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केंद्र सरकार ने मांग बढ़ाने के लिए वाहन कंपनियों को कीमत में कटौती का दिया सुझाव
केंद्र सरकार ने ऑटोमोबाइल कंपनियों से कहा है कि वाहन टैक्स में कटौती की मांग करने से बजाए कंपनियों को प्रयास करना चाहिए की वे मांग को बढ़ाने के लिए वाहन की कीमतों में कटौती करें। बता दें कि लॉकडाउन समाप्त होने के बाद वाहन कंपनियों ने सरकार से जीएसटी दर में कटौती की मांग की थी। कंपनियों के सवाल पर सरकार ने कहा है कि ऑटोमोबाइल कंपनियों को संभालने के लिए सरकार ने पहले ही कई तरह की योजनाओं को शुरू किया है।
सरकार का कहना है कि नीतियों का पहले ही निर्माण किया गया है जिसके तहत कंपनियों को देश में सुरक्षित बाजार प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा सरकार ने आयत पर भी नियंत्रण किया है ताकि घरेलू निर्माताओं को विकास का पूरा मौका मिल सके। सरकार ने निवेश और रोजगार के प्रोत्साहन के लिए भी कई नीतियों को लागू किया है।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि वाहन कंपनियों का टैक्स रेट में कटौती की मांग सही नहीं है। कोरोना महामारी अथवा लॉकडाउन ने बाजार को खासा प्रभावित किया है। लोग महंगी गाड़ियां नहीं खरीद रहे हैं, लेकिन आने वाले समय में मांग दोबारा पटरी में लौटेगी।
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार के इसी टैक्स इकोसिस्टम में कई कंपनियों ने काफी तरक्की की है। एमजी मोटर्स, किया, जीप जैसी कंपनियां भारत में करोड़ों रुपयों का निवेश कर रही हैं। सरकार ने निर्माताओं को इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों पर काफी छूट दी है।
एक उच्च अधिकारी ने बताया कि कंपनियों को ग्राहकों की मांग के अनुसार उत्पादन करना चाहिए। इस चीज को जिन कंपनियों ने समझा है वह काफी मुनाफा कमा रही हैं। उन्होंने बताया कि जीएसटी के लागू होने के पहले वाहनों पर अधिक टैक्स लगाया जाता था।
उन्होंने कहा कि जापान और अमेरिका जैसे कई देशों में तीन तरह के टैक्स लगाए जाते हैं इनमे प्रोडक्ट टैक्स के अलावा वार्षिक टैक्स और इंजन के साइज के मुताबिक वेट टैक्स भी लगाया जाता है। इन सभी टैक्स को लगाने के बाद वाहन की कीमत में काफी बढ़ोतरी हो जाती है। लेकिन भारत के जीएसटी में ऐसा नहीं हैं।
अधिकारी ने बताया कि भारत में जीएसटी काफी सरल है। इसमें रेकरिंग टैक्स को जगह नहीं दी गई है जिससे टैक्स कम है और चुकाना आसान है। वाहन कंपनियों का यह मानना कि जीएसटी के चलते मांग में कमी है, यह सरासर गलत है।