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FAME-2 Scheme: हाइड्रोजन फ्यूल सेल कारों को भी फेम-2 योजना में किया जाएगा शामिल
देश में हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाली कारों को भी फेम-2 स्कीम की दायरे में लाया जा सकता है। इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड या माइल्ड हाइब्रिड कारों से अलग हाइड्रोजन फ्यूल सेल कार में उत्सर्जन शून्य प्रतिशत होता है। ऐसी कारें हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलती है इसलिए पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित हैं। इन्ही पहलुओं को देखते हुए केंद्र सरकार जल्द ही इन्हें फेम-2 स्कीम में शामिल करने की योजना बना सकती है।
बात दें कि देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड) इलेक्ट्रिक व्हीकल यानी फेम-2 योजन को 2015 में लॉन्च किया था। देश में इस योजना का दूसरा चरण अप्रैल 2019 से तीन वर्षों के लिए चलाया जा रहा है।
अब हाइड्रोजन फ्यूल सेल कार की तकनीक विकसित होने पर वाहन निर्माता इसे फेम-2 योजना के फायदे में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। वाहन कंपनियों की मांग है कि हाइड्रोजन फूल सेल पर चलने वाले वाहन इलेक्ट्रिक वाहनों से भी ज्यादा स्वच्छ हैं ऐसे में इन्हे फेम (FAME) योजना में जगह मिलनी चाहिए।
देश में हुंडई और मारुति सुजुकी जैसी कंपनियां हाइड्रोजन फ्यूल सेल की तकनीक विकसित कर रही हैं। हुंडई ने देश के बहार एक हाइड्रोजन फ्यूल सेल कार का प्रोटोटाइप भी तैयार कर लिया है।
हुंडई का मानना है कि हाइड्रोजन फ्यूल सेल स्वच्छ परिवहन के क्षेत्र में एक क्रांति है। इन वाहनों का बड़े स्तर पर उत्पादन तब ही संभव है जब कंपनियों को सरकारी सहायता दी जाए। भारत में फेम-2 स्कीम के तहत इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली 38 कंपनियों को पंजीकृत किया गया है।
भारी उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में फेम-2 योजना के अंतर्गत अब तक 69, 804 वाहन बेचे गए हैं। जिसमे 54,179 दोपहिया, 14,000 तीनपहिया और 1524 चौपहिया शामिल हैं।