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दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 28 अवैध स्क्रैपिंग फैक्टरियों को किया बंद
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सोमवार को की गई छापेमारी में गैरकानूनी रूप से चल रहे 28 स्क्रैपिंग फैक्टरियों को जब्त किया है। प्रदूषण बोर्ड ने कहा कि दिल्ली में अवैध रूप से चल रहे स्क्रैपिंग फैक्टरियों पर छापेमारी जारी रहेगी। ऐसे स्क्रैपिंग यूनिट अवैज्ञानिक तरीके से वाहनों को स्क्रैप करते हैं जिससे वातावरण में वायु प्रदूषण बढ़ता है, इसलिए इनपर नकेल कसना जरूरी है।
बोर्ड ने बताया कि इन स्क्रैपिंग यूनिट में 10-15 साल पुराने वाहनों को लाया जाता है। यहां उन वाहनों को भी लाया जाता है जो किसी दुर्घटना में छतिग्रस्त हो जाते हैं और चलाने लाया नहीं रहते हैं। वाहनों को स्क्रैप करने के दौरान कई सुरक्षा मानकों का उल्लंघन होता है जिससे वातावरण में प्रदूषण बढ़ता है।
बोर्ड ने बताया कि दिल्ली एक प्रदूषण कंट्रोल क्षेत्र घोषित है और यहां प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ शून्य टोलेरेंस की नीति अपनाई जाती है। बोर्ड का कहना है कि वाहनों में कई तरह के केमिकल लगे होते हैं जिन्हे स्क्रैप करने से पहले नष्ट करना होता है, लेकिन ये स्क्रैपिंग यूनिट इन बातों को नजरअंदाज करते हैं।
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि लगभग 25 प्रतिशत अपशिष्ट पदार्थ, भारी धातुओं, अपशिष्ट तेलों, कूलेंट, ओजोन-घटने वाले पदार्थों और अन्य की उपस्थिति के साथ, एक वाहन संभावित पर्यावरणीय खतरा पैदा करता है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा कि पर्याप्त क्षेत्र, उचित उपकरण और अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं के साथ लाइसेंस प्राप्त एजेंसियों ने ग्रेटर नोएडा और सोनीपत जैसे एनसीआर शहरों में काम करना शुरू कर दिया है।
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि बहुत जल्द ही राष्ट्रीय वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी को लागू किया जाएगा। व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी से प्रोडक्शन कॉस्ट में कमी आएगी जिससे वाहन निर्माताओं को फायदा होने वाला है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह सचिव के सहयोग से इस पॉलिसी को तैयार किया जा रहा है।
मंत्री ने बताया कि उन्होंने मंत्रालय के अधिकारियों को ऑटो स्क्रैपिंग नीति को जल्दी से अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है। उन्होंने ऑटोमोबाइल विनिर्माण क्षेत्र को मंदी से निकालने के लिए तरलता बढ़ाने और विदेशी पूंजी के निवेश को आकर्षित करने का भी सुझाव दिया है।