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पुराने कार का फिर से रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा महंगा, सरकार 25 गुना बढ़ा सकती है कीमत
देश में 15 साल से पुराने कारों या कमर्शियल वाहनों का फिर से रजिस्ट्रेशन कराने की फीस 25 गुना तक बढ़ाई जा सकती है। हाल ही में परिवहन मंत्रालय ने केंद्र सरकार को यह प्रस्ताव भेजा है।
परिवहन मंत्रालय द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि पुराने प्राइवेट वाहनों का फिर से रजिस्ट्रेशन कराने की फीस को 25 गुना बढ़ाया जाएगा तथा कमर्शियल वाहन के वार्षिक फिटनेस टेस्ट की फीस को 125 गुना अधिक किया जाए।
सरकार के इस नए नीति के अनुसार पुराने ट्रक या बस जैसे वाहनों का फिटनेस टेस्ट फीस 200 रुपयें से 25,000 रुपयें किया जा सकता है। वहीं कैब/टैक्सी या मिनीट्रक को एक फिटनेस टेस्ट के लिए 15,000-20,000 रुपयें चुकाना पड़ सकता है।
बतातें चले कि कर्मशियल वाहनों को हर साल फिटनेस टेस्ट कराना अनिवार्य है। इस नए योजना के तहत प्राइवेट वाहनों के फिटनेस टेस्ट तथा कर्मशियल वाहनों के पुनः रजिस्ट्रेशन फीस में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की जायेगी।
नए नियम के तहत 15 साल से पुराने दोपहिया या तिपहिया वाहन के पुनः रजिस्ट्रेशन फीस को 300 रुपयें से बढ़ाकर 2000-3000 रुपयें किया जा सकता है तथा चार पहिया वाहन का रजिस्ट्रेशन फीस 600 रुपयें से बढ़ाकर 15,000 रुपयें किया जा सकता है।
प्राइवेट वाहनों के रजिस्ट्रेशन की वैधता 5 साल तक रहती है, इसलिए ओनर हर पांच साल में फिर से रजिस्ट्रेशन करा सकते है। दोपहिया वाहनों के लिए फीस कम ही है लेकिन कारों के लिए बहुत ही अधिक है।
इसके साथ ही सरकार ने वाहन निर्माता कंपनियों को पुराने वाहन को बदलकर नए वाहन खरीदने पर छूट देने की बात कही है ताकि इससे उनकी बिक्री में भी बढ़त हो तथा पुराने वाहनों को कबाड़ में बदला जा सके।
हाल ही में सरकार द्वारा नए स्क्रेपेज पॉलिसी लाये जाने की बात कही गयी थी। जिसके तहत 15 साल से पुराने वाहनों को कबाड़ में बदलने पर टैक्स में छूट दी जायेगी, यह पुराने वाहनों को सड़क से हटाने के लिए लाया गया है।
वाहनों द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए सरकार ऐसे कदम उठा रही है, इसलिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी को कम कर दिया गया है तथा रजिस्ट्रेशन चार्ज व रोड टैक्स भी माफ कर दिया गया है।
ड्राइवस्पार्क के विचार
अब अगर आपने कोई अपनी पहली पुरानी कार या बाइक संभाल के रखी है तो यह बहुत ही महंगी पड़ सकती है। हालांकि सरकार को इन चीजों को भी संज्ञान में लेना चाहिए। कर्मशियल वाहनों द्वारा फैलाये जाने वाले प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए यह एक अच्छा कदम माना जा सकता है।