Just In
- 12 hrs ago मिडिल क्लास की पसंदीदा है Hero की ये बाइक, कीमत सिर्फ 75 हजार रुपये, माइलेज भी है शानदार..
- 14 hrs ago भारत में लॉन्च हुई Ultraviolette F77 Mach 2 इलेक्ट्रिक बाइक, मिलेगी 323KM की रेंज, जानें कीमत
- 16 hrs ago 1.5 करोड़ की Toyota Vellfire कार के साथ नजर आएं बॉलीवुड एक्टर Ayushmann Khurrana, जानें कार की खासियत?
- 17 hrs ago Shilpa Shetty के पति Raj Kundra की बढ़ी मुसीबत! ED ने जब्त की करोड़ो की कार
Don't Miss!
- Lifestyle World Malaria Day Slogans and Quotes: इन संदेशों के साथ अपनों को करें मलेरिया से बचाव के लिए जागरूक
- News Aaj Ka Panchang: आज का पंचांग, 25 अप्रैल 2024, गुरुवार
- Education JEE Mains Topper List Statewise: किस राज्य में किसने किया टॉप, देखें राज्यवार जेईई मेन टॉपर्स सूची
- Movies Seema Haider ने पाकिस्तानी प्रेमी का किया खुलासा, कहा- 'मैं उससे शादी करके घर बसाना चाहती थी, लेकिन...'
- Technology OPPO Find X7 Ultra Camera Deep-Dive: स्मार्टफोन पर फोटोग्राफी की सीमाओं को आगे बढ़ाने का नया उपाय
- Finance IndiGo Airline: आपके एंटरटेनमेंट पर नहीं लगेगा फुल स्टॉप, फ्लाइट में मिलेगी ये खास सर्विस
- Travel DGCA ने पेरेंट्स के साथ सफर कर रहे 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बदला नियम, जाने यहां
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
बेकार Plastic Bottles से Michelin कंपनी करेगी Tyres का उत्पादन, जानें क्या है प्रोसेस
फरवरी 2021 में टायर निर्माता कंपनी Michelin ने घोषणा की कि वह साल 2030 तक अपने टायर के निर्माण के लिए 40 प्रतिशत टिकाऊ सामग्रियों का उपयोग करेगी और साल 2050 तक इसके प्रतिशत को बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया जाएगा।
ऐसे में कंपनी द्वारा निर्धारित उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मिशेलिन ने कार्बोयोस नामक एक फ्रांसीसी जैव रसायन फर्म के साथ भागीदारी की है। अब, कार्बियोस ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो एक एंजाइमेटिक रीसाइक्लिंग प्रक्रिया के माध्यम से प्लास्टिक को डी-पॉलीमराइज कर सकती है।
खास बात यह है कि यह प्रक्रिया मिशेलिन को Plastic Waste का उपयोग करने में मदद कर सकती है, विशेष रूप से सिंगल-यूज पीईटी (पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट) प्लास्टिक की बोतलें हैं, जिसे टायर बनाने के लिए एक घटक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
आपको बता दें कि डी-पॉलीमराइजिंग प्रक्रिया का उपयोग 100 प्रतिशत पीईटी कचरे को रीसायकल करने और फिर उन्हें हाई टेंसिटी फाइबर में बदलने के लिए किया जा सकता है जो मिशेलिन टायर बनाने की आवश्यकता को पूरा कर सकते हैं।
यह हाई टेंसिटी पॉलिएस्टर टायर बनाने के लिए उपयुक्त है, क्योंकि यह टूट-फूट के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी साबित हुआ है, इसमें अच्छी तापीय स्थिरता है और यह काफी ज्यादा टफ भी है। Michelin में पॉलिमर रिसर्च के निदेशक निकोलस सेबोथ ने इस बारे में जानकारी दी है।
उन्होंने कहा कि "हम टायर के लिए पुनर्नवीनीकरण तकनीकी फाइबर का उत्पादन और परीक्षण करने वाली पहली कंपनी हैं, जिस पर हमें बहुत गर्व है। इन सुदृढीकरणों को कलर बोतलों से बनाया गया था और कार्बियोस की एंजाइमेटिक तकनीक का उपयोग करके पुनर्नवीनीकरण किया गया था।"
आपको बता दें कि हर साल दुनिया भर में 1.6 बिलियन कार टायर बेचे जाते हैं और इन टायरों के निर्माण में 8,00,000 टन से अधिक पीईटी फाइबर का उपयोग किया जाता है। मिशेलिन का सुझाव है कि यह मैन्युफैक्चरिंग टायर में हाई टेंसिटी के प्लास्टिक फाइबर में लगभग 3 बिलियन प्लास्टिक की बोतलों को रीसायकल कर सकता है।
मौजूदा समय में कार्बियोस पायलट स्तर पर प्रौद्योगिकी का परीक्षण कर रहा है और उनका कहना है कि वह सितंबर 2021 तक अपने मुख्यालय क्लरमोंट-फेरैंड में एक डेमोंस्ट्रेशन प्लांट शुरू करेगा। Clermont-Ferrand मिशेलिन के लिए मुख्यालय के रूप में भी कार्य करता है।