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Maruti Eeco की कीमत में हुई 8,000 रुपये की वृद्धि, जानें क्या है नई कीमत
दिग्गज वाहन निर्माता मारुति सुजुकी ने अपनी Eeco एमपीवी (बहुउद्देशीय वाहन) की कीमत में 8,000 रुपये की बढ़ोतरी की घोषणा की है। कंपनी ने Eeco के पैसेंजर मॉडल के सभी वैरिएंट्स पर 30 नवंबर, 2021 से नई कीमतों को लागू कर दिया है। कीमत में बढ़ोतरी के बाद मारुति Eeco के पैसंजर वैरिएंट की कीमत 4.3 लाख रुपये से 5.6 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) के बीच तय की गई है। वहीं एम्बुलेंस वेरिएंट को 7.29 लाख रुपये की एक्स- शोरूम कीमत पर उपलब्ध किया गया है।
मारुति ईको पेट्रोल और सीएनजी इंजन विकल्प में उपलब्ध की गई है। इसके बीएस6 सीएनजी मॉडल को पिछले साल जनवरी में लॉन्च किया गया था वहीं कार्गो वैरिएंट को 2015 में लाया गया था। लॉन्च के केवल 3 साल के भीतर ईको कार्गो वैरिएंट के 1 लाख यूनिट्स की बिक्री कर ली गई जबकि 2018 तक कंपनी ने 5 लाख यूनिट्स बेच लिए।
मारुति ईको के इंजन की बात करें तो इसका 1.2 लीटर 4 सिलेंडर पेट्रोल इंजन 72 बीएचपी की पॉवर और 98 न्यूटन मीटर का टॉर्क प्रदान करता है जबकि सीएनजी इंजन 46 बीएचपी की पॉवर और 85 न्यूटन मीटर का टॉर्क जनरेट करता है। Eeco कार्गो की कुल बिक्री में सीएनजी वैरिएंट की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत है।
भारत में भी देश की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजुकी सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रही है। मारुति सुजुकी ने सूचित किया था कि कंपनी का अक्टूबर और नवंबर का उत्पादन सेमीकंडक्टर की किल्लत के वजह से प्रभावित हुआ था। हालांकि, अब कंपनी ने कहा है कि यह स्थिति दिसंबर तक बनी रहेगी।
एक रिपोर्ट के अनुसार, मारुति सुजुकी ने आशंका जताई है कि उसके हरियाणा और गुजरात प्लांट में इस कैलेंडर वर्ष में उत्पादन प्रभावित रहेगा। कंपनी ने बताया गया है कि वह अगले महीने (दिसंबर में) उत्पादन के 80 से 85 फीसदी के बीच होने की उम्मीद कर रही है। जबकि देश में यात्री वाहनों की मांग दूसरी कोविड-19 लहर के बाद वापस बढ़ रही है, सेमीकंडक्टर की कमी के बीच वाहन निर्माताओं के लिए उत्पादन और आपूर्ति एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। सेमीकंडक्टर चिप की कमी एक अभूतपूर्व समस्या के रूप में सामने आई है जिसका कोई समाधान या राहत नहीं है।
मारुति सुजुकी ने पहले कहा था कि चिप की कमी के चलते उत्पादन बाधित है इसलिए डिलीवरी की समय-सीमा को आगे बढ़ाना पड़ेगा। वहीं कंपनी ने यह भी कहा था कि ग्राहकों का इंतजार लंबा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
एमएसआईएल के अध्यक्ष आरसी भार्गव ने कंपनी के Q2 वित्तीय परिणाम की घोषणा के दौरान कहा था कि सेमीकंडक्टर की कमी हमारे नियंत्रण में नहीं है और भविष्य की स्थिति का अनुमान लगाना कठिन है, फिर भी मैं कारों की डिलीवरी में हो रही देरी के लिए माफी मांगता हूं।
बता दें कि वाहन कंपनियों के लिए नया साल भी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। जानकारों का मानना है कि 2022 में पूरे साल चिप की वैश्विक कमी जारी रहेगी। बाजार पर नजर रखने वालों का यह भी अनुमान है कि अगर कोविड-19 वायरस का नया संस्करण भारत में दस्तक देता है, तो यह मोटर वाहन क्षेत्र के लिए एक और मुसीबत लेकर आएगा। मारुति ने सितंबर में 40 फीसदी, अक्टूबर में 60 फीसदी जबकि नवंबर में 85 फीसदी उत्पादन लक्ष्य हासिल किया है।
मारुति का कहना है कि वह डीजल इंजन वाली कारों को अब दोबारा पेश नहीं करेगी। मारुति ने 2019 में बीएस-6 उत्सर्जन नियमों के लागू होने के पहले ही डीजल इंजन मॉडलों का निर्माण बंद कर दिया था। कंपनी का कहना है कि मौजूदा उत्सर्जन नियमों के अनुसार डीजल इंजन का निर्माण व्यावहारिक नहीं रह गया है।
मारुति का कहना है कि बाजार में डीजल इंजन कारों की मांग घट रही है, ऐसे में डीजल मॉडलों का निर्माण घाटे का सौदा है। कंपनी ने कहा है कि साल 2023 में नया उत्सर्जन मानक लागू किया जाएगा जिससे लागत में बढ़ोतरी का अनुमान है।
बहरहाल, मारुति की सीएनजी कारों की बिक्री में पिछले कुछ महीन में भारी वृद्धि देखी गई है। साल 2023 में उत्सर्जन मानदंडों का नया चरण आएगा, जिससे लागत बढ़ने की संभावना है। मारुति सुजुकी वर्तमान में इस सेगमेंट में 85 प्रतिशत से अधिक बाजार हिस्सेदारी के साथ देश में सीएनजी कार सेगमेंट में सबसे आगे है। पिछले वित्त वर्ष में देश में बेची गई सीएनजी वाहनों की 1.9 लाख यूनिट में से 1.6 लाख से ज्यादा मारुति सुजुकी की सीएनजी कारें बिकीं।