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बिहार में 70 प्रतिशत वाहनों में अभी भी नहीं लगे हैं फास्टैग
एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार राज्य के राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल प्लाजा पर पहुंचने वाले 70 प्रतिशत से अधिक वाहनों में रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआडी) टैग, यानि फास्टैग नहीं लगे होते हैं।
पटना में विभिन्न टोल प्लाजा से गुजरने वाले 65 प्रतिशत वाहनों में फास्टैग नहीं लगा है। राज्य में ट्रक, बस और कार सहित केवल 30 प्रतिशत ही ऐसे वाहन हैं जिनमे फास्टैग स्टिकर लगा है।
केंद्र सरकार देशभर के टोल प्लाजा पर 1 दिसंबर से फास्टैग अनिवार्य करने की योजना बनाई थी जिसे बढ़ाकर 15 दिसंबर कर दिया गया था। हालांकि, फास्टैग वाले वाहनों की संख्या कम होने के कारण, समय सीमा को 15 जनवरी तक बढ़ा दिया गया है।
बता दें, केंद्र सरकार ने सभी टोल प्लाजा पर 25 प्रतिशत लेन को को हाइब्रिड लेन के रूप में चिह्नित करने की योजना बनाई है, जिसमे बिना फास्टैग वाले वाहन 30 दिनों के लिए नकद भुगतान करके पार कर सकते हैं।
शेष 75 प्रतिशत लेन को केवल फास्टैग लगे वाहनों के लिए आरक्षित रखा गया है। फास्टैग एक डिजिटल स्टीकर है जिसे गाड़ियों के शीशे पर लगाया जाता है।
यह रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी पर काम करती है। जब गाड़िया टोल प्लाजा से गुजरती हैं तब फास्टैग से जुड़े बैंक या प्रीपेड अकाउंट से अपने आप ही टोल टैक्स का भुगतान हो जाता है।
फास्टैग देने का काम 22 बैंकों को सौंपा गया है, जहां पॉइंट-ऑफ-सेल के जरिए फास्टैग दिया जा रहा है। आप निर्धारित ट्रांसपोर्ट ऑफिस या टोल प्लाजा पर भी फास्टैग खरीद सकते हैं।
फास्टैग लेने के लिए आपको केवाईसी और व्हीकल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिखाना होगा। आप फास्टैग अमेजन और पेटीएम पर ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं।
बता दें कि फास्टैग लेन में चल रहे बिना फास्टैग वाले वाहनों से दंड के रूप में दोगुना टोल टैक्स वसूल करने का प्रावधान है। यह इसलिए क्योंकि फास्टैग उपयोगकर्ताओं को लेन में इंतजार न करना पड़े और ट्रैफिक जाम की समस्या न हो।
केंद्र सरकार द्वारा सभी हाईवे टोल प्लाजा पर फास्टैग टोल भुगतान को अनिवार्य करने के आदेश के बाद दिसंबर में फास्टैग से होने वाले ट्रांजेक्शन में दोगुनी बढ़ोत्तरी हुई है।
नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ने एक रिपोर्ट में बताया है कि दिसंबर में 6.4 करोड़ फास्टैग ट्रांजेक्शन से कुल 1,256 करोड़ रुपये की राशि जमा की गई जबकि, नवंबर में 3.4 करोड़ ट्रांजेक्शन से 774 करोड़ रुपये का टोल इकठ्ठा किया गया था।