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Vehicle Document Validity Extended: वाहन संबंधी दस्तावेजों की वैद्यता 31 मार्च 2021 तक बढ़ी
केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वाहन से संबंधित दस्तावेजों की वैद्यता को 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया है। मंत्रालय ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए यह कदम उठाने का फैसला किया। मंत्रालय ने दस्तावेजों की वैधता में विस्तार के संबंध में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक निर्देशिका भी जारी की है। अधिसूचना के अनुसार, फिटनेस सर्टिफिकेट, परमिट, ड्राइविंग लाइसेंस, पंजीकरण प्रमाण पत्र और अन्य जैसे वाहन दस्तावेज उपरोक्त तारीख तक मान्य रहेंगे।

इस साल चौथी बार परिवहन मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर मोटर वाहन दस्तावेजों के की वैद्यता में विस्तार किया है। वाहन के जिन दस्तावेजों की वैद्यता 1 फरवरी, 2020 को या उसके बाद समाप्त हो चुकी थी, वो अब 31 मार्च 2021 तक वैध रहेंगे।

मंत्रालय ने पहले वैधता के विस्तार के संबंध में मोटर वाहन अधिनियम 1988 से संबंधित वाहन दस्तावेजों के लिए मार्च, जून और अगस्त 2020 में परामर्श जारी किए थे। मंत्रालय द्वारा जारी नोटिस को परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है।
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मंत्रालय ने बताया है कि कोविड-19 के खतरे को देखते हुए और इसे संक्रमण को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। बता दें कि लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद लाइसेंस रिन्यूअल और अन्य दस्तावेजों को बनवाने के लिए आरटीओ केंद्रों में लोगों की भीड़ उमड़ रही है।

मंत्रालय ने बताया है कि इससे लोगों के बीच संक्रमण का खतरा बढ़ गया है इसलिए सभी दस्तावेजों की वैद्यता अगले साल 31 मार्च तक बढ़ाई गई है। इस फैसले से आम नागरिकों के साथ, ट्रांसपोर्ट कंपनियों और कमर्शियल वाहन चालकों को राहत मिलेगी।
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बता दें कि हाल ही में भारत सरकार ने विश्व बैंक के साथ 500 मिलियन डॉलर के ग्रीन हाईवे कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर किया है। भारत में राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में ग्रीन हाईवे कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा। यह परियोजना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की कार्यक्षमता और हरित प्रौद्योगिकियों को मुख्यधारा में लाने की क्षमता भी बढ़ाएगी।

ग्रीन नेशनल हाईवे कॉरिडोर परियोजना में स्थानीय और सीमांत सामग्री का इस्तेमाल किया जाएगा जिससे स्थानीय उद्योगों और उद्यमियों को विकास का मौका मिलेगा। इस प्रोजेक्ट में ग्रीन तकनीक और जैव-इंजीनियरिंग समाधानों का प्रयोग किया जाएगा।

यह परियोजना चार राज्यों में सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए कुशल परिवहन प्रदान करेगी, लोगों को बाजारों और सेवाओं से जोड़ेगी, दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों की कमी को कम करने के लिए निर्माण सामग्री और पानी के कुशल उपयोग को बढ़ावा देगी और जीएचजी उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगी।

भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग लगभग 40 प्रतिशत सड़क यातायात का वहन करते हैं। हालांकि, इन राजमार्गों के कई हिस्सों में अपर्याप्त क्षमता, कमजोर जल निकासी संरचना और गलत निर्माण के वजह से दुर्घटना के मामले बढ़े हैं।

परियोजना मौजूदा संरचनाओं को मजबूत करेगी, नए फुटपाथ, जल निकासी की सुविधा और बाईपास का निर्माण, जंक्शनों में सुधार और सड़क सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

पिछले कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने राजमार्ग निर्माण में आधुनिक और हरित प्रौद्योगिकियों के उपयोग से सड़क निर्माण की लागत को कम करने पर जोर दिया है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने मार्च 2022 तक देश में सभी राष्ट्रीय राज्यमार्गों पर 100 प्रतिशत पौधरोपण के प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।