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Tata Motors Vehicle Scrapyards: टाटा मोटर्स चार शहरों में व्हीकल स्क्रैपयार्ड तैयार करने की बना रही योजना
देश में नए व्हीकल स्क्रैपिंग नियम आने के बाद कई वाहन कंपनियों ने इस ओर कदम उठाना शुरू कर दिया है। खबर है कि टाटा मोटर्स भारत के चार शहरों में व्हीकल स्क्रैपयार्ड तैयार करने की योजना बना रही है, कंपनी इसे डीलर्स के माध्यम से स्थापित करेगी और सीधे निवेश नहीं करने वाली है।
टाटा मोटर्स अपने डीलर्स के साथ मिलकर हावड़ा, करनाल, हैदराबाद व ग्रेटर मुंबई में यह व्हीकल स्क्रैपयार्ड तैयार करने वाली है। कंपनी सिर्फ तकनीक जानकारी व वाहन स्क्रैप करने के लिए विशेषज्ञ प्रदान करने वाली है। इससे कंपनी के डीलर्स को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी।
कंपनी शुरू में इन चार शहरों से शुरू करने वाली है, इसके बाद इस बिजनेस को और फैलाया जा सकता है। भविष्य में कंपनी पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के साथ आ सकती है लेकिन अभी सिर्फ खुद से ही इस क्षेत्र में कदम रखने वाली है।
माना जा रहा है कि डीलर्स को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। हालांकि यह निवेश लंबे समय के लिए होने वाला है, ऐसे में कंपनी के डीलर्स भाग लेंगे या नहीं, यह देखना होगा। पिछले वित्तीय वर्ष बिक्री में कमी की वजह से डीलर्स बहुत प्रभावित हुए हैं।
इस नए इस नीति के तहत 15 साल से अधिक पुराने कमर्शियल वाहनों और 20 साल से ज्यादा पुराने प्राइवेट वाहनों को स्क्रैप किया जाएगा। इस तरह से प्रदूषण को कम तो किया जाएगा ही साथ ही यह कार कंपनियों के लिए नए कार बिक्री का अवसर तैयार करेगा।
केंद्र सरकार स्क्रैपिंग नीति के तहत 10,000 करोड़ रुपये का निवेश करने वाली है जिससे 50,000 नौकरियां सृजित होंगी। स्क्रैपिंग नीति के तहत लगभग 1 करोड़ पुराने भारी, मध्यम और हल्के वाहनों को स्क्रैप किया जाएगा।
वर्तमान में भारत में 17 लाख मीडियम व हेवी कमर्शियल वाहन है जो कि 15 साल से पुराने, बिना वैध फिटनेस सर्टिफिकेट के हैं। वहीं 20 साल से पुराने लाइट वाहन की संख्या 51 लाख है। ऐसे में कहा जा सकता है कि आने वाले समय स्क्रैपिंग एक बड़ा बिजनेस होने वाला है।
बतातें चले कि रेनॉल्ट, महिंद्रा जैसे कंपनियों ने इस मौके का लाभ उठाये हुए पुराने वाहन के बदले नए वाहन बेचना शुरू कर दिया है, पुराने वाहन के बदले कंपनी नये वाहन में छूट प्रदान कर रही है। ऐसे में ग्राहकों को और कही जाने की जरूरत नहीं होगी।