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Honda Legend Self Driving Car Launched: होंडा ने इस देश में लॉन्च की अपनी पहली सेल्फ ड्राइविंग कार, जानें
होंडा ने जापान में अपने अत्याधुनिक सेल्फ ड्राइविंग कार होंडा लीजेंड को लॉन्च कर दिया है। कंपनी पहले बैच में इस कार के 100 यूनिट को उतारने वाली है। होंडा लीजेंड सेल्फ ड्राइविंग कार में तीसरे लेवल की स्वचालित तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। यह कार सड़क पर अपने आप ही लेन बदल सकती है, सिग्नल देती है और ट्रैफिक के अनुसार अपनी स्पीड कम या ज्यादा करती है। बता दें कि टेस्ला की सबसे पॉपुलर इलेक्ट्रिक कार मॉडल 3 में भी लेवल 3 ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
होंडा लीजेंड के चारों तरफ सेंसर और कैमरा लगाए गए हैं। कार में लगे कैमरे सड़क पर दूसरे वाहनों की गतिविधि पर नजर रखते हैं। होंडा का दावा है कि लीजेंड की ऑटोनोमस ड्राइविंग क्षमता टेस्ला की कारों से कहीं बेहतर हैं। होंडा का कहना है कि यह कार 1 करोड़ से अधिक ट्रैफिक पैटर्न और संभावनाओं का पता लगा सकती है।
कंपनी ने लीजेंड को 10 लाख किलोमीटर से ज्यादा चलाकर इसके ऑटोनोमस तकनीक का परिक्षण किया है। कार को शहरी सड़कों, ट्रैफिक, खराब रास्तों और हाईवे पर भी चलाकर इसकी ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक को परखा गया है। कंपनी ने बताया है कि यह कार सभी तरह के वातावरण में सफल हुई है।
होंडा लीजेंड की कुछ पहले यूनिट को लीज या सब्सक्रिप्शन के आधार पर खरीदा जा सकेगा। इस कार की कीमत 11 मिलियन येन रखी गई है जो भारतीय मुद्रा में लगभग 74 लाख रुपये है।
ऑटोनोमस ड्राइविंग तकनीक को कुल 5 लेवल या चरण में बांटा गया है। पहला लेवल स्वचालन का सबसे निचला स्तर होता है। इस कार में स्वचालित तकनीक का 10 फीसदी से भी कम इस्तेमाल किया जाता है। मौजूदा समय में महंगी और मध्यम बजट रेंज की कारों में यह फीचर्स मिलते हैं। इसमें क्रूज कंट्रोल और पार्किंग असिस्ट जैसे फीचर्स शामिल होते हैं। इसमें कार खुद अपनी स्पीड निर्धारित करती है जबकि चालक को स्टीयरिंग और ब्रेक पर खासा ध्यान रखना पड़ता है।
ऑटोनोमस ड्राइविंग लेवल 2 वाली कारों में एडवांस ड्राइवर असिस्ट सिस्टम (ADAS) का इस्तेमाल किया जाता है। इस चरण में कार का आटोमेटिक तकनीक स्टीयरिंग को संभाल सकता है साथ ही गति को भी कम-ज्यादा कर सकता है। इस तरह की कारों का कंट्रोल ड्राइवर अपने हाथों में कभी भी ले सकता है। टेस्ला ऑटोपिलोट और कैडिलैक सुपर क्रूज सिस्टम इसी लेवल 2 पर काम करते हैं।
ऑटोनोमस ड्राइविंग लेवल 3 तकनीक से लैस कार अपने वातारण में हो रही हलचल पर नजर रख सकती है और इसके अनुसार कार को नियंत्रित करती है। इसके लिए कार के चारों तरफ कई सेंसर और कैमरे लगाए जाते हैं। यह तकनीक कार की स्टीयरिंग, स्पीड, ब्रेक और सिग्नल को नियंत्रित करती है। ऑटोनोमस लेवल 3 तकनीक वाली कारें सामने चल रहे वाहनों को ओवरटेक कर सकती है साथ ही सड़क पर चल रहे लोगों पर भी नजर रखती है। हालांकि यह तकनीक भी पूरी तरह ऑटोमेटिक नहीं होती और इसमें भी चालक को काफी सतर्क रहना पड़ता है।
चौथे लेवल की ऑटोनोमस ड्राइविंग कारें सेल्फ ड्राइविंग मोड पर काम करती हैं। इनमें लेवल 3 के मुकाबले बेहतर नियंत्रण की क्षमता होती है। यह कारें 90 प्रतिशत वातावरण में खुद ही ड्राइव कर सकती हैं। इस लेवल पर ड्राइवर को कार को काफी कम कंट्रोल करना होता है और कार अपने आप ही गियर बदलने, चलने, रुकने, मुड़ने और स्पीड को नियंत्रित करती है। कई कार कंपनियां ऑटोनोमस लेवल 4 टैक्सी को उतारने पर काम कर रही हैं।
पांचवे ऑटोनोमस ड्राइविंग लेवल वाली कारें पूरी तरह ऑटोमेटिक ड्राइविंग तकनीक पर काम करती हैं। इस लेवल वाली ऑटोमेटिक कारों में स्टीयरिंग, ब्रेक और किसी भी तरह का पैडल नहीं होता है। यह पूरी तरह ऑटोमेटिक तकनीक से नियंत्रित होती है। इसमें कार को केवल ड्राइविंग लोकेशन देना होता है जिसके बाद कार अपने आप ही अन्य पहलुओं को निर्धारित करती है। वर्तमान में लेवल 5 की कारों पर भी काम किया जा रहा है। हालांकि, अभी ऐसी कोई भी कार उत्पादन में नहीं है।