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पर्यावरण के लिए Classic Cars से ज्यादा खतरनाक हैं Electric Cars, इस रिपोर्ट में हैरान करने वाला दावा
देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की एक लहर सी चल रही है। पूरी दुनिया समेत भारत में भी कई कार निर्माता कंपनी इलेक्ट्रिक कारों को बाजार में उतार रहे हैं। लेकिन अगर हम आप से कहें कि पुराने जमाने की क्लासिक कारें, आज की मौजूदा इलेक्ट्रिक कारों से कम नुकसानदेह हैं, तो शायद आपको हैरानी होगी।
जी हां, एक क्लासिक और स्पेसिलिस्ट इंश्योरेंस प्रोवाइडर, Footman James की एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि Electric Vehicles सहित आधुनिक वाहनों की तुलना में क्लासिक कारें पर्यावरण के लिए कम हानिकारक हैं। यह निष्कर्ष आधुनिक कारों के विपरीत पूरे वर्ष क्लासिक कारों के सीमित उपयोग को ध्यान में रख कर निकाला गया है।
आधुनिक कारें, जो अक्सर दैनिक आधार पर उपयोग की जाती हैं, जबकि उनके उत्पादन के दौरान बड़ी मात्रा में कार्बन उत्पन्न करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार UK में औसत क्लासिक कार सालाना 563 किलोग्राम (1,241 पाउंड) Co2 उत्सर्जित करती है, क्योंकि उनके मालिक उन्हें सालाना औसतन 1,200 मील (1,931 किमी) तक ड्राइव करते हैं।
जबकि आधुनिक वाहनों में प्रति किमी Co2 उत्सर्जन काफी कम होता है, वे प्रति वर्ष बहुत अधिक दूरी तक चलाई जाती हैं और कारखाने से काफी बड़े कार्बन फुटप्रिंट्स के साथ आती हैं। अध्ययन से पता चलता है कि Volkswagen Golf जैसी औसत पैसेंजर कार के उत्पादन के दौरान कार्बन फुटप्रिंट 6.8 टन (14,991 पाउंड) Co2 है।
इसके अलावा एक आधुनिक बैटरी-इलेक्ट्रिक वाहन जैसे Polestar 2 इस आंकड़े को 26 टन (57,320 पाउंड) Co2 तक बढ़ा देता है, यह आंकड़ा तब होता है, जब कार फैक्ट्री से निकलती भी नहीं है, जिसे शून्य-उत्सर्जन ड्राइविंग के साथ ऑफसेट करना मुश्किल हो सकता है।
तुलना के लिए औसत क्लासिक कार को उसी 26-टन Co2 आंकड़े तक पहुंचने में 46 साल से अधिक का समय लगता है। निष्पक्ष रूप से बात करें तो यह तुलना पूरी तरह से अलग होगी, जब वाहन निर्माता अगले दशक में अपने कार्बन-तटस्थ उत्पादन लक्ष्यों तक पहुंचेंगे।
Polestar ने खुद साल 2030 तक पहली क्लाइमेट-तटस्थ कार का उत्पादन करने का वादा किया है, जबकि कई अन्य कंपनियां अपने फैक्ट्री और परिसरों के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने पर काम कर रही हैं। फिर भी Volvo ने हाल ही में स्वीकार किया कि ईवी का उत्पादन इस समय अपने आईसीई-संचालित समकक्ष की तुलना में 70 प्रतिशत अधिक उत्सर्जन उत्पन्न करता है।
हालांकि एक इलेक्ट्रिक वाहन के पूरे जीवन चक्र के दौरान कार्बन फुटप्रिंट कम होते हैं। सामने आई रिपोर्ट का दावा है कि दो-तिहाई क्लासिक कार मालिक जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंतित हैं, और उनमें से आधे से अधिक उत्सर्जन ऑफसेटिंग योजनाओं के लिए खुले होंगे।