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मारुति सुजुकी जनवरी 2022 से बढ़ा सकती है कीमतें, निर्माण लागत में हुई बढ़ोतरी
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने गुरुवार को कहा कि वह अगले साल जनवरी से वाहनों की कीमतों में वृद्धि करेगी ताकि लागत में वृद्धि के प्रभाव को कम किया जा सके। वाहन निर्माता ने कीमत वृद्धि का विवरण साझा किये बिना कहा कि मूल्य वृद्धि मॉडल के अनुसार भिन्न होगी।
एमएसआई ने एक नियामक फाइलिंग में कहा, "पिछले एक साल में, विभिन्न इनपुट लागतों में वृद्धि के कारण कंपनी के वाहनों की लागत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए, कंपनी के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि उपरोक्त अतिरिक्त लागतों का कुछ प्रभाव ग्राहकों पर मूल्य वृद्धि के माध्यम से दिया जाए।"
कंपनी ने कहा कि जनवरी 2022 के लिए मूल्य वृद्धि की योजना बनाई गई है और वृद्धि विभिन्न मॉडलों के लिए अलग-अलग होगी। कंपनी ऑल्टो हैचबैक से लेकर एस-क्रॉस एसयूवी तक कई मॉडल्स बेचती है। ऑटो प्रमुख ने इस साल पहले ही वाहन की कीमतों में तीन बार बढ़ोतरी की है। कंपनी जनवरी में 1.4 प्रतिशत, अप्रैल में 1.6 प्रतिशत और सितंबर में 1.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर चुकी है, जो कुल 4.9 प्रतिशत है।
मीडिया से बातचीत में एमएसआई के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (विपणन और बिक्री) शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले एक वर्ष में स्टील, एल्यूमीनियम, तांबा, प्लास्टिक और कीमती धातुओं जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण कंपनी को कीमतों में बढ़ोतरी करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
उन्होंने कहा, "हम कमोडिटी की कीमतों में वास्तव में बड़ी वृद्धि देख रहे हैं और इसलिए कंपनी की सामग्री लागत, जो ऑटो ओईएम की लागत संरचना का लगभग 75-80 प्रतिशत है, वह प्रभावित हुई है। श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले साल अप्रैल-मई में स्टील की कीमतें लगभग 38 रुपये प्रति किलोग्राम थीं, जो इस साल 77 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं। इसी तरह प्लास्टिक, एल्युमीनियम और तांबे की कीमतों में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
मारुति सुजुकी ने नवंबर 2021 की बिक्री के आंकड़ों को भी जारी किया है। वाहन निर्माता ने पिछले महीने वाहनों की कुल बिक्री में 9 फीसदी की गिरावट दर्ज की है। मारुति ने नवंबर 2021 में 1,39,184 यूनिट्स की बिक्री की, जबकि पिछले साल इसी महीने में कंपनी ने 1,53,233 यूनिट्स की बिक्री की थी। पिछले महीने मारुति द्वारा बेचे गए 1,09,726 यात्री वाहनों में स, 70 प्रतिशत से अधिक योगदान मिनी और कॉम्पैक्ट वाहन खंड से आया, जिसमें ऑल्टो, वैगनआर, बलेनो, स्विफ्ट और अन्य जैसी मारुति कारें शामिल हैं। इन वाहनों ने पिछले महीने कार निर्माता के लिए 74,492 यूनिट्स का योगदान दिया।
कॉम्पैक्ट व्हीकल सेगमेंट की तुलना में, मिड-साइज और यूटिलिटी व्हीकल सेगमेंट, जिनमें सियाज, अर्टिगा और XL6 शामिल हैं, ने पिछले महीने कुल यात्री वाहनों की बिक्री में लगभग 25 प्रतिशत का योगदान दिया। मारुति ने पिछले महीने सियाज की 1,089 यूनिट्स बेचीं, जबकि अर्टिगा, जिप्सी, एस-क्रॉस विटारा ब्रेजा और एक्सएल 6 जैसे उपयोगिता वाहनों ने कुल संख्या में 24,574 यूनिट्स का योगदान दिया।
अक्टूबर 2021 की तुलना में नवंबर 2021 की बिक्री में मामूली बढ़ोतरी हुई है। अक्टूबर 2021 में कंपनी ने 1,38,335 यूनिट्स की बिक्री की थी। मारुति का कहना है कि बिक्री में गिरावट सेमीकंडक्टर चिप की कमी के कारण है, जिसने मुख्य रूप से भारत में बेचे जाने वाले वाहनों के उत्पादन को प्रभावित किया है।
इससे पहले, मारुति सुजुकी ने कहा था कि सेमीकंडक्टर की कमी के चलते दिसंबर में भी उत्पादन 15 से 20 फीसदी कम होने का अनुमान है। मारुति ने हाल ही में सेलेरियो हैचबैक के फेसलिफ्ट संस्करण को लॉन्च किया है। मारुति सुजुकी का दावा है कि नई सेलेरियो 26.68 किलोमीटर प्रति लीटर के माइलेज के साथ भारत की सबसे अधिक ईंधन कुशल पेट्रोल कार है। मारुति को उम्मीद है कि नई सेलेरियो निकट भविष्य में बिक्री संख्या को बढ़ाने में मदद करेगी। उम्मीद की जा रही है कि कंपनी जल्द ही भारत में कई अन्य फेसलिफ्ट मॉडल लाएगी जिनमें विटारा ब्रेजा, बलेनो और ऑल्टो शामिल हैं।
बता दें कि वाहन कंपनियों के लिए नया साल भी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। जानकारों का मानना है कि 2022 में पूरे साल चिप की वैश्विक कमी जारी रहेगी। बाजार पर नजर रखने वालों का यह भी अनुमान है कि अगर कोविड-19 वायरस का नया संस्करण भारत में दस्तक देता है, तो यह मोटर वाहन क्षेत्र के लिए एक और मुसीबत लेकर आएगा। मारुति ने सितंबर में 40 फीसदी, अक्टूबर में 60 फीसदी जबकि नवंबर में 85 फीसदी उत्पादन लक्ष्य हासिल किया है।
मारुति का कहना है कि वह डीजल इंजन वाली कारों को अब दोबारा पेश नहीं करेगी। मारुति ने 2019 में बीएस-6 उत्सर्जन नियमों के लागू होने के पहले ही डीजल इंजन मॉडलों का निर्माण बंद कर दिया था। कंपनी का कहना है कि मौजूदा उत्सर्जन नियमों के अनुसार डीजल इंजन का निर्माण व्यावहारिक नहीं रह गया है।