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ड्राइवरलेस कार का भारत में आना मुश्किल, नितिन गडकरी ने दिया यह बयान
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि वो भारत में ड्राइवरलेस कार के लिए अनुमति नहीं देंगे। इससे लाखों वाहन चालकों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।
गडकरी ने समारोह में कहा कि "देश में अभी भी 22 लाख वाहन चालकों की जरूरत है, ऐसे में मैं ड्राइवरलेस कार लाकर इनकी नौकरी नहीं छीन सकता हूं।"
उन्होंने कहा कि "मुझसे ड्राइवरलेस कार के बारे में कई बार पूछा गया है, तो मैं इसके बारे में जवाब देता हूं कि जब तक मैं परिवहन मंत्री हूं तब तक नहीं। मैैं ड्राइवरलेस कार को भारत में अनुमति नहीं दूंगा।"
उन्होंने कहा कि "भारत में अभी लाखों लोगों को रोजगार की जरूरत है, इसके साथ ही उद्योगों को भी बढ़ावा देने की जरूरत है। जिससे लाखों बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा।"
नितिन गडकरी ने कहा कि "वाहन स्क्रैपेज पॉलिसी अंतिम चरण में थी। अगर हम इसे लागू कर देते हैं तो हमारी 100 प्रतिशत लागत कम हो जाएगी, क्योंकि इससे कच्चे माल की कीमत कम हो जाएगी।"
उन्होंने कहा कि "कच्चे माल की कीमत कम होने से भारत ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक वाहन बनाने में दुनिया में प्रथम स्थान पर आ जाएगा। अगर ऐसा होता है तो भारत अर्थ व्यवस्था में 5 हजार अरब डॉलर का योगदान करेगा। वर्तमान समय में ऑटोमोबाइल उद्योग का योगदान करीब 4.5 लाख करोड़ रुपये है।"
मई 2016 में सरकार द्वारा स्वैछिक वाहन आधुनिकीकरण कार्यक्रम (वी-वीएमपी) को लागू किया गया था, जिससे दशकों पुराने 280 लाख वाहनों को सड़क पर चलाने के लिए प्रतिबंध लगाया गया था।
सचिवों की एक कमेटी ने मंत्रालय को इस योजना में सुधार करने का सुझाव दिया था, जिसमें राज्य स्तर पर सुधार किया जाना था और इसमें केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों की मदद की थी।
इस योजना में मंत्रालय द्वारा तय किये गये नियमों के तहत वाहनों की गहनता से जांच की गई और जिन वाहनों को नियमों के तहत सही नहीं पाया गया, उन्हें सड़कों पर चलाने का परमिट नहीं दिया गया।
ड्राइवस्पार्क के विचार
नितिन गडकरी का ड्राइवरलेस कार भारत में न आने देने के निर्णय से देश में वाहन चालकों को नौकरी का मौका मिलेगा। गडकरी के बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार को बेरोजगार वाहन चालकों के रोजगार की चिंता है। लेकिन देखने वाली बात ये कि सरकार इन बेरोजगार चालकों को रोजगार कब देगी।