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इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 1 लाख रुपये ज्यादा चुकाने को तैयार भारतीय, रिपोर्ट्स
पारंपरिक ईंधन वाहनों को छोड़कर इलेक्ट्रिक वाहन की ओर लोगों का रुझान बढ़ता जा रहा है। लेकिन अभी भी बहुत से लोग है जो अपने अगले वाहन के तौर पर पेट्रोल या डीजल वाहन को ही लेना चाहते है।
रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि 53 प्रतिशत लोग पारंपरिक ईंधन वाहनों की जगह पर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 1 लाख रुपये तक ज्यादा देने के लिए तैयार है।
डेलॉयट द्वारा साल 2020 ग्लोबल ऑटोमोटिव कन्ज्यूमर स्टडी में ये बात सामने आई है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोग पारंपरिक आईसीई (अंतर दहन इंजन) को छोड़ते जा रहे है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों (एचईवी) को जापान में सबसे ज्यादा 47 प्रतिशत तक प्राथमिकता दी जा रही है, वहीं जापान के बाद भारत में इन्हें पसंद किया जा रहा है।
सर्वे में यह बात सामने आई है कि भारत में 51 प्रतिशत लोग अपने अगले वाहन के तौर पर आईसीई वाहनों को खरीदना चाहते है। वहीं 25 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वह अपने अगले वाहन के तौर पर एचईवी वाहन लेना चाहेंगे।
वहीं 15 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल (बीईवी) लेना पसंद करेंगे। इसके अलावा 9 प्रतिशत लोगों ने एथेनॉल, सीएनजी और फ्यूल सेल को प्राथमिकता दी है।
रिपोर्ट में यह बात भी साफ की गई है कि लोगों का इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ रुझान,बढ़ते ईंधन के दामों की वजह से है। सर्वे के दौरान 81 प्रतिशत लोगों ने यह बात साफ कही कि यदि पेट्रोल और डीजल के दाम 152 रुपये प्रति ली. हो जाएंगे तो वे इलेक्ट्रिक वाहन की ओर रुख कर लेंगे।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 21 प्रतिशत लोग इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक लाख से तीन लाख रुपये तक देने के लिए तैयार है। 34 प्रतिशत की एक बड़ी संख्या के लोगों का मानना है कि वाहनों को बनाने वाली कंपनियों को ईवी वाहनों की चार्जिंग के लिए स्टेशन बनाने चाहिए।
वहीं 31 प्रतिशत लोगों का मानना है कि यह काम सरकार का है। 30 प्रतिशत लोगों का मानना है कि बीईवी वाहनों की न्यूनतम रेंज 320 किलोमीटर होनी चाहिए, वहीं 14 प्रतिशत लोगों का कहना है कि यह रेंज करीब 80 किलोमीटर होनी चाहिए।