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ISI Marked Car Windscreen: इस साल नहीं लागू होगा आईएसआई मार्क विंडस्क्रीन का नियम, जानें कारण
केंद्र सरकार ने 2021 से देश में आईएसआई मार्क वाले कार विंडस्क्रीन को अनिवार्य करने की घोषणा की थी। हालांकि, अब इस नए कानून को एक साल बाद लागू करने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में वाहन उपकरण निर्माता आईएसआई प्रमाण और जरूरी प्रक्रिया में हो रही देरी के चलते नए नियमों के तहत उत्पादन करने समर्थ नहीं है। उपकरण निर्माताओं की अपील पर सरकार ने आईएसआई प्रमाण की अनिवार्यता से एक साल के लिए मुक्त कर दिया है।

बता दें कि आईएसआई प्रमाणित कार विंडशील्ड को बढ़वा देने का मकसद खराब क्वालिटी के विंडशील्ड के इस्तेमाल को रोकना है। सड़क दुर्घटनाओं में लोगों के गंभीर रूप से जख्मी होने का कारण खराब क्वालिटी के विंडशील्ड भी बनते हैं जो दुर्घटना के समय पूरी तरह टूट जाते हैं।

नए नियमों के अनुसार देश में आयातित कारों में आईएसआई मार्क का होना अनिवार्य नहीं है लकिन अगर कार को नाॅक्ड-डाउन यूनिट (CKD) के तौर पर लाया जाता है तो वाहन कंपनी को बीआईएस (BIS) प्रमाणित आईएसआई विंडस्क्रीन का इस्तेमाल करना अनिवार्य है।
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फिलहाल, देश में कार विंडस्क्रीन का निर्माण करने वाली कंपनियों के उत्पादों का सत्यापन बीआईएस द्वारा पूरा नहीं किया गया है। ऐसे में बगैर वैद्य प्रमाण के कंपनियां विंडशील्ड पर आईएसआई मार्क का इस्तेमाल नहीं कर सकती हैं।

कंपनियों का कहना है कि भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से प्रमाण मिलने के बाद ही आईएसआई विंडशील्ड का उत्पादन किया जा सकता है। कंपनियों ने बताया कि देश के अधिकतर उपकरण निर्माता कोविड-19 के प्रकोप से बहार नहीं आ पाए हैं। ऐसे में नए नियमों के अनुसार उत्पाद में बदलाव लाना भारी पड़ सकता है।
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अक्सर कार का विंडस्क्रीन क्षतिग्रस्त होने पर रिप्लेसमेंट के तौर पर कारों में खराब क्वालिटी के विंडस्क्रीन लगा दिए जाते हैं। खराब क्वालिटी वाले विंडस्क्रीन से दुर्घटना के समय घायल होने का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। दरअसल, ऐसे विंडस्क्रीन के शीशे टूट कर चालक के आंखों और गले में घुस सकते हैं जिससे उसकी जान भी जा सकती है।

एक पूर्व आदेश में, भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने कार कंपनियों और उपकरण निर्माताओं को विंडस्क्रीन और खिड़कियों के शीशे को आईएसआई (ISI) द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार बनाने का आदेश दिया था। मानक ब्यूरो ने कंपनियों को शीशे की सुरक्षा जांच और प्रमाण हासिल करने के लिए मार्च 2021 तक का समय दिया था।

पहले इस नियम को 1 अप्रैल 2021 से देश भर में लागू किया जाना था। इसके मद्देनजर कार कंपनियों को आदेश जारी किया गया था कि तय समय से पहले सभी जरूरी प्रमाण हासिल कर लिए जाएं। हालांकि, कोरोना महामारी के चलते जरूरी प्रमाण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी है।

बता दें की इससे पहले भारतीय मानक ब्यूरो ने गैर आईएसआई मार्क वाले हेलमेट को बैन कर दिया है। मानक ब्यूरो ने बताया है कि बिना आईएसआई मार्क वाले हेलमेट दुर्घटना के समय चालक के सर का बचाव करने में सक्षम नहीं होते इसलिए इन्हे बाजार में बेचना गैरकानूनी होगा।