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Odd Even Rule In Delhi: प्रदूषन नियंत्रण मे हुई देरी तो दिल्ली में लागू हो जाएगी ऑड-ईवन रूल, जानें
नवंबर का महीना शुरू होते ही देश की राजधानी दिल्ली में धुंध और वायु प्रदूषण की भारी समस्या उत्पन्न हो जाती है। साल के अंतिम दो महीने में दिल्ली की हवा सबसे अधिक प्रदूषित होती है। इस हवा में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 की अत्यधिक वृद्धि होने से हवा जहरीली हो जाती है जिससे सांस लेने में समस्या होने लगती है। दिल्ली सरकार के अनुसार राज्य में बढ़ती वाहनों की संख्या इसका मुख्य कारण है।
इस बार दिल्ली सरकार ने लोगों को प्रदूषण के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाना शुरू कर दिया है। सरकार ने लोगों से अपील की है कि रेड ट्रैफिक लाइट पर अपने इंजन बंद रखें ताकि प्रदूषण को रोकने में मदद मिल सके।
हालांकि, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री, गोपाल रॉय ने कहा है कि अगर प्रयासों के बाद भी राज्य में प्रदूषण नियंत्रण नहीं हो सका तो सरकार पहले कई बार लागू की गई 'ऑड-ईवन' स्कीम को फिर से लागू करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार प्रदूषण और धुंध से निपटने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
ऑड-ईवन को अंतिम हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि, ऑड-ईवन स्कीम से भी दिल्ली में प्रदूषण को पूरी तरह से नहीं रोका जा सका है, लेकिन यह प्रदूषण के स्तर को कुछ हद तक कम करने में कारगर साबित हुई है।
दिल्ली में पहली बार ऑड-ईवन को 2016 में लागू किया गया था जिसके बाद साल दर साल तीन बार इसे लागू किया जा चुका है। पिछले साल भी प्रदूषण के काफी बढ़ने से ऑड-ईवन लागू कर दिया गया था।
दिल्ली में 1 करोड़ से अधिक वाहन पंजीकृत हैं, जिनमे 30-40 लाख वाहन हर रोज सड़कों पर निकलते हैं। यह वाहन रेड ट्रैफिक सिग्नल पर रुकते हैं और इनका इंजन बंद नहीं होता है जिससे वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।
दिल्ली और उसके आस-पास की इलाकों में किसानों द्वारा पराली के जलाए जाने से भी हवा जहरीली हो जाती है। किसानों को पराली जलने से रोकने के लिए सरकार ने एंटी डस्ट ड्राइव शुरू की है जिसमे पराली को नष्ट करने के लिए किसानों को जैविक डिकम्पोजर दिए जा रहे हैं। इसके छिड़काव से खेतों में पराली अपने आप ही सड़कर मिटटी में मिल जाती है।