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Kolkata Beats London In eBus Adoption: इलेक्ट्रिक बसों को अपनाने में कोलकाता ने लंदन को छोड़ा पीछे
ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए दुनिया भर के कई देश तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों को अपना रहे हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने पर किये गए एक सर्वे में सामने आया है कि पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता इलेक्ट्रिक बसों को अपनाने में तीसरे स्थान पर है। इस सूची में शामिल बड़े शहरों में पहला स्थान चीन के सेंजेंग शहर को दिया गया है।

दूसरा स्थान चिली के सेंटिआगो और तीसरा स्थान कोलकाता महानगर को दिया गया है। इलेक्ट्रिक बसों की औसत संख्या में कोलकाता ने ब्रिटेन की राजधानी लंदन को भी पीछे छोड़ दिया है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, चीन के सेंजेंग शहर में चल रही 99 प्रतिशत बसें इलेक्ट्रिक हैं जो कि दुनिया में सबसे अधिक है।

भारत में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक बसें कोलकाता में चलाई जा रही हैं। भारत में दूसरे स्थान पर अहमदाबाद शहर है जहां सबसे अधिक इलेक्ट्रिक टैक्सी चल रही हैं।
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कोलकाता में डीजल बसें प्रदूषण का मुख्या कारण हैं। कोलकाता में पार्टिकुलेट मैटर का एक तिहाई उत्सर्जन सार्वजनिक व प्राइवेट बस नेटवर्क से होता है। 2019 से पश्चिम बंगाल परिवहन निगम (WBTC) ने घरेलू रूप से निर्मित इलेक्ट्रिक बसों को प्रमुखता से अपनाने में जोर दे रहा है।

जबकि लगभग 100 बसों को पहले ही सेवा में शामिल किया जा चुका है, राज्य सरकार की योजना 2030 तक 5,000 इलेक्ट्रिक बसों को चलाने की है। राज्य में इलेक्ट्रिक बसों की बढ़ती संख्या न केवल प्रदूषण स्तर को नीचे लाने में मदद कर रही है, बल्कि देश में इलेक्ट्रिक बसों के स्थानीय निर्माण को भी प्रोत्साहित कर रही है।
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कोरोना महामारी के दौरान यात्रियों की कमी के कारण जहां कोलकाता में डीजल बसों को चलाने में घाटे के सामना करना पड़ रहा है। वहीं कम लागत के वजह से इलेक्ट्रिक बसों को काफी कम खर्च में चलाया जा रहा है और चालकों की आमदनी भी बढ़ रही है।

कोलकाता में दुनिया का सबसे पुराना इलेक्ट्रिक ट्रम नेटवर्क है जो एशिया में भी सबसे पुराना है। हालांकि, यह किफायती इलेक्ट्रिक ट्रम अब सड़कों पर बढ़ती भीड़ के कारण कम होते जा रहे हैं।

बता दें कि इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली सरकार भी स्विच दिल्ली अभियान चला रही है। दिल्ली में साल 2019 में इलेक्ट्रिक वाहन नीति की घोषणा की गई है जिसके तहत इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर और कार की खरीद पर सब्सिडी दी जा रही है। देश के कई छोटे-बड़े शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों की लिए चार्जिंग स्टेशन बनाने का काम तेज गति से किया जा रहा है।