतों के हिसाब से तैयार करने की जरूरत होगी।