अशोक लेलैंड: ट्रक से लेकर बस तक, जानिए क्या है कंपनी का इतिहास

अशोक लेलैंड भारत की दूसरी सबसे बड़ी कमर्शियल वाहन निर्माता है। यह विश्व में चौथी सबसे बड़ी बस निर्माता और दसवीं सबसे बड़ी ट्रक निर्माता कंपनी है। इसके साथ ही अशोक लेलैंड के भारत सहित दुनिया भर में 9 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं।

अशोक लीलैंड शुमार है दुनिया की 10 बड़ी वाहन निर्माताओं में, जानें कंपनी की सक्सेस स्टोरी

अशोक लेलैंड का भारत के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा है। यह भारतीय कंपनी कमर्शियल व्हीकल के क्षेत्र में दुनिया भर में अपना लोहा मनवा रही है। तो आईये जानते हैं अशोक लीलैंड की शुरुआत कैसे हुई थी -

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अशोक मोटर्स की स्थापना

सन् 1948 में रघुनन्दन शरण ने ब्रिटिश कंपनी ऑस्टिन की सहायता से अशोक मोटर्स की स्थापना की थी। रघुनन्दन ने अपने एकलौते बेटे के नाम पर कंपनी का नाम 'अशोक' रखा था। रघुनंदन शरण एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। रघुनंदन भारत में ऑस्टिन की कारों को मैन्युफैक्चर और असेंब्ल करते थे।

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सन् 1949 में पहली बार तमिलनाडु स्थित अशोक मोटर की फैक्ट्री में ऑस्टिन ए40 कार का पूर्ण स्वदेशी तकनीक से निर्माण किया गया था। सन् 1950 में अशोक मोटर ब्रिटिश कंपनी लेलैंड के साथ एक एग्रीमेंट किया जिसके के तहत कंपनी का नाम 'अशोक लेलैंड' रखा गया।

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बनाई पहली ट्रक

कंपनी के एन्नोर (तमिलनाडु) स्थित प्लांट में पहली ट्रक कॉमेट-350 ट्रक का निर्माण किया गया जिसे मैंगलोर के टाइल फैक्ट्री को बेचा गया था। सन् 1954 में भारत सरकार ने कंपनी को सालाना 1000 ट्रकों के निर्माण के लिए लाइसेंस प्रदान किया था।

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पहली डबल डेकर बस

अशोक लेलैंड भारत में डबल डेकर बस का कांसेप्ट लेकर आई और सन् 1967 में पहली बार देश की सड़कों में डबल डेकर बस दौड़ी। उस समय यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका के कुछ देशों में ही डबल डेकर बस चलती थीं। इस बस का निर्माण स्वदेशी तकनीक से किया गया था।

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पॉवर स्टीयरिंग- स्टीयरिंग में क्रांति

अशोक लेलैंड की ट्रकों और बसों में स्टीयरिंग की उन्नत तकनीक पॉवर स्टीयरिंग का इस्तेमाल किया जाने लगा। कंपनी 1969 में कमर्शियल वाहनों में इस तकनीक का इस्तेमाल करने लगी।

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सेना के लिए निर्माण

अशोक लेलैंड भारतीय सेना के लिए वाहन बनाने वाली प्रमुख कंपनी है। सन् 1970 में कंपनी ने भारतीय सेना के लिए 1000 हिप्पो ट्रकों का निर्माण किया था, जो हर परिस्थिति का सामना करने के लिए बनाई गई थीं।

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बनाया नया प्लांट

सन् 1980 में कंपनी ने अपना दूसरा प्लांट हौसर में स्थापित किया। इसके साथ ही कंपनी ने ज्यादा क्षमता वाले बड़े और भारी ट्रकों के निर्माण की ओर कदम बढ़ा दिया। इस प्लांट में मल्टी-एक्सेल ट्रक और बसों का निर्माण किया जाने लगा। कंपनी ने देश में ट्रक ड्राइविंग की ट्रेनिंग के लिए देश की पहली ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर तमिलनाडु के केंद्र नमक्कल में खोली।

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कंस्ट्रक्शन वाहन का निर्माण

बस और ट्रक जैसे भारी कमर्शियल वाहनों में ख्याति पाने के बाद अशोक लेलैंड कंस्ट्रक्शन और लाइट कमर्शियल व्हीकल के बाजार में भी उतर गई। कंपनी ने अमेरिकी वाहन निर्माता जॉन डियर के साथ 2011 में एग्रीमेंट के तहत देश में निर्माण कार्यों में इस्तेमाल होने वाले बड़े और छोटे वाहनों का प्रोडक्शन शुरू कर दिया। आज देश में अशोक लेलैंड के कंस्ट्रक्शन वाहन प्रमुख रूप से इस्तेमाल में लाए जाते हैं।

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भविष्य की ओर कदम

सफलता की नई इबारत लिखते हुए कंपनी ने नेप्च्यून इंजन का आविष्कार किया है जिसका इस्तेमाल बस और ट्रक में किया जा रहा है। इस इंजन की खासियत है कि यह बेहद फ्यूल एफिशिएंट है साथ की बैटरी पर भी चल सकता है। कंपनी इस इंजन को अमेरिका में भी एक्सपोर्ट कर रही है।

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आज अशोक लेलैंड इलेक्ट्रिक, सीएनजी तथा ईंधन (फ्यूल) पर चलने वाली बसों की प्रमुख निर्माता है। कंपनी अपने उत्पाद कई अन्य देशों में भी निर्यात कर रही है, इसमें अफ्रीका, यूरोप, इंडोनेशिया, सऊदी अरब जैसे कई देश शामिल हैं।

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Hindi
English summary
Ashok Leyland history of first truck, bus and more. Read in Hindi.
 
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