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दुनिया में सबसे ज्यादा वाहन बेचने वाले टॉप-5 देशों में शामिल हुआ भारत, जानें मिला कौन सा स्थान
भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग बहुत तेती से आगे बढ़ रहा है। अब भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को लेकर एक ताजा जानकारी सामने आई है। खबर यह है कि भारत ने अब एक बार फिर अपनी स्थिति दोबारा हासिल कर ली है और यूरोपीय ऑटोमोटिव हब माने जाने वाले जर्मनी को पछाड़ते हुए, चौथा सबसे बड़ा कार बिक्री बाजार बन गया है।

ऑर्गनाइजेशन इंटरनेशनेल डेस कंस्ट्रक्टर्स डी ऑटोमोबाइल (OICA) के सबसे हालिया आंकड़ों के अनुसार, भारत ने साल 2021 में 3,759,398 ऑटोमोबाइल बेचे हैं, जबकि इसी साल जर्मनी में कुल 2,973,319 यूनिट ऑटोमोबाइल बेचे गए हैं। यह दोनों देशों के बीच लगभग 26 प्रतिशत के अंतर के बराबर है।

साल 2019 में भी भारत ने सबसे बड़ी कार बिक्री बाजार सूची में चौथा स्थान हासिल किया था और यह अनुमान लगाया गया था कि देश साल 2025 तक तीसरा स्थान भी हासिल कर सकता है। मौजूदा समय में तीसरा स्थान जापान के पास है, जिसने साल 2021 में 4,448,340 यूनिट्स वाहनों की बिक्री दर्ज की थी।

भारतीय मोटर वाहन बाजार में मौजूदा समय में तीसरे स्थान पर पहुंचने की बहुत संभावनाएं हैं, क्योंकि व्यक्तिगत मोबिलिटी क्षेत्र में वाहन की पैठ प्रति 1,000 पर लगभग 33 ऑटोमोबाइल है, जो विकसित दुनिया में सबसे कम में से एक है। कमर्शियल कार सेगमेंट को इंफ्रास्ट्रक्चर और ई-कॉमर्स से आगे बढ़ाने की भी जरूरत है।

हालांकि, निरंतर बाधाओं को देखते हुए, विशेष रूप से आपूर्ति श्रृंखला की चिंताओं और महत्वपूर्ण कच्चे माल की लागत में उतार-चढ़ाव को देखते हुए, घरेलू बाजार में खुदरा बिक्री उतनी मजबूत नहीं हो सकती, जितनी उम्मीद की जा रही है। भारत दुनिया भर के टॉप-5 बाजारों में एकमात्र देश था, जिसने दोहरे अंकों की वृद्धि (28%) की थी।

हालांकि चीन सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है और ऑटोमोटिव बिक्री व्यावहारिक रूप से अपरिवर्तित रही है। इसी तरह, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 4% की वृद्धि का दावा किया, लेकिन यह साल 2019 की तुलना में कम था। साल 2020 और साल 2019 दोनों की तुलना में जापानी बाजार सिकुड़ कर तीसरे नंबर पर आ गया।

इससे पहले साल 2021 के दिसंबर में भी यही भविष्यवाणी की गई थी। सेंटर फॉर ऑटोमोटिव रिसर्च (सीएआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह अनुमान था कि जर्मनी की तुलना में भारत में अधिक कारें बेची जाएंगी। इस घटना के लिए अर्धचालकों की कमी को कारण माना जा रहा है।

कमी 2022 की पहली छमाही तक चली और कोरोनवायरस के नवीनतम संस्करण ने यूरोप में बिक्री में बहुत व्यवधान पैदा किया। अन्य रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि इस साल अप्रैल में यह बताया गया कि इटली भी साल 2021 में हल्के वाहनों की बिक्री के मामले में टॉप-10 सबसे बड़े कार बाजारों की सूची से बाहर हो गया।