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मारुति का उत्पादन दिसंबर में हो सकता है कम, सेमीकंडक्टर के संकट से नहीं उबरी वाहन कंपनियां
सेमीकंडक्टर चिप और कई अन्य महत्वपूर्ण घटकों में वैश्विक कमी ने प्रतिकूल रूप से दुनिया भर में लगभग हर प्रमुख ऑटो निर्माता को प्रभावित किया है। भारत में भी देश की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति सुजुकी सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रही है। मारुति सुजुकी ने सूचित किया था कि कंपनी का अक्टूबर और नवंबर का उत्पादन सेमीकंडक्टर की किल्लत के वजह से प्रभावित हुआ था। हालांकि, अब कंपनी ने कहा है कि यह स्थिति दिसंबर तक बनी रहेगी।
एक रिपोर्ट के अनुसार, मारुति सुजुकी ने आशंका जताई है कि उसके हरियाणा और गुजरात प्लांट में इस कैलेंडर वर्ष में उत्पादन प्रभावित रहेगा। कंपनी ने बताया गया है कि वह अगले महीने (दिसंबर में) उत्पादन के 80 से 85 फीसदी के बीच होने की उम्मीद कर रही है। जबकि देश में यात्री वाहनों की मांग दूसरी कोविड-19 लहर के बाद वापस बढ़ रही है, सेमीकंडक्टर की कमी के बीच वाहन निर्माताओं के लिए उत्पादन और आपूर्ति एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। सेमीकंडक्टर चिप की कमी एक अभूतपूर्व समस्या के रूप में सामने आई है जिसका कोई समाधान या राहत नहीं है।
मारुति सुजुकी ने पहले कहा था कि चिप की कमी के चलते उत्पादन बाधित है इसलिए डिलीवरी की समय-सीमा को आगे बढ़ाना पड़ेगा। वहीं कंपनी ने यह भी कहा था कि ग्राहकों का इंतजार लंबा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
एमएसआईएल के अध्यक्ष आरसी भार्गव ने कंपनी के वित्तीय परिणाम की घोषणा के दौरान कहा कि सेमीकंडक्टर की कमी हमारे नियंत्रण में नहीं है और भविष्य की स्थिति का अनुमान लगाना कठिन है, फिर भी मैं कारों की डिलीवरी में हो रही देरी के लिए माफी मांगता हूं।
बता दें कि वाहन कंपनियों के लिए नया साल भी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। जानकारों का मानना है कि 2022 में पूरे साल चिप की वैश्विक कमी जारी रहेगी। बाजार पर नजर रखने वालों का यह भी अनुमान है कि अगर कोविड-19 वायरस का नया संस्करण भारत में दस्तक देता है, तो यह मोटर वाहन क्षेत्र के लिए एक और मुसीबत लेकर आएगा। मारुति ने सितंबर में 40 फीसदी, अक्टूबर में 60 फीसदी जबकि नवंबर में 85 फीसदी उत्पादन लक्ष्य हासिल किया है।
मारुति का कहना है कि वह डीजल इंजन वाली कारों को अब दोबारा पेश नहीं करेगी। मारुति ने 2019 में बीएस-6 उत्सर्जन नियमों के लागू होने के पहले ही डीजल इंजन मॉडलों का निर्माण बंद कर दिया था। कंपनी का कहना है कि मौजूदा उत्सर्जन नियमों के अनुसार डीजल इंजन का निर्माण व्यावहारिक नहीं रह गया है।
मारुति का कहना है कि बाजार में डीजल इंजन कारों की मांग घट रही है, ऐसे में डीजल मॉडलों का निर्माण घाटे का सौदा है। कंपनी ने कहा है कि साल 2023 में नया उत्सर्जन मानक लागू किया जाएगा जिससे लागत में बढ़ोतरी का अनुमान है।
बहरहाल, मारुति की सीएनजी कारों की बिक्री में पिछले कुछ महीन में भारी वृद्धि देखी गई है। साल 2023 में उत्सर्जन मानदंडों का नया चरण आएगा, जिससे लागत बढ़ने की संभावना है। मारुति सुजुकी वर्तमान में इस सेगमेंट में 85 प्रतिशत से अधिक बाजार हिस्सेदारी के साथ देश में सीएनजी कार सेगमेंट में सबसे आगे है। पिछले वित्त वर्ष में देश में बेची गई सीएनजी वाहनों की 1.9 लाख यूनिट में से 1.6 लाख से ज्यादा मारुति सुजुकी की सीएनजी कारें बिकीं।
कंपनी को उम्मीद है कि अगले कुछ सालों में देश भर में सीएनजी डिस्पेंसिंग आउटलेट का तेजी से विस्तार होगा जिससे सीएनजी कारों के बाजार का तेजी से विस्तार होगा। कंपनी की चालू वित्त वर्ष में करीब तीन लाख सीएनजी कार यूनिट बेचने की योजना है।
मारुति सुजुकी वर्तमान में ऑल्टो, एस-प्रेसो, वैगनआर, ईको, टूरएस, अर्टिगा और सुपर कैरी में सीएनजी संस्करण पेश करती है। अब यह हाल ही में पेश की गई नई Celerio का CNG वर्जन लॉन्च करने की तैयारी कर रही है।
मारुति सुजुकी ने 10 नवंबर को भारत में नई सेलेरियो हैचबैक को लॉन्च किया है। इसे भारतीय बाजार में 4.99 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) की शुरूआती कीमत पर लॉन्च किया है। जानकारी के अनुसार, नई सेलेरियो के सीएनजी मॉडल को व्यक्तिगत और व्यावसायिक उपयोग के लिए लॉन्च किया जा सकता है।