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कारों में मिलने वाले ये 10 फीचर्स हैं बेकार, क्या आप भी नहीं करते हैं इन फीचर्स का इस्तेमाल?
कार निर्माण में तकनीकी प्रगति के कारण अब कारें पहले से कहीं ज्यादा आरामदायक और शक्तिशाली हो गई हैं। 360-डिग्री पार्किंग कैमरा से लेकर इमरजेंसी ब्रेक असिस्ट तक, ऐसी ढेरों विशेषताएं हैं जो कारों को और अधिक उन्नत बनाती हैं। हालांकि, आजकल की कारों में कई ऐसे फीचर्स दिए जा रहे हैं जिनका इस्तेमाल अधिकतर कार चालक नहीं करते। यहां हम आपको बताने वाले हैं ऐसे 10 कार फीचर्स के बारे में जिनका कारों में बेहद कम उपयोग होता है। आइये जानते हैं-
1. फेक प्लास्टिक रूफ रेल
रूफ रेल कारों में इसलिए दिए जाते हैं ताकि भारी सामान को कार के ऊपर रखा जा सके। हालांकि, आज कल कारों में रूफ रेल केवल स्टाइल और लुक को बढ़ाने के लिए दिया जा रहा है। कार कंपनियां आजकल कारों में प्लास्टिक के रूफ रेल लगा रही है, जो दिखती अच्छी हैं लेकिन ये सामान के वजन को नहीं संभाल सकती। प्लास्टिक के रूफरेल के टूटने का डर बना रहता है इसलिए कारों में इनका उपयोग न के बराबर होता है।
2. पियानो फिनिश पैनल
कार के इंटीरियर के लुक को आकर्षक बनाने के लिए कई कार ब्रैंड्स डैशबोर्ड और कई जगहों पर पियानो ब्लैक पैनल देते हैं। यह पैनल देखने में तो अच्छे लगते हैं लेकिन इनमें धूल और फिंगरप्रिंट काफी आसानी से चिपकती है, जिससे इन्हें बार-बार साफ करने की जरूरत पड़ती है। चमकदार पियानो ब्लैक पैनल के जगह इंटीरियर में मैट फिनिश पैनल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
3. वॉइस रिकग्निशन
मॉडर्न कारों में मिलने वाला वॉइस रिकग्निशन एक ऐसा फीचर है जिसका इस्तेमाल बेहद कम होता है। वॉइस रिकग्निशन का इस्तेमाल ड्राइव करते समय खासतौर पर कॉल करने, कॉल रिसीव करने या म्यूजिक सुनने के लिए किया जाता है। हालांकि, अधिकतर कार चालक इस फीचर का इस्तेमाल नहीं करते।
4. लो-एंड कारों में पैडल शिफ्टर
पहले पैडल शिफ्टर केवल हाई-एंड परफॉर्मेंस वाले स्पोर्ट्स कारों में दिए जाते थे लेकिन अब बजट कारों में भी पैडल शिफ्टर दिए जा रहे हैं। दरअसल, पैडल शिफ्टर का असल में उपयोग स्पोर्ट्स कारों में ही होता है जिन्हें गियर बदलते समय ज्यादा पॉवर की जरूरत होती है। वहीं किफायती कारों में पैडल शिफ्टर का कुछ खास उपयोग नहीं है क्योंकि इनमें लगा इंजन ज्यादा पॉवर प्रदान नहीं करता है।
5. कॉम्पैक्ट एसयूवी में तीसरी पंक्ति की सीट
आजकल कार ब्रांड्स कई ऐसे कॉम्पैक्ट एसयूवी मॉडलों को पेश कर रहे हैं जिनकी सीटिंग कैपेसिटी 7 या 8 लोगों की होती है। 8 सीटर लेआउट वाली कॉम्पैक्ट एसयूवी में सीटें तीन पंक्ति में दी जाती हैं, जिससे सीटिंग क्षमता तो बढ़ जाती है लेकिन सबसे आखरी की पंक्ति में बैठने वाले लोगों के लिए जगह कम पड़ जाती है। इसलिए कॉम्पैक्ट एसयूवी की तीसरी पंक्ति की सीटों में एक व्यस्क व्यक्ति को बैठने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
6. मिरर लिंक कनेक्टिविटी
नई कारों में मिलने वाला मिरर लिंक एक ऐसा फीचर है जिसका उपयोग बेहद कम होता है। मिरर लिंक से आप अपनी कार के इंफोटेनमेंट सिस्टम को अपने स्मार्टफोन से नियंत्रित कर सकते हैं। इस फीचर को सबसे पहले स्मार्ट टीवी के लिए लाया गया था। मिरर लिंक फीचर से स्मार्टफोन के स्क्रीन को स्मार्ट टीवी पर देखा जा सकता है और यह फीचर तब काम में आता है जब आप अपने घर पर किसी फिल्म या टेलीविजन शो का आनंदले रहे हों, लेकिन कार में यह फीचर शायद ही कोई काम है है।
7. फेक एग्जॉस्ट टिप
कारों के स्टाइल को बढ़ाने के लिए फेक एग्जॉस्ट टिप दिए जा रहे हैं जो एग्जॉस्ट की तरह दीखते तो हैं लेकिन असल में नहीं होते। असली डुअल एग्जॉस्ट टिप वाली कारें महंगी और ज्यादा पॉवरफुल होती हैं। आप सड़क पर इन्हें देख कर ही अंदाजा लगा सकते हैं कि इनमें लगाए गए एग्जॉस्ट टिप फेक नहीं है।
8. सीडी प्लेयर और एएम रेडियो
आज से दस साल पहले ही कारों में सीडी प्लेयर और एएम रेडियो का उपयोग बंद होना शुरू हो गया था। लेकिन आज भी ऐसी कई कंपनियां हैं जो अपनी कारों में सीडी प्लेयर और एएम रेडियो दे रही हैं। क्योंकि सीडी का इस्तेमाल अब बंद हो गया है इसलिए कारों में अब सीडी प्लेयर और रेडियो की कोई जरूरत नहीं है। इसके जगह कंपनियों को ब्लूटूथ कनेक्टिविटी, एंड्राइड ऑटो और एप्पल कारप्ले देने चाहिए।
9. इलेक्ट्रॉनिक पार्किंग ब्रेक
आजकल की एडवांस कारों में मैनुअल पार्किंग ब्रेक के जगह इलेक्ट्रॉनिक पार्किंग ब्रेक दिए जा रहे हैं। ये ब्रेक बस एक बटन दबाते ही लग जाते हैं। हालांकि अगर कार का इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम काम न करे तो आपको यह सिस्टम मुसीबत में डाल सकता है। कार कंपनियों को पार्किंग ब्रेक जैसे कुछ फीचर्स मैनुअल ही रखने चाहिए।
10. फिक्स्ड हेडरेस्ट वाली सीटें
कार में बेहतर इंजन और फीचर्स के अलावा कम्फर्ट भी मायने रखता है। आजकल किफायती कारों में फिक्स्ड हेडरेस्ट वाली सीटें दी जा रही है जो एडजस्टिबल हेडरेस्ट वाली सीटों की तुलना में कम आरामदायक होती हैं। इन कारों में लंबी ड्राइव करते समय लोगों को अक्सर थकान महसूस होने लगती है। कम बजट वाली कारों में भी एडजस्टिबल हेडरेस्ट को स्टैंडर्ड फीचर में शामिल करना चाहिए।