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Ford India Future Plans: फोर्ड इंडिया अपनी कारों में नहीं करेगी महिंद्रा के इंजन का इस्तेमाल
फोर्ड ने महिंद्रा के साथ जॉइंट वेंचर समाप्त करने के बाद, अमेरिकी कार निर्माता फोर्ड इंडिया भारत में अपने आने वाले मॉडलों में खुद से विकसित किये गए इंजन का ही इस्तेमाल करेगी। कंपनी ने अपने विक्रेताओं को दो आगामी परियोजनाओं बीएक्स 44 और बीएक्स 772 पर काम बंद कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन प्रोजेक्ट्स पर कंपनी अपने इंजन का इस्तेमाल करेगी।
एक रिपोर्ट में कंपनी ने बताया है कि भविष्य की कॉम्पैक्ट एसयूवी - बीएक्स 744 और बीएक्स 772 के विकास पर कंपनी अकेले काम करेगी। महिंद्रा के इंजन से शिफ्ट होने का मतलब होगा कि फोर्ड इंडिया के आगामी प्रोजेक्ट्स 6 महीने की देरी से पूरे होंगे। कंपनी ने अपने प्रोजेक्ट में महिंद्रा के किसी भी प्रोडक्ट पर निर्भरता समाप्त कर दी है।
2017 में महिंद्रा और फोर्ड ने एक तकनीकी साझेदारी में प्रवेश किया था, जो उत्पादों, इंजनों, कनेक्टिविटी प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रिक वाहन और साझा सेवाओं को लेकर थी। समय के साथ इन पांच में से दो प्रोजेक्ट में दो को समाप्त कर दिया गया। जबकि जॉइंट वेंचर समझौते के समाप्त होने पर अन्य प्रोजेक्ट भी बंद कर दिए गए हैं।
बता दें कि कंपनियों की साझेदारी में अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ भारत के लिए भी कारों को तैयार किया जाना था। रिपोर्ट्स के मुताबिक कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक और व्यावसायिक स्थितियों में बदलाव के कारण इस ज्वाइंट वेंचर को बंद करने का फैसला लिया गया।
हाल ही में फोर्ड ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माता एचपी से साझेदै की है, जिसके तहत फोर्ड 3डी प्रिंटिंग से निकले कचरे और बचे हुए कच्चे माल का इस्तेमाल कर कारों के लिए उपकरण और पुर्जे बनाएगी। कारों के लिए यह उपकरण 3डी प्रिंटिंग तकनीक के जरिए ही बनाए जाएंगे।
फोर्ड का कहना है कि इंजेक्शन मोल्डिंग तकनीक से बनाए गए ऑटो कंपोनेंट्स पर्यावरण के लिए अनुकूल होते हैं। इसके साथ ही यह साधारण कंपोनेंट्स के मुकाबले 7 प्रतिशत हल्के और 10 प्रतिशत कम सस्ते होते हैं। कंपनी ने यह भी बताया कि इनमें गुणवत्ता और मजबूती से कोई समझौता नहीं किया जाता है।
फोर्ड पहले भी अपनी ट्रकों में 3डी प्रिंटेड कंपोनेंट्स का इस्तेमाल कर चुकी है। फोर्ड ने सबसे पहले अपनी सुपर ड्यूटी एफ-20 ट्रक के फ्यूल पाइपलाइन में 10 जगह 3डी प्रिंटेड कॉम्पोनेन्ट का इस्तेमाल किया था।
फोर्ड ने एक बयान में कहा है कि कंपनी पर्यावरण का ख्याल रखते हुए ऑटोमोबाइल निर्माण में प्रकृति के अनुकूल तकनीक को बढ़ावा दे रही है। वाहनों के लिए 3डी प्रिंटेड उपकरण सस्ते और टिकाऊ होते हैं, साथ ही इन्हे तैयार करने में वातावरण को भी नुकसान नहीं होता है।