बीएस4 डीजल वाहनों पर लगा बैन तो बीएस6 से नहीं है सरकार को परहेज, जानें आखिर क्या है वजह

दुनिया भर में वाहनों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण की जांच करने के लिए उत्सर्जन मानक को लाया गया है। जिसका उद्देश्य यह तय करना है कि बेहतर इंजन वाले वाहन से कम प्रदूषण हो और पर्यावरण को कम से कम हानि पहुंचे। सभी देशों में उत्सर्जन के मानक अलग-अलग तरह के बनाए गए हैं। भारत का अपना भारत स्टेज उत्सर्जन मानक है जो यूरो उत्सर्जन पर आधारित है।

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दो दशक पहले, साल 2000 में, भारत ने पर्यावरण, वन मंत्रालय और जलवायु परिवर्तन के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने इंजनों से फैलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए भारत स्टेज उत्सर्जन मानक (BSES) की शुरुआत की थी।

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इन मानदंडों के लिए कार निर्माताओं को बीएसईएस द्वारा निर्धारित उत्सर्जन परीक्षण पास करने वाले इंजन बनाना जरूरी होता है, जबकि तेल कंपनियों को ईंधन में कम सल्फर का उपयोग करते हुए उसे बनाने को कहा जाता है। 2016 में, भारत सरकार ने घोषणा की कि बीएस 5 में कदम रखने के बजाय वे सीधे 2020 से बीएस 6 इंजन से शुरुआत करेगी। हाल ही दिल्ली सरकार ने बीएस4 डीजल वाहनों पर बैन लगा दिया है। तो आज जानते हैं कि इन दोनों इंजन में क्या अंतर है।

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बीएस4

बीएस4 मानदंड 2017 में लागू किए गए थे जो पिछले बीएस3 मानदंडों की तुलना में सख्त थे और रिपोर्टों के अनुसार, इससे ईंधन में सल्फर सामग्री और नाइट्रोजन ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और पार्टिकुलेट मैटर की कमी हुई। बीएस4 मानदंडों के अनुसार, पेट्रोल से चलने वाले पैसेंजर वाहनों से प्रदूषक 1.0 ग्राम प्रति किलोमीटर के कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन और 0.18 ग्राम प्रति किलोमीटर के हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन और 0.025 के अक्साइड वाले सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर तक डिस्चार्ज करते थे।

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बीएस6

वहीं, बीएस6 एक पेट्रोल वाहन से नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) अधिकतम 60 मिली ग्राम प्रति किलोमीटर तक उत्सर्जन करना निर्धारित करता है जबकि बीएस4 मानदंडों में यह 80 मिली ग्राम प्रति किलोमीटर था।

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पेट्रोल वाहनों के लिए पीएम की सीमा 4.5 मिलीग्राम प्रति किलोमीटर से कम है, जबकि डीजल ईंधन वाले वाहनों के लिए, बीएस 6 स्टैंडर्ड के तहत एनओएक्स उत्सर्जन की सीमा 80 मिलीग्राम प्रति किलोमीटर निर्धारित की गई है। तुलनात्मक रूप से, बीएस4 मानदंडों ने समान ऊपरी सीमा 250 मिली ग्राम प्रति किमी तय की गई थी।

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डीजल वाहनों के लिए, बीएस6 मानदंड हाइड्रोकार्बन +NOx उत्सर्जन को 170 मिली ग्राम प्रति किमी पर रखते हैं, जो बीएस4 मानदंडों के तहत निर्धारित 300 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम से बहुत कम है। डीजल और पेट्रोल दोनों वाहनों के लिए पीएम की सीमा 4.5 मिलीग्राम प्रति किमी रखी गई है जो पहले के बीएस 4 मानकों के तहत डीजल वाहनों के लिए 25 मिलीग्राम प्रति किमी निर्धारित की गई थी।

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रिपोर्ट्स के अनुसार, बीएस 6 डीजल बीएस 6 डीजल की तुलना में 82% कम पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन करता है। डीजल एनओएक्स उत्सर्जन में भी 68% की कमी आई है और यह डीजल और पेट्रोल इंजनों के कारण होने वाले प्रदूषण के स्तर के बीच के अंतर को कम करता है।

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Hindi
English summary
Bs4 vs bs6 engine know key differences in details
Story first published: Sunday, November 6, 2022, 8:00 [IST]
 
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