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Diesel Car Sales Dropped After BS6: बीएस6 मानक लागू होने के बाद डीजल कारों की बिक्री में आई बड़ी कमी
देश में 1 अप्रैल 2020 से बीएस6 उत्सर्जन मानक लागू किये गये हैं। बीएस4 उत्सर्जन मानक के बाद सीधे बीएस6 लाया गया है और बीएस5 को छोड़ दिया गया, ऐसे में सीधे बड़े अपडेट की वजह से डीजल कारों की बिक्री बहुत प्रभावित हुई है तथा इनमें बड़ी कमी दर्ज की गयी है।
बीएस6 उत्सर्जन मानक के अनुसार वाहन को तैयार करने के लिए डीजल इंजन व एग्जॉस्ट सिस्टम में कई बदलाव किये गये हैं, जिस वजह से बीएस4 मॉडल के मुकाबले बीएस6 मॉडल बहुत ही महंगी हो गयी। इसके साथ ही पिछले कुछ महीनों में देश में डीजल की कीमत पेट्रोल के बराबर पहुँच गयी है।
कई शहरों में तो डीजल की कीमत पेट्रोल से आगे निकल गयी है, ऐसे में डीजल कारों की मांग में जबरदस्त कमी दर्ज की गयी है। टीएनएन के एक रिपोर्ट अनुसार अप्रैल - जुलाई 2020 के बीच बेचीं गयी कुल वाहनों में डीजल वाहनों की हिस्सेदारी बहुत ही कम है।
इन महीनों में नए डीजल हैचबैक व सेडान की मात्रा कुल वाहनों में सिर्फ 1.8 प्रतिशत रही है। वहीं पिछले चार महीने में एसयूवी सेगमेंट में डीजल वाहनों की बिक्री भी कम होकर 42 प्रतिशत हो गयी है, ऐसे में कहा जा सकता है कि अब अधिक से अधिक लोग पेट्रोल इंजन वाली एसयूवी की खरीदी कर रहे हैं।
कुछ साल पहले ही हैचबैक सेगमेंट में भी डीजल वाहनों की मांग बहुत अच्छी थी। हालांकि छोटे वाहनों में डीजल वाहन के प्रतिशत में कमी को समझा जा सकता है क्योकि वर्तमान में सिर्फ कुछ ही कंपनियां छोटे डीजल वाहन उपलब्ध करा रही है।
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने तो डीजल वाहन बेचना ही बंद कर दिया है, वहीं टाटा भी छोटे मॉडल जैसे टियागो व टिगोर पर डीजल इंजन उपलब्ध नहीं करा रही है। हुंडई व होंडा जैसी कंपनी डीजल इंजन उपलब्ध करा रही है लेकिन छोटे कार के मुकाबले कीमत बहुत अधिक हो गयी है।
पहले डीजल की कम कीमतों की वजह से डीजल एसयूवी लेना पसंद करते थे लेकिन अब जहां पेट्रोल व डीजल की कीमत बराबर हो गयी है, ऐसे में ग्राहक डीजल एसयूवी से भी किनारा कर रहे हैं। वहीं दिल्ली जैसे शहर में डीजल वाहन की लाइफसाइकिल 10 साल कर दी गयी है जबकि पेट्रोल वाहन की 15 साल रखी गयी है।
बीएस6 मानक लागू होने के पहले डीजल वाहनों की 35 प्रतिशत हिस्सेदारी थी जो कि आने वाले समय और भी कम होने वाली है। कार कंपनियां भी अब सीएनजी, हाइब्रिड, इलेक्ट्रिक कारों को इसके विकल्प के रूप में ला रही है।