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नॉर्वे में पिछले साल बेंची गई 50% से अधिक इलेक्ट्रिक कारें, 2025 तक बनेगा 'जीरो एमिशन' देश
दुनियाभर में पर्यावरण सुरक्षा और बढ़ते तेल की कीमतों को देखते हुए इलेक्ट्रिक कारों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। अमेरिका और यूरोप के कई देशों में व्यापक स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। वहीं, भारत में भी कई शहरों में चार्जिंग स्टेशनों का नेटवर्क खड़ा किया जाने लगा है। इलेक्ट्रिक कारों की दौड़ में नॉर्वे ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

न्यूज 18 ऑटो की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 में नॉर्वे में बेचे जाने वाली कारों में 50 प्रतिशत से अधिक इलेक्ट्रिक थीं। नॉर्वे में पिछले साल रजिस्टर की गई कारों में 54.3 प्रतिशत इलेक्ट्रिक कारें थीं। वहीं, 2019 में नॉर्वे में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदार 42.4 प्रतिशत थी।

इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 50 प्रतिशत से अधिक करने में नॉर्वे पहला देश बन गया है। इन आंकड़ों से जाहिर है कि नॉर्वे में इलेक्ट्रिक कारों को व्यापक स्तर पर अपनाया जा रहा है और वाहन नीतियों को इलेक्ट्रिक वाहनों के हित के अनुरूप बनाया गया है।
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पिछले साल नॉर्वे में सबसे अधिक पसंद की जाने वाली इलेक्ट्रिक कारों में ऑडी ई-ट्रॉन, टेस्ला मॉडल 3, फॉक्सवैगन आई.डी3 और निसान लीफ शामिल थीं। यह सभी कारें 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक हैं।

वहीं, दिसंबर में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री का आंकड़ा 66.7 प्रतिशत रहा। इस रिपोर्ट के खुलासे के बाद दुनिया भर में नॉर्वे की तारीफ हो रही है। पश्चिमी यूरोप में नॉर्वे सबसे बड़ा कच्चे तेल का उत्पादक है इसके बावजूद देश में इलेक्ट्रिक कारों को भारी संख्या में अपनाया जाना सराहनीय है।
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नॉर्वे में सरकार इलेक्ट्रिक कार खरीदने के लिए सब्सिडी देती है जिससे ग्राहकों की लिए कारें सस्ती हो जाती है। बता दें कि नॉर्वे में ज्यादातर बिजली का उत्पादन डैम व हाइड्रोपावर प्लांट से किया जाता है जिसके चलते कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन काफी कम होता है। रिपोर्ट के अनुसार नॉर्वे में 2025 तक 'जीरो एमिशन' को प्राप्त कर लिया जाएगा।

इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के मकसद से जापान और ब्रिटेन में भी 2030 के बाद केवल इलेक्ट्रिक कारों को बेचने का कानून बनाया गया है। यातायात संसाधनों और कमर्शियल सेवाओं के क्षेत्र में भारी मात्रा में इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल शुरू किया जाएगा।

भारत में भी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास जोरों पर है। भारत के पेरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट में 2016 में शामिल होने के बाद कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने का दायित्व बढ़ गया है। पर्यावरण मंत्रालय ने 2030 तक देश में 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने का प्रस्ताव लाया है। हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति से इसका 2030 तक पूरा होना निश्चित नहीं है।

सरकार के प्रस्ताव के अनुसार 2023 से देश में केवल इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर और 2025 से केवल इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बेचने का प्रस्ताव लाया गया है। इसके साथ 2030 तक देश को 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक बनाने का भी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।