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पुरानी कारों की बिक्री ने नई कारों की सेल को पछाड़ा, इस साल 30 लाख से ज्यादा बिकेगी सेकंड हैंड कारें
भारत में पुरानी करों का बाजार तेजी से आगे बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2022 में सेकंड हैंड कार बाजार के 15 प्रतिशत की दर से बढ़ते हुए नई कारों के बाजार की वृद्धि दर को पीछे छोड़ देगा। पुरानी कारों की बिक्री पर किए गए नए अध्ययन में सामने आया है कि अगले कुछ सालों में सेकंड हैंड कार बाजार 12-14 प्रतिशत की वृद्धि दर से आगे बढ़ेगा। वित्तीय वर्ष 2026 में सेकंड हैंड कारों की खरीद-बिक्री 70 लाख यूनिट तक पहुंचने का अनुमान है जबकि चालू वित्तीय वर्ष में यह 30.80 लाख यूनिट के आस-पास है।
वहीं पुरानी कारों की तुलना में नई कारें केवल 10 प्रतिशत की वृद्धि दर ही हासिल कर पाएंगी। इस अध्ययन में यह भी सामने आया है कि भारत के सेकंड हैंड कार बाजार में यूटिलिटी वाहनों (SUV) की भी मांग बढ़ेगी। वित्तीय वर्ष 2026 में बेची जाने वाली पुरानी कारों में एक चौथाई कारें एसयूवी होंगी।
इसके पीछे का कारण भारतीय कार बाजार में लगातार बढ़ रहे एसयूवी कारों के नए मॉडलों को बताया गया है। किफायती कीमत पर फीचर से भरपूर एसयूवी कारें लोगों को सबसे ज्यादा पसंद आ रही है जिसके चलते लोग कारों को बदलने में ज्यादा समय नहीं ले रहे हैं। फिलहाल, सेकंड हैंड कार बाजार में एसयूवी कारों की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है।
हाल के अध्ययन के अनुसार, व्यक्तिगत परिवहन साधनों की जरूरत, बजट की कमी, फाइनेंसिंग की उपलब्धता जैसे कई कारणों के वजह से पहली बार कार खरीदने वाले ग्राहक सेकंड हैंड कारों को चुन रहे हैं। आंकड़ों की बात करें तो, पुरानी कार खरीदने वाले ग्राहकों में लगभग 50 प्रतिशत ऐसे ग्राहक हैं जो पहली बार कार खरीद रहे हैं।
साथ ही, नई कारों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी वित्तीय वर्ष 31 तक 20 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। इसी अवधि में पुरानी कारों के बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
जहां भारत में सेकंड हैंड या पुरानी कारों का बाजार असंगठित है, वहीं बाजार में मारुति, महिंद्रा, होंडा और हुंडई जैसी कंपनियां है जो अपने ब्रांड के मर्चेंडाइज से ग्राहकों को सेकंड हैंड कार उचित कीमत पर उपलब्ध करा रही हैं। इसके अलावा OLX, Droom, Cars24 जैसी भी कई कंपनियां हैं जो कार बेचने और खरीदने वाले लोगों को एक दुसरे से जोड़ रही हैं।
इस अध्ययन में यह भी सामने आया है कि कोरोना महामारी के शुरू होने से पहले लोग पर्सनल कार खरीदने के प्रति ज्यादा सजग नहीं थे। लेकिन महामारी ने लोगों के इस फैसले में बदलाव लाया और अब लोग सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं के बदले अपने लिए एक कार खरीदने को ज्यादा महत्व दे रहे हैं।
पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान बाजार में 5-7 साल पुरानी कारों की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत और 7-10 साल पुरानी कारों की 29 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। वहीं बड़ी कारों (SUV) में 5-7 साल पुरानी कारों की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत और 7-10 साल पुरानी कारों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत थी।