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दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए लागू हुआ नया कानून, उल्लंघनकर्ताओं पर होगा 5 करोड़ का जुर्माना
केंद्र सरकार ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए एक अध्यादेश पारित किया है जिसे तहत दिल्ली में प्रदूषण फैलाने पर 5 साल की कारावास के सजा के साथ 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इस अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार की रात मंजूरी दे दी है।
इस सप्ताह दिल्ली के सोलिसिटर जनरल, तुषार मेहता ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था की केंद्र सरकार दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पराली जलाने, वाहन उत्सर्जन और गैरकानूनी उद्योगों के खिलाफ सख्त कानून लाने वाली है।
अध्यादेश के अनुसार, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग स्थापित किया जाएगा। अध्यादेश का के तहत नियमों का अनुपालन नहीं करने पर, आयोग के तहत उल्लंघनकर्ता पर कारावास तथा जुर्माने का दंड हो सकता है।
आयोग के अध्यक्ष का चयन पर्यावरण और वन मंत्री की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा किया जाएगा और इसमें परिवहन और वाणिज्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ कैबिनेट सचिव, सदस्य भी शामिल होंगे। 18-सदस्यीय आयोग की अध्यक्षता एक पूर्णकालिक चेयरपर्सन द्वारा की जाएगी जो भारत सरकार का सचिव या किसी राज्य का मुख्य सचिव रहा हो।
आयोग पराली जलाने, वाहनों के प्रदूषण, धूल प्रदूषण और अन्य सभी कारकों के मुद्दों पर ध्यान देगा, जो दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता बिगाड़ने के मुख्य कारण हैं।
आयोग का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त ईपीसीए और उसके साथ अन्य सभी निकायों को बदलने का प्रस्ताव दिया है, जो इस आयोग को दिल्ली-एनसीआर के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन पर एक विशेष प्राधिकरण बना देगा, और यह संसद को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
आयोग सभी उद्देश्यों के लिए एक केंद्रीय निकाय होगा। आयोग के आदेशों को केवल राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के समक्ष चुनौती दी जा सकती है, इसमें सिविल कोर्ट की कोई भूमिका नहीं होगी।