Just In
- 9 hrs ago टोल प्लाजा पर अब नहीं होंगे ये बोर्ड! केंद्र सरकार ने लिया अहम फैसला, जानें डिटेल्स
- 15 hrs ago Bigg Boss फेम आयशा खान ने खरीदी MG की ये धांसू कार, जानें क्या है खासियत?
- 17 hrs ago मामूली सुरक्षा के बावजूद, बिक्री में टॉप है Maruti Suzuki की ये कारें, आपको कौन सी है पसंद?
- 1 day ago 3 घंटे में पूरा होगा 900 KM का सफर, अहमदाबाद से दिल्ली तक चलेगी दूसरी बुलेट ट्रेन, जानें Railways की प्लान
Don't Miss!
- News अरविंद केजरीवाल के स्वास्थ्य को लेकर LG ने डीजी जेल से तलब की रिपोर्ट
- Education Jharkhand Board 10th Result 2024: कल आयेगा झारखंड बोर्ड 10वीं का परिणाम, कैसे चेक करें JAC Matric Result
- Movies VIDEO: भगवान कृष्ण के सामने सीमा ने की अश्लीलता, वीडियो देख भड़के लोग बोले- कौन से कोठे पर...
- Lifestyle जहरीले अंगूर खाने से बिगड़ सकती हैं तबीयत, एक्सपर्ट ने बताया खाने से पहले कैसे करें साफ
- Finance Quarter 4 Result: Bajaj और Infosys ने जारी किया चौथे क्वार्टर का रिजल्ट, दोनों को मिला है बंपर मुनाफा
- Technology डॉक्सिंग क्या होती है, क्या इसके लिए जेल जाना पड़ सकता है?
- Travel बोरिंग जिंदगी से चाहिए ब्रेक तो घूम आएं ये 6 बटरफ्लाई पार्क, जहां फूलों में रंग भरती हैं तितलियां
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
चिप प्लांट लगाने पर सरकार देगी 50 प्रतिशत तक की छूट, जानें क्या है स्कीम
चिप प्लांट लगाने पर सरकार मदद के लिए सामने आई है और 28 नैनोमीटर तक की चिप निर्माण की कंपनी लगाने पर सरकार 50 प्रतिशत तक की छूट देने वाली है। देश में सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए हाल ही में सरकार ने 76,000 करोड़ रुपये निवेश करने की घोषणा की थी। दुनिया भर में चिप की कमी के चलते भारत सरकार यह कदम उठा रही है ताकि इसे दूर किया जा सके।
वहीं सरकार 28nm से 45nm चिप का निर्माण करने वाले प्लांट को 40 प्रतिशत तथा 45nm व 65nm के बीच चिप का निर्माण करने वाले प्लांट पर 30 प्रतिशत की छूट देने वाली है। बतातें चले कि चिप का निर्माण ट्रांजिस्टर की मदद से किया जाता है। जितनी कम दूरी दो ट्रांजिस्टर के बीच होगी, उतना ही छोटा चिप होगा। जिस वजह से 28nm पर सबसे अधिक छूट प्रदान की जा रही है।
इन चिप का उपयोग प्रोसेसिंग यूनिट, ग्राफिक्स प्रोसेसर, कनेक्टेड तकनीक व ऑटोमोटिव सेक्टर द्वरा भी उपयोग में लाया जाता है। पिछले कुछ सालों में ऑटो इंडस्ट्री में चिप का उपयोग बढ़ा है क्योकि अब नए कार आधुनिक फीचर्स व उपकरण के साथ आती है, हालांकि कोविड की वजह से इनका उत्पादन प्रभावित हुआ है और मांग के अनुरूप पूर्ति नहीं हो पा रही है।
इस कमी ने ऑटो सेक्टर के साथ साथ सभी सेक्टर को प्रभावित किया है। हालांकि यह छूट पाने के लिए सरकार ने कई शर्तें रखी है, इसके तहत कंपनी को 20,000 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। इसके साथ ही कंपनी का इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाईन व निर्माण में ग्रुप की कमाई, आखिर तीन में से एक साल में, 7500 करोड़ रुपये की कमाई होनी चाहिए।
इस स्कीम को इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन एजेंसी के द्वारा प्रभाव में लाया जाएगा। यह स्कीम छह सालों के लिए है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री के अप्रूवल के बाद इसे और आगे बढ़ाया जा सकता है। हाल ही में टाटा ग्रुप ने देश में सेमीकंडक्टर के निर्माण में रूचि दिखाई थी, कंपनी अगले तीन साल में सेमीकंडक्टर का निर्माण शुरू कर सकती है।
केंद्र सरकार ने हाल ही में सेमीकंडक्टर चिप के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 76 हजार करोड़ रुपये की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई स्कीम) की घोषणा की है। बताया जाता है कि अगले 2-3 सालों में देश में घरेलू आवश्यकता के लिए सेमीकंडक्टर का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। चिप निर्माण उद्योग के क्षेत्र में संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए, सरकार अगले साल जनवरी से पीएलआई स्कीम के तहत आवेदन लेना शुरू करेगी।
केंद्रीय सुचना एवं प्रोद्यौगिकी मंत्री वैष्णव जैन ने कहा कि अगले 2-3 वर्षों में लगभग 10-12 कंपनियां सेमीकंडक्टर का उत्पादन शुरू करेंगी। उन्होंने कहा कि इस दौरान लगभग 50-60 डिजाइनिंग कंपनियां भी सेमीकंडक्टर उत्पादन से जुड़ जाएंगी। बता दें कि देश में चिप निर्माण के लिए पीएलआई योजना ऐसे समय में आई है जब दुनिया भर के ऑटो उद्योग को पुर्जों की कमी के कारण उत्पादन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
इस कदम से देश के ऑटो सेक्टर को काफी मदद मिलने की उम्मीद है। महामारी के बाद चिप की मांग आसमान छू गई है क्योंकि उपभोक्ता तकनीकी उत्पाद की मांग, जो चिप का भी उपयोग करती है, लॉकडाउन के दौरान तेजी से बढ़ी है। चिप निर्माताओं ने भी अपनी उत्पादन क्षमता को उसी के अनुसार स्थानांतरित कर दिया। लेकिन बाद में जब ऑटो उद्योग ने लॉकडाउन के बाद परिचालन फिर से शुरू किया, तो माइक्रोचिप्स की मांग में काफी वृद्धि हुई, और एक बड़ा व्यवधान उत्पन्न हुआ क्योंकि चिप निर्माता मांग को पूरा करने में असमर्थ हो गए।
ड्राइवस्पार्क के विचार
देश में चिप निर्माण से इस सेक्टर में भी भारत आत्मनिर्भर हो जाएगा और इस वजह से सरकार लगातार इसे बढ़ावा दे रही है। इस क्षेत्र में टाटा ग्रुप व वेंदाता ग्रुप ने रूचि दिखाई है, अब देखना होगा कि कौन सी कंपनियां इसकी शुरुआत करती है।