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भारत में वाहन का उत्पादन 28 साल के सबसे निचले स्तर पर, जाने क्या होगा प्रभाव
देश में वित्तीय वर्ष 2020 ऑटो जगत के बहुत ही खराब रहा है तथा अधिकतर महीने में बिक्री में गिरावट देखी गयी है। ग्राहकों की कमी, बढ़े हुए जीएसटी, बीएस6 व नए सुरक्षा मानक की वजह से वहन की कीमत में बढ़त ने बिक्री को बहुत प्रभावित किया है।
पिछले साल ऑटो जगत की पूरी बिक्री में 18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है। वर्तमान में कंपनियों के पास बीएस4 स्टॉक पड़े हुए है और कंपनियों ने बीएस6 वाहन का उत्पादन शुरू ही किया था लेकिन अब उत्पादन पर रोक लगानी पड़ी।
इसका परिणाम यह रहा है कि भारत में ऑटो उत्पादन 28 साल के निचले स्तर पर गिर गया है, उत्पादन में 2,63,62,284 यूनिट के साथ 14।7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है। इस पहले वित्तीय वर्ष 1992 में यह हालात देखे गये थे।
अब अप्रैल में देश में लॉकडाउन चल रहा है जो कि 3 मई को समाप्त होगा, इस बीच कंपनियों को वाहन उत्पादन की इजाजत नहीं दी गयी है। साथ ही इसके और भी आगे बढ़ने के संकेत मिल रहे है। इससे इस साल भी उत्पादन बहुत बुरी तरह से प्रभावित रहने वाला है।
हालांकि पिछले तीन दशकों में देश में वाहन उत्पादन में बहुत ही बड़ा फर्क आया है। देश में वित्तीय वर्ष में 14.7 प्रतिशत की ही गिरावट के साथ 34,34,015 यूनिट पैसेंजर वाहन का निर्माण किया गया है। यह सेगमेंट भी बहुत प्रभावित हुआ है।
माना जा रहा है देश में लॉकडाउन हटने व उत्पादन शुरू होने के बावजूद भी वाहन कंपनियों द्वारा उत्पादन फिर से शुरू करना एक बड़ा चैलेंज होगा। वाहन उत्पादन करने के लिए सप्लाई चेन का सुचारू रूप से चलना, सुरक्षा व सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा भी एक बड़ा काम होगा।
इन सब के साथ ही फिर से वाहन कंपनियों द्वारा उत्पादन सुचारू रूप से करना एक बड़ा चैलेंज होगा जिसे कपनियों को बेहद ही सावधानी से निपटना होगा। टोयोटा जैसी कंपनी ने 'रीस्टार्ट मैन्युअल' भी ला दिया है ताकि लॉकडाउन के बाद प्लांट खोला जा सके।
भारत में यह वित्तीय वर्ष भी कमजोर आर्थिक व्यवस्था की भेंट चढ़ने वाला है, ऐसा माना जा रहा है। इस वर्ष भी ग्राहक द्वारा कमजोर मांग के चलते बिक्री में जबरदस्त कमी रह सकती है तथा कंपनियों को इससे उबरने में महीनों लग सकते है।