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Petrol Car Sales: पेट्रोल कारों की बिक्री अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर, पिछले साल 83 प्रतिशत रही हिस्सेदारी
देश में बीएस6 उत्सर्जन मानक लागू होने के बाद से पेट्रोल कारों की मांग बढ़ गयी है, हालांकि इसके पहले भी यह लगातार बढ़ रही थी। 2012 के बाद से डीजल कारों की बिक्री में कमी आई है और पिछले साल 2020 में पेट्रोल कारों की बिक्री कुल बिक्री की 83 प्रतिशत रही है, इसमें बड़ा योगदान मारुति सुजुकी का रहा है जिसने डीजल इंजन बंद कर दिया है।
बीएस6 मानक के आते ही डिमांड सप्लाई में भारी बदलाव किया है और अब नई कार खरीदी में पेट्रोल को अधिक तरजीह दी जा रही है। एक तो पेट्रोल डीजल की कीमत लगभग समान हो गयी है, इसमें कोई बड़ा अंतर नहीं है, वहीं बीएस6 अपडेट की वजह से डीजल कारें और महंगी हो गयी है।
इस वजह से अब नए ग्राहक पेट्रोल वाहन का चुनाव कर रहे हैं। बात 2012 की है जब डीजल कारों की मांग थी और कार बिक्री में 54 प्रतिशत हिस्सेदारी डीजल वाहनों की थी और उसके बाद यह कम होते गया, 2013 में 52 प्रतिशत, 2014 में 48 प्रतिशत, 2015 में 44 प्रतिशत व 2016 में घटकर 40 प्रतिशत रह गया था।
इसके बाद यह 2017 में 39 प्रतिशत, 2018 में 37 प्रतिशत, 2019 में 33 प्रतिशत था लेकिन अप्रैल से दिसंबर 2020 के बीच बेचे गये वाहनों में डीजल मॉडलों की हिस्सेदारी सिर्फ 17 प्रतिशत रह गयी थी। सबसे बड़ा कारण बीएस6 मानक है, जिस कारण मारुति सहित कई कंपनियों ने डीजल कारों की बिक्री ही बंद कर दी।
मारुति के अलावा फॉक्सवैगन, स्कोडा, दैटसन व निसान सिर्फ पेट्रोल कारों की बिक्री करती है। हालांकि इनके अलावा टाटा मोटर्स ने छोटे डीजल इंजन की बिक्री बंद कर दी है, जिस वजह से छोटे व कम कीमत रेंज वाले मॉडल खूब प्रभावित हुए है। कंपनी एसयूवी सेगमेंट में अभी भी डीजल का विकल्प देती है।
वर्तमान में सिर्फ एसयूवी, एमयूवी जैसे सेगमेंट में डीजल की मांग अभी भी अधिक है। इस वजह से महिंद्रा की 88 प्रतिशत डीजल मॉडलों की है क्योकि कंपनी के पोर्टफोलियो में अधिकतर एसयूवी है। इसके बाद फोर्ड (62 प्रतिशत), जीप (60 प्रतिशत), टोयोटा (53 प्रतिशत), एमजी मोटर (45 प्रतिशत), किया (41 प्रतिशत) है।
इसके बाद छोटे वाहनों में अभी भी डीजल इंजन उपलब्ध कराने वाली कंपनी हुंडई (24 प्रतिशत), टाटा मोटर्स (17 प्रतिशत) व होंडा (13 प्रतिशत) है। अनुमान लगाये जा रहे हैं कि डीजल की कीमतें और भी बढ़ने की वजह से डीजल मॉडलों की मांग और कम हो सकती है और इस साल यह और भी कम हो सकती है।
सिर्फ डीजल ही नहीं पेट्रोल की कीमत इस साल 100 रुपये के पार चल गयी है, ऐसे में वैकल्पिक फ्यूल जैसे सीएनजी तथा इलेक्ट्रिक व हाइब्रिड वाहनों की मांग पहले से अधिक हो सकती है। इनके लिए सरकार कई छूट भी प्रदान कर रही है, अब देखना होगा कि ग्राहक इसे कितना अपनाते हैं।
Source: Autopunditz