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मेथेनॉल युक्त ईधन से चलेंगे वाहन, होगी 5 हजार करोड़ रुपये की बचत
भारत सरकार मेथेनॉल युक्त ईधन की शुरुआत करने की तैयारी कर रही है। इस मेथेनॉल युक्त ईधन के इस्तेमाल पर पारंपरिक ईधन (पेट्रोल-डीजल) के मुकाबले करीब 10 प्रतिशत की बचत होगी।
वहीं इस ईधन के इस्तेमाल से 30 प्रतिशत तक प्रदूषण कम हो जाएगा और सालाना आयात किए जाने वाले ईधन में कमी आएगी और 5 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी। इस बारे में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को निर्देश दिए है।
नितिन गडकरी के निर्देशानुसार मेथेनॉल युक्त ईधन को व्यवसायिक तौर पर इस्तेमाल करने के लिए जल्द से जल्द प्रयास किए जाए। वर्तमान समय में भारतीय वाहनों में करीब 10 प्रतिशत इथेनॉल युक्त ईधन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
लेकिन इथेनॉल युक्त ईधन बनाने की लागत 42 रुपये प्रति लीटर आती है, वहीं मेथेनॉल या मिथिल एल्कोहल युक्त ईधन बनाने में 20 रुपये प्रति लीटर की लागत आने का अनुमान है।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन एम15 युक्त ईधन पहले से ही बना रहा है, जिसमें 15 प्रतिशत मेथेनॉल और 85 प्रतिशत पेट्रोल का इस्तेमाल होता है। यह ईधन व्यवसायिक उपयोग के लिए उपलब्ध है।
परिवहन मंत्रालय के अनुसार सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस योजना का नियामक ढ़ाचा तैयार कर लिया है, अब इस ईधन को उपलब्ध कराने का काम पेट्रोलियम मंत्रालय का है।
मंत्रालय ने मेथेनॉल युक्त ईधन एम15, एम85 और एम100 या शुद्ध मेथेनॉल के लिए नियामक ने मानकों के बारे में अधिसूचना जारी कर दी है। लेकिन इस मामले में वाहन उद्योग पीछे हटता हुआ नजर आ रहा है।
इस बारे में उद्योग संगठन सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल निर्माता (एसआईएएम) के महानिदेशक राजेश मेनन ने कहा कि बहु ईधन विकल्प ऊर्जा बचाने का एक बहुत ही अच्छा रास्ता है। हम इस मामले में खाका तैयार करने लिए नीति आयोग की मदद लेने की कोशिश कर रहे है।
भारत कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है। हर साल भारत में करीब 5 लाख करोड़ रुपये का कच्चा तेल मंगवाया जाता है। देश में हर साल करीब 2900 करोड़ लीटर डीजल और 9000 करोड़ लीटर पेट्रोल की खपत होती है।
ड्राइवस्पार्क के विचार
मेथेनॉल युक्त ईधन पारंपरिक ईधन (पेट्रोल-डीजल) का इस्तेमाल कम करने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। हालांकि इसे जमीनी स्तर पर लाने के लिए अभी कुछ समय लग सकता है। फिलहाल अभी ऑटोमोबाइल उघोग जगत इस ईधन के इस्तेमाल से पीछे हट रहा है, लेकिन सरकार के प्रयास से इस ईधन को प्रयोग में लाया जा सकता है।