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Global Chip Shortage: इलेक्ट्रॉनिक चिप की कमी के चलते कार डिलीवरी मे हो रही है देरी, जानें
वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग में इलेक्ट्रॉनिक चिप की कमी के चलते वाहनों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। मौजूदा समय में इलेक्ट्रॉनिक चिप की कमी के कारण यूरोप, अमेरिका, और एशिया के देशों में वाहन निर्माण धीमी गति से हो रहा है। ऐसे में नई कार का इंतजार कर रहे ग्राहकों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग में इलेक्ट्रॉनिक चिप की कमी के चलते वाहनों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। मौजूदा समय में इलेक्ट्रॉनिक चिप की कमी के कारण यूरोप, अमेरिका, और एशिया के देशों में वाहन निर्माण धीमी गति से हो रहा है। ऐसे में नई कार का इंतजार कर रहे ग्राहकों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
टाइम्स ड्राइव की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 5 लाख से अधिक पहले से बुक की गई कारों की डिलीवरी करने में देरी हो रही है। कार कंपनियों ने अपनी नई कार मॉडलों पर 5-6 महीने का वेटिंग पीरियड देना शुरू कर दिया है।
वाहनों की डिलीवरी में देरी होने के दो मुख्य कारण हैं। पहला यह है कि भारत में लगभग सभी वाहन कंपनियों ने दिसंबर-जनवरी के दौरान चिप की कमी के चलते उत्पादन बंद कर दिया था। जिसके चलते पहले से बुक की गई कारों का उत्पादन समय पर नहीं हो सका।
दूसरा यह कि दुनियाभर में कारों के लिए इलेक्ट्रॉनिक चिप की भारी कमी चल रही है। चीन, ताइवान और यूरोप से आने वाली चिप में कटौती की जा रही है जिससे दुनिया भर में चिप की कमी हो गई है।
मौजूदा समय में कार निर्माण में इलेक्ट्रॉनिक चिप की महत्वपूर्ण भूमिका है। बगैर चिप के कार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। चिप की कमी के कारण कार में लगने वाला डिस्प्ले, स्पीकर, स्टेबिलिटी कंट्रोल, लाइटिंग जैसे कई फीचर्स और उपकरणों को संचालित नहीं किया जा सकता।
वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग में चिप की कमी का मुख्य कारण कोरोना महामारी के चलते अव्यवस्थित सप्लाई चेन है। कोरोना महामारी के चलते लैपटॉप, मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मांग में भारी वृद्धि हुई है जिसके चलते वाहनों में लगने वाले चिप के उत्पादन में कटौती की जा रही है।
इसके अलावा कई कंपनियां मैनपॉवर की कमी की समस्या से जूझ रही हैं। क्योंकि भारत में कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक चिप चीन, ताइवान और यूरोप से आयात करती हैं इसलिए दुनिया के कई देशों के साथ भारत भी इससे प्रभावित हुआ है।
हालांकि, कुछ कार कंपनियां देश में चिप बनाने वाली कंपनियों की सहायता ले रही हैं लेकिन इनका उत्पादन जरूरत से काफी कम है और महंगी है। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि इस साल के मध्य तक चिप की कमी को दूर कर लिया जाएगा और उत्पादन सामान्य गति से शुरू हो जाएगा।